ईशवचन विषयानुसार

विधवा / Widow


स्तोत्र 68:6 “अनाथों का पिता, विधवाओं का रक्षक, यही ईश्वर अपने पावन मन्दिर में निवास करता है।“

निर्गमन 22:21-22 “तुम विधवा अथवा अनाथ के साथ दुर्व्यवहार मत करो। (22) यदि तुम उनके साथ दुर्व्यवहार करोगे और वे मेरी दुहाई देंगे, तो मैं उनकी पुकार सुनूँगा।”

विधि-विवरण 16:11-14 “तुम उस स्थान पर आनन्द मनाओगे, जिसे प्रभु, तुम्हारा ईश्वर अपना नाम स्थापित करने के लिए चुनेगा। तुम्हारे पुत्र-पुत्रियाँ तुम्हारे दास-दासियाँ तुम्हारे नगर में रहने वाले लेवी, तुम्हारे बीच रहने वाले प्रवासी, अनाथ और विधवाएँ भी तुम्हारे साथ प्रभु, अपने ईश्वर के सामने आनन्द मनायेंगे। याद रखो कि तुम मिस्र में दास थे। तुम इन नियमों का विधिपूर्वक पालन करोगे। ’’तुम खलिहान का अनाज और अंगूरी कुण्ड़ का रस एकत्रित कर लेने के बाद, सात दिन तक शिविर-पर्व मनाओगे। तुम इस पर्व के अवसर पर अपने पुत्र-पुत्रियों, अपने दास-दासियों, अपने नगर में रहने वाले लेवियों, प्रवासियों, अनाथों और विधवाओं के साथ आनन्द मनाओगे।“

इसायाह 10:1-3 “धिक्कार उन लोगों को, जो अन्यायपूर्ण क़ानून पारित करते और अत्याचार को विधि सम्मत बनाते हैं! वे दरिद्रों के अधिकार छीनते और पददलित जनता को न्याय से वंचित करते हैं। वे विधवाओं को अपना शिकार बनाते और अनाथों को लूटते हैं। तुम दण्ड के दिन क्या करोगे? जब विपत्ति दूर से आ पड़ेगी? तुम सहायता के लिए किसके पास दौड़ोगे? तुम अपनी सम्पत्ति कहाँ रखोगे?”

यिरमियाह 22:1-5 “ प्रभु यह कहता है, “यूदा के राजा के महल में जाओ और वहाँ यह सन्देश सुनाओ: ’यूदा के राजा! जो दाऊद के सिंहासन पर विराजमान हो, मन्त्रीगण और इन फाटकों से आने-जाने वाले लोगो! तुम प्रभु की वाणी सुनो। प्रभु यह कहता हैः न्याय और सदाचरण करो। जो लुट रहा है, अत्याचारी के हाथ से उसकी रक्षा करो। विदेशियों, अनाथों और विधवाओं के साथ अन्याय मत करो, उन पर अत्याचार मत करो और इस स्थान पर निर्दोष रक्त मत बहाओ। यदि तुम सचमुच इन आदेशों का पालन करोगे, तो दाऊद के सिंहासन पर बैठने वाले राजा, उनके मन्त्री और उनकी प्रजा, रथों और घोड़ों पर सवारी करते हुए, इन फाटकों से हो कर आते-जाते रहेंगे। किन्तु यदि तुम इन आदेशों का पालन नहीं करोगे, तो मैं शपथ खा कर कहता हूँ कि यह महल खँडहर बन जायेगा।“

एज़ेकिएल 22:6-7 “तुम्हारे यहाँ रहने वाले इस्राएल के पदाधिकारियों में से प्रत्येक अपनी-अपनी शक्ति भर रक्त बहाने पर तुला हुआ है। तुम्हारे यहाँ माता-पिता का अपमान होता है। प्रवासियों को सताया जाता है और अनाथों तथा विधवाओं के साथ अन्याय किया जाता है।“

