प्रवक्ता 38:1-15 “चिकित्सक का सम्मान करो, तुम को उसकी आवष्यकता है। सर्वोच्च प्रभु ने उसकी भी सृष्टि की है। सर्वोच्च प्रभु से स्वास्थ्यलाभ होता और राजा की ओर से चिकित्सक को उपहार मिलता है। चिकित्सक का उसके विज्ञान के कारण सम्मान किया जाता और बडे लोग उसकी प्रषंसा करते हैं। प्रभु पृथ्वी से जड़ी-बूटियाँ उत्पन्न करता है और समझदार व्यक्ति उनकी उपेक्षा नहीं करता। क्या पानी लकड़ी द्वारा मीठा नहीं बना, जिससे मनुष्य प्रभु का सामर्थ्य पहचान सके? उसने मनुष्यों को विज्ञान प्रदान किया है, जिससे वे उसके चमत्कारों के कारण प्रभु की महिमा करें। चिकित्सक जड़ी-बूटियों द्वारा पीड़ा दूर करता हैं। भेषजज्ञ उनका मिश्रण तैयार करता है, जिससे प्रभु की कृतियाँ नष्ट न हों। पुत्र! अपनी बीमारी में लापरवाह न बनो; प्रभु से प्रार्थना करो और वह तुम्हें स्वास्थ्य प्रदान करेगा। अपने अपराधों पर पश्चात्ताप करो, अपने हाथ निर्दोष रखो और अपना हृदय हर पाप से शुद्ध रखो। सुगन्धयुक्त धूप एवं अन्न-बलि चढ़ाओ और शक्ति भर तेल का अर्पण करो। चिकित्सक को निवास दो, क्योंकि प्रभु ने उसकी भी सृष्टि की है। वह तुम से दूर न जाये, क्योंकि तुम को उसकी जरूरत है; क्योंकि कभी-कभी तुम्हारा स्वास्थ्य लाभ उनके हाथ में है। वे भी प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हें निदान पहचानने में और जीवन की रक्षा में सफलता प्रदान करें। जो अपने सृष्टिकर्ता के सामने पाप करेगा, वह चिकित्सक के हाथों पड़ेगा। “
स्तोत्र 30:2 “प्रभु! मेरे ईश्वर! मैंने तुझे पुकारा और तूने मुझे स्वास्थ्य प्रदान किया।“ ।
स्तोत्र 103:1-5 “मेरी आत्मा! प्रभु को धन्य कहो। मेरे अन्तरतम! उसके पवित्र नाम की स्तुति करो। मेरी आत्मा! प्रभु को धन्य कहो और उसका एक भी वरदान कभी नहीं भुलाओ। वह तेरे सभी अपराध क्षमा करता और तेरी सारी दुर्बलताएँ दूर करता है। वह तुझे सर्वनाश से बचाता और दया और अनुकम्पा से संभालता है। वह जीवन भर तुझे सुख-शान्ति प्रदान करता और तुझे गरूड़ की तरह चिरंजीवी बनाता है।“
स्तोत्र 147: 1-3 “अल्लेलूया! अपने ईश्वर का भजन गाना कितना अच्छा है, उसकी स्तुति करना कितना सुखद है! प्रभु येरुसालेम को पुनः बनवाता और इस्राएली निर्वासितों को एकत्र करता है। वह दुःखियों को दिलासा देता है और उनके घावों पर पट्टी बाँधता है।“
सूक्ति ग्रन्थ 4:20-22 “पुत्र! मेरी बातों पर ध्यान दो; कान लगा कर मेरी षिक्षा सुनो। उसे अपनी आँखों से ओझल न होने दो; उसे अपने हृदय में सँजोये रखो। वह तुम में नवजीवन का संचार करेगी और तुम्हारे शरीर को स्वस्थ रखेगी।“
प्रेरित चरित 3:1-16 “पेत्रुस और योहन तीसरे पहर की प्रार्थना के समय मन्दिर जा रहे थे। लोग एक मनुष्य को ले जा रहे थे, जो जन्म से लँगड़ा था। वे उसे प्रतिदिन ला कर मन्दिर के ÷सुन्दर' नामक फाटक के पास रखा करते थे, जिससे वह मन्दिर के अन्दर जाने वालों से भीख माँग सके। जब उसने पेत्रुस और योहन को मन्दिर में प्रवेश करते देखा, तो उन से भीख माँगी। पेत्रुस और योहन ने उसे ध्यान से देखा। पेत्रुस ने कहा, ‘‘हमारी ओर देखो'' और वह कुछ पाने