सुलेमान का सर्वश्रेष्ठ गीत 8:6 “ मुझे मोहर की तरह अपने हृदय पर लगा लो मोहर की तरह अपनी भुजा पर बाँध लो; क्योंकि प्रेम मृत्यु की तरह शक्तिशाली है, ईर्ष्या अधोलोक-जैसी अजेय है। उसकी लपटें अग्नि की लपटों-जैसी है, विद्युत की अग्निज्वाला-जैसी।”
याकूब 3:14-18 “यदि आपका हृदय कटु ईर्ष्या और स्वार्थ से भरा हुआ है, तो डींग मार कर झूठा दावा मत करें। (15) इस प्रकार की बुद्धि ऊपर से नहीं आती, बल्कि वह पार्थिव, पाशविक और शैतानी है। (16) जहाँ ईर्ष्या और स्वार्थ है, वहाँ अशान्ति और हर तरह की बुराई पायी जाती है। (17) किन्तु उपर से आयी हुई प्रज्ञा मुख्यतः पवित्र है और वह शान्तिप्रिय, सहनशील, विनम्र, करुणामय, परोपकारी, पक्षपातहीन और निष्कपट भी है। (18) धार्मिकता शान्ति के क्षेत्र में बोयी जाती है और शान्ति स्थापित करने वाले उसका फल प्राप्त करते हैं।“
स्तोत्र 37:1-5 “दुष्टों का देख कर मत झुँझलाओ, कुकर्मियों से ईर्ष्या मत करो; (2) क्योंकि वे घास की तरह जल्दी मुरझायेंगे और हरियाली की तरह कुम्हलायेंगे। (3) प्रभु पर भरोसा रखो और भलाई करो; तुम स्वदेश में सुरक्शित रह सकोगे। (4) यदि तुम प्रभु में अपना आनन्द पाओगे, तो वह तुम्हारा मनोरथ पूरा करेगा। (5) प्रभु को अपना जीवन अर्पित करो, उस पर भरोसा रखो और वह तुम्हारी रक्षा करेगा।“
सूक्ति-ग्रन्थ 14:30 “मन की शान्ति शरीर को स्वास्थ्य प्रदान करती, किन्तु ईर्ष्या हड्डियों का क्षय है।“
फिलिप्पियों 2:3 “आप दलबन्दी तथा मिथ्याभिमान से दूर रहें। हर व्यक्ति नम्रतापूर्वक दूसरों को अपने से श्रेष्ठ समझे।”