1 राजाओं 17: 7-24 “नदी में पानी सूख गया, क्योंकि पृथ्वी पर पानी नहीं बरसा था। (8) तब एलियाह को प्रभु की वाणी यह कहते हुए सुनाई पड़ी, (9) ‘‘उठो। सीदोन के सरेप्ता जाओ और वहाँ रहो। मैंने वहाँ की एक विधवा को आदेश दिया कि वह तुम्हें भोजन दिया करे।’’ (10) एलियाह उठ कर सरेप्ता गया। शहर के फाटक पर पहुँच कर उसने वहाँ लकड़ी बटोरती हुई एक विधवा को देखा और उसे बुला कर कहा, ‘‘मुझे पीने के लिए घड़े में थोड़ा-सा पानी ला दो’’। (11) वह पानी लाने जा ही रही थी कि उसने उसे पुकार कर कहा, ‘‘मुझे थोड़ी-सी रोटी भी ला दो’’। (12) उसने उत्तर दिया, ‘‘आपका ईश्वर, जीवन्त प्रभु इस बात का साक्षी है कि मेरे पास रोटी नहीं रह गयी है। मेरे पास बरतन में केवल मुट्ठी भर आटा और कुप्पी में थोड़ा सा तेल है। मैं दो-एक लकड़ियाँ बटोरने आयी हूँ। अब घर जा कर उसे अपने लिए और अपने बेटे के लिए पकाती हूँ। हम उसे खायेंगे और इसके बाद हम मर जायेंगे। (13) एलियाह ने उस से कहा, ‘‘मत डरो। जैसा तुमने कहा, वैसा ही करो। किन्तु पहले मेरे लिये एक छोटी-सी रोटी पका कर ले आओ। इसके बाद अपने लिए और अपने बेटे के लिए तैयार करना; (14) क्योंकि इस्राएल का प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः जिस दिन तक प्रभु पृथ्वी पर पानी न बरसाये, उस दिन तक न तो बरतन में आटा समाप्त होगा और न तेल की कुप्पी खाली होगी ।’’ (15) एलियाह ने जैसा कहा था, स्त्री ने वैसा ही किया और बहुत दिनों तक उस स्त्री, उसके पुत्र और एलियाह को खाना मिलता रहा। (16) जैसा कि प्रभु ने एलियाह के मुख से कहा था, न तो बरतन में आटा समाप्त हुआ और न तेल की कुप्पी ख़ाली हुई। (17) बाद में गृहस्वामिनी का पुत्र बीमार पड़ा और उसकी हालत इतनी ख़राब हो गयी कि उसके प्राण निकल गये। (18) स्त्री ने एलियाह से कहा, ‘‘ईश्वर-भक्त! मुझ से आपका क्या? क्या आप मेरे पापों की याद दिलाने और मेरे पुत्र को मारने मेरे यहाँ आये?’’ (19) उसने उत्तर दिया, ‘‘अपना पुत्र मझ को दो’’। एलियाह ने उसे उसकी गोद से ले लिया और ऊपर अपने रहने के कमरे में ले जा कर अपने पलंग पर लिटा दिया। (20) तब उसने यह कह कर प्रभु से प्रार्थना की, “प्रभु! मेरे ईश्वर! जो विधवा मुझे अपने यहाँ ठहराती है, क्या तू उसके पुत्र को संसार से उठा कर उसे विपत्ति में डालना चाहता है?“ (21) तब वह तीन बार बालक पर लेट गया और उसने यह कह कर प्रभु से प्रार्थना की, “प्रभु! मेरे ईश्वर! ऐसा कर कि इस बालक के प्राण इस में लौट आयें“। (22) प्रभु ने एलियाह की प्रार्थना सुनी, उस बालक के प्राण उसमें लौटे और वह जीवित हो उठा। (23) एलियाह उसे उठा कर ऊपर वाले कमरे से नीचे, घर में ले गया और उसे उसकी माता को लौटाते हुए उसने कहा, ‘‘देखो, तुम्हारा पुत्र जीवित है’’। (24) स्त्री ने उत्तर दिया, ‘‘अब मैं जान गयी हूँ कि आप ईश्वर-भक्त हैं और प्रभु की जो वाणी आपके मुख में है, वह सच्चाई है’’।

स्तोत्र 146:9 “ प्रभु परदेशियों की रक्षा करता है। वह अनाथ तथा विधवा को सँभालता, किन्तु विधर्मियों के मार्ग में बाधा डालता है।“

मलाअकी 3:5 “विश्वमण्डल का प्रभु कहता है: मैं अदालत में तुम्हारे प्रतिपक्षी के रूप में उपस्थित हो जाऊँगा; मैं इन सभी लोगों के विरुद्ध तुरन्त साक्य दे दूँगा: ओझाओं, व्यभिचारियों, झूठी शपथ खाने वालों, मज़दूरों को उचित मज़दूरी न देने वालों, विधवाओं और अनाथों को सताने वालों, प्रवासियों के अधिकार छीनने वालों और मुझ से न डरने वालों के विरुद्ध।“