की आशा से उनकी ओर देखता रहा। किन्तु पेत्रुस ने कहा, ÷मेरे पास न तो चाँदी है और न सोना; बल्कि मेरे पास जो, वही तुम्हें देखा हूँ- ईसा मसीह नाजरी के नाम पर चलो'' और उनसे उसका दाहिना हाथ पकड़ कर उसे उठाया। उसी क्षण लँगड़े के पैरों और टखनों में बल आ गया। वह उछल कर खड़ा हो गया और चलने-फिरने लगा। वह चलते, उछलते तथा ईश्वर की स्तुति करते हुए उनके साथ मन्दिर आया। सारी जनता ने उस को चलते-फिरते तथा ईश्वर की स्तुति करते हुए देखा। लोग उसे पहचानते थे। यह वही था, जो मन्दिर के ÷सुन्दर' फाटक के पास बैठ कर भीख माँगा करता था और यह देख कर कि उसे क्या हुआ है, वे अचम्भे में पड़ कर चकित थे। वह मनुष्य पेत्रुस और योहन के साथ लगा हुआ था, इसलिए सब लोग आश्चर्यचकित हो कर सुलेमान नामक मण्डप में उनके पास दौड़े आये। पेत्रुस ने यह देख कर उन से कहा, ‘‘इस्राएली भाइयो! आप लोग इस पर आश्चर्य क्यों कर रहे हैं और हमारी ओर से इस प्रकार क्यों ताक रहे हैं, मानों हमने अपने सामर्थ्य या सिद्धि से इस मनुष्य को चलने-फिरने योग्य बना दिया है? इब्राहीम, इसहाक और याकूब के ईश्वर ने, हमारे पूर्वजों के ईश्वर ने अपने सेवक ईसा को महिमान्वित किया है। आप लोगों ने उन्हें पिलातुस के हवाले कर दिया और जब पिलातुस उन्हें छोड़ कर देने का निर्णय कर चुका था, तो आप लोगों ने उन्हें अस्वीकार किया। आप लोगों ने सन्त तथा धर्मात्मा को अस्वीकार कर हत्यारे की रिहाई की माँग की। जीवन के अधिपति को आप लोगों ने मार डाला; किन्तु ईश्वर ने उन्हें मृतकों में से जिलाया। हम इस बात के साक्षी हैं। ईसा के नाम में विश्वास के कारण उसी नाम ने इस मनुष्य को, जिसे आप देखते और जानते हैं, बल प्रदान किया है। उसी विश्वास ने इसे आप सबों के सामने पूर्ण रूप से स्वस्थ किया है। “
प्रेरित चरित 4:29-30 “ प्रभु! तू उनकी धमकियों पर ध्यान दे और अपने सेवकों को यह कृपा प्रदान कर कि वे निर्भीकता से तेरा वचन सुनायें। तू अपना हाथ बढ़ा कर अपने परमपावन सेवक ईसा के नाम पर स्वास्थ्यलाभ, चिन्ह तथा चमत्कार प्रकट होने दे।''
स्तोत्र 41:1-4 “धन्य है वह, जो दरिद्र की सुधि लेता है! विपत्ति के दिन प्रभु उसका उद्धार करता है। प्रभु पृथ्वी पर उसे सुरक्षित रखता और सुख-शान्ति प्रदान करता है। वह उसे उसके शत्रुओं के हाथों पड़ने नहीं देता। प्रभु उसे रोग-शय्या पर सान्त्वना देता और उसका बिस्तर बदलता है।“
निर्गमन 15:26 “उसने कहा, ''यदि तुम अपने प्रभु-ईष्वर की वाणी ध्यान से सुनोगे और उसकी इच्छा पूरी करोगे, उसकी आज्ञाओं और सब विधियों का पालन करोगे, तो मैं वे बीमारियाँ तुम्हारे ऊपर नहीं ढाहूँगा, जिन्हें मैंने मिस्रियों पर ढाही थी; क्योंकि मैं वह प्रभु हूँ, जो तुम्हें स्वस्थ करता हैं।“
स्तोत्र 107: 19-22 “उन्होंने अपने संकट में प्रभु की दुहाई दी और उसने विपत्ति से उनका उद्धार किया। उसने अपनी वाणी भेज कर उन्हें स्वस्थ किया और कब्र से उनका उद्धार किया। वे प्रभु को धन्यवाद दे- उसके प्रेम के लिए और मनुष्यों के कल्याणार्थ उसके चमत्कारों के लिए। वे धन्यवाद का बलिदान चढ़ायें और आनन्द के गीत गाते हुए उसके कार्य घोषित करें।“
