योहन 2:5“उनकी माता ने सेवकों से कहा, ‘‘वे तुम लोगों से जो कुछ कहें वही करना''।
योहन 2:7“ईसा ने सेवकों से कहा, ''मटकों में पानी भर दो''। सेवकों ने उन्हें लबालब भर दिया।“
योहन 14:15“यदि तुम मुझे प्यार करोगे तो मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे। “
मत्ती 7:21-23''जो लोग मुझे 'प्रभु ! प्रभु ! कह कर पुकारते हैं, उन में सब-के-सब स्वर्ग-राज्य में प्रवेश नहीं करोगे। जो मेरे स्वर्गिक पिता की इच्छा पूरी करता है, वही स्वर्गराज्य में प्रवेश करेगा। (22) उस दिन बहुत-से लोग मुझ से कहेंगे, 'प्रभु ! क्या हमने आपका नाम ले कर भविष्यवाणी नहीं की? आपका नाम ले कर अपदूतों को नहीं निकला? आपका नाम ले कर बहुत-से चमत्कार नहीं दिखाये?' (23) तब मैं उन्हें साफ-साफ बता दूँगा, 'मैंने तुम लोगों को कभी नहीं जाना। कुकर्मियों! मुझ से दूर हटो।'
एज़ेकिएल 36:26-27“ मैं तुम लोगों को एक नया हृदय दूँगा और तुम में एक नया आत्मा रख दूँगा। मैं तुम्हारे शरीर से पत्थर का हृदय निाकल कर तुम लोगों को रक्त-मांस का हृदय प्रदान करूँगा। (27) मैं तुम लोगों में अपना आत्मा रख दूँगा, जिससे तुम मेरी संहिता पर चलोगे और ईमानदारी से मेरी आज्ञाओं का पालन करोग।
विधिविवरण 30:6“तब प्रभु, तुम्हारा ईष्वर तुम्हारा तथा तुम्हारे वंषजों के हृदय का ख़तना करेगा, जिससे तुम प्रभु, अपने ईष्वर को सारे हृदय और सारी आत्मा से प्रेम कर सको और जीवित रह सको।“
उत्पत्ति 22:18 ईश्वर ने इब्राहिम से कहा, “तुमने मेरी आज्ञा का पालन किया है; इसलिए तुम्हारे वंश के द्वारा पृथ्वी के सभी राष्ट्रों का कल्याण होगा।''
निर्गमन 19:5“यदि तुम मेरी बात मानोगे और मेरे विधान के अनुसार चलोगे, तो तुम सब राष्ट्रों में से मेरी अपनी प्रजा बन जाओगे; क्योंकि समस्त पृथ्वी मेरी है।“
लूकस 11:28“ईसा ने कहा, “ वे कहीं अधिक धन्य हैं, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं''।
याकूब 1:22“आप लोग अपने को धोखा नहीं दें। वचन के श्रोता ही नहीं, बल्कि उसके पालनकर्ता भी बनें।“
1 योहन 5:2-3“यदि हम ईश्वर को प्यार करते हैं और उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं, तो हमें ईश्वर की सन्तान को भी प्यार करना चाहिए। (3) ईश्वर की आज्ञाओं का पालन करना- यही ईश्वर का प्रेम है। उसकी आज्ञाएं भारी नहीं, “
2 योहन 6“प्यार का अर्थ यह है कि हम उसकी आज्ञाओं के मार्ग पर चलते रहें। जो आदेश आप को प्रारम्भ से प्राप्त है, वह यह है कि आप को प्रेम के मार्ग पर चलना चाहिए।“
1 योहन 2:3-6”यदि हम उनकी आज्ञाओं का पालन करेंगे, तो उस से हमें पता चलेगा कि हम उन्हें जानते हैं। (4) जो कहता है कि मैं उन्हें जानता हूँ, किन्तु उनकी आज्ञाओं का पालन नहीं करता वह झूठा है और उस में सच्चाई नहीं है। (5) परन्तु जो उनकी आज्ञाओं का पालन करता है, उस में ईश्वर का प्रेम परिपूर्णता तक पहुँचता है। (6) जो कहता है कि मैं उन में निवास करता हूँ, उसे वैसा ही आचरण करना चाहिए, जैसा आचरण मसीह ने किया।“
1 समुएल 15:22-23“समूएल ने उत्तर दिया, ÷÷क्या होम और बलिदान प्रभु को इतने प्रिय होते हैं, जितना उसके आदेश