लूकस 7:11-17 इसके बाद ईसा नाईन नगर गये। उनके साथ उनके शिष्य और एक विशाल जनसमूह भी चल रहा था।

12) जब वे नगर के फाटक के निकट पहुँचे, तो लोग एक मुर्दे को बाहर ले जा रहे थे। वह अपनी माँ का इकलौता बेटा था और वह विधवा थी। नगर के बहुत-से लोग उसके साथ थे। (13) माँ को देख कर प्रभु को उस पर तरस हो आया और उन्होंने उस से कहा, ’’मत रोओ’’, (14) और पास आ कर उन्होंने अरथी का स्पर्श किया। इस पर ढोने वाले रूक गये। ईसा ने कहा, ’’युवक! मैं तुम से कहता हूँ, उठो’’। (15) मुर्दा उठ बैठा और बोलने लगा। ईसा ने उसको उसकी माँ को सौंप दिया। (16) सब लोग विस्मित हो गये और यह कहते हुए ईश्वर की महिमा करते रहे, ’’हमारे बीच महान् नबी उत्पन्न हुए हैं और ईश्वर ने अपनी प्रजा की सुध ली है’’। (17) ईसा के विषय में यह बात सारी यहूदिया और आसपास के समस्त प्रदेश में फैल गयी।

लूकस 21:1-24 “ ईसा ने आँखें ऊपर उठा कर देखा कि धनी लोग ख़ज़ाने में अपना दान डाल रहे हैं। (2) उन्होंने एक कंगाल विधवा को भी दो अधेले डालते हुए देखा (3) और कहा, ‘‘मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ-इस कंगाल विधवा ने उन सबों से अधिक डाला है। (4) उन्होंने तो अपनी समृद्धि से दान दिया, परन्तु इसने तंगी में रहते हुए भी जीविका के लिए अपने पास जो कुछ था, वह सब दे डाला।’’

मारकुस 12:38-40 “ईसा ने शिक्षा देते समय कहा, ’’शास्त्रियों से सावधान रहो। लम्बे लबादे पहन कर टहलने जाना, बाज़ारों में प्रणाम-प्रणाम सुनना, (39) सभागृहों में प्रथम आसनों पर और भोजों में प्रथम स्थानों पर विराजमान होना- यह सब उन्हें बहुत पसन्द है। (40) वे विधवाओं की सम्पत्ति चट कर जाते और दिखावे के लिए लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करते हैं। उन लोगों को बड़ी कठोर दण्डाज्ञा मिलेगी।’’

प्रेरित-चरित 6:1-6 “ उन दिनों जब शिष्यों की संख्या बढ़ती जा रही थी, तो यूनानी-भाषियों ने इब्रानी-भाषियों के विरुद्ध यह शिकायत की कि रसद के दैनिक वितरण में उनकी विधवाओं की उपेक्षा हो रही है। (2) इसलिए बारहों ने शिष्यों की सभा बुला कर कहा, ‘‘यह उचित नहीं है कि हम भोजन परोसने के लिए ईश्वर का वचन छोड़ दे। (3) आप लोग अपने बीच से पवित्र आत्मा से परिपूर्ण सात बुद्धिमान् तथा ईमानदार व्यक्तियों का चुनाव कीजिए। हम उन्हें इस कार्य के लिए नियुक्त करेंगे, (4) और हम लोग प्रार्थना और वचन की सेवा में लगे रहेंगे।’’ (5) यह बात सबों को अच्छी लगी। उन्होंने विश्वास तथा पवित्र आत्मा से परिपूर्ण स्तेफनुस के अतिरिक्त फिलिप, प्रोख़ोरुस, निकानोर, तिमोन, परमेनास और यहूदी धर्म में नवदीक्षित अन्ताखिया-निवासी निकोलास को चुना (6) और उन्हें प्रेरितों के सामने उपस्थित किया। प्रेरितों ने प्रार्थना करने के बाद उन पर अपने हाथ रखे।“

याकूब 1:27 “हमारे ईश्वर और पिता की दृष्टि में शुद्ध और निर्मल धर्माचरण यह है- विपत्ति में पड़े हुए अनाथों और विधवाओं की सहायता करना और अपने को संसार के दूषण से बचाये रखना।“


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