इसायाह 53:4-5 “वह हमारे ही रोगों का अपने ऊपर लेता था और हमारे ही दुःखों से लदा हुआ था और हम उसे दण्डित, ईश्वर का मारा हुआ और तिरस्कृत समझते थे। हमारे पापों के कारण वह छेदित किया गया है। हमारे कूकर्मों के कारण वह कुचल दिया गया है। जो दण्ड वह भोगता था, उसके द्वारा हमें शान्ति मिली है और उसके घावों द्वारा हम भले-चंगे हो गये हैं।“
यिरमियाह 17:14 “प्रभु मुझे स्वस्थ कर, तभी में स्वस्थ होऊँगा। मेरा उद्धार कर, तभी मेरा उद्धार होगा; क्योंकि मैं तेरी ही स्तुति करता हूँ।“
याकूब 5:13-15 “यदि आप लोगों में कोई कष्ट में हो, तो वह प्रार्थना करे। कोई प्रसन्न हो, तो भजन गाये। कोई अस्वस्थ हो, तो कलीसिया के अध्यक्षों को बुलाये और वे प्रभु के नाम पर उस पर तेल का विलेपन करने के बाद उसके लिए प्रार्थना करें। वह विश्वासपूर्ण प्रार्थना रोगी को बचायेगी और प्रभु उसे स्वास्थ्य प्रदान करेगा। यदि उसने पाप किया है, तो उसे क्षमा मिलेगी।“
1 पेत्रुस 2:24 “वह अपने शरीर में हमारे पापों को क्रूस के काठ पर ले गये जिससे हम पाप के लिए मृत हो कर धार्मिकता के लिए जीने लगें। आप उनके घावों द्वारा भले-चंगे हो गये हैं।“
लूकस 11:14-26 ईसा ने किसी दिन एक अपदूत निकाला, जिसने एक मनुष्य को गूँगा बना दिया था। अपदूत के निकलते ही गँूगा बोलने लगा और लोग अचम्भे में पड़ गये। परन्तु उन में से कुछ ने कहा, ''यह अपदूतों के नायक बेलजेबुल की सहायता से अपदूतों को निकालता है''। कुछ लोग ईसा की परीक्षा लेने के लिए उन से स्वर्ग की ओर का कोई चिन्ह माँगते रहे। उनके विचार जान कर ईसा ने उन से कहा, ''जिस राज्य में फूट पड़ जाती है, वह उजड़ जाता है और घर के घर ढह जाते हैं। यदि शैतान अपने ही विरुद्ध विद्रोह करने लगे, तो उसका राज्य कैसे टिका रहेगा? तुम कहते हो कि मैं बेलजे’बुल की सहायता से अपदूतों को निकालता हूँ। यदि मैं बेलजे’बुल की सहायता से अपदूतों को निकालता हूँ, तो तुम्हारे बेटे किसी सहायता से उन्हें निकालते हैं? इसलिए वे तुम लोगों का न्याय करेंगे। परन्तु यदि मैं ईश्वर के सामर्थ्य से अपदूतों को निकालता हूँ, तो निस्सन्देह ईश्वर का राज्य तुम्हारे बीच आ गया है। ''जब बलवान् मनुष्य हथियार बाँधकर अपने घर की रखवाली करता है, तो उसकी धन-सम्पत्ति सुरक्षित रहती है। किन्तु यदि कोई उस से भी बलवान् उस पर टूट पड़े और उसे हरा दे, तो जिन हथियारों पर उसे भरोसा था, वह उन्हें उस से छीन लेता और उसका माल लूट कर बाँट देता है। ''जो मेरे साथ नहीं है, वह मेरा विरोधी है और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिखेरता है। ''जब अशुद्ध आत्मा किसी मनुष्य से निकलता है, तो वह विश्राम की खोज में निर्जन स्थानों में भटकता फिरता है। विश्राम न मिलने पर वह कहता है, 'जहाँ से निकला हूँ, अपने उसी घर वापस जाऊँगा'। लौटने पर वह उस घर को झाड़ा-बुहारा और सजाया हुआ पाता है। तब वह जा कर अपने से भी बुरे सात अपदूतों को ले आता है और वे उस घर में घुस कर वहीं बस जाते हैं और उस मनुष्य की यह पिछली दशा पहली से भी बुरी हो जाती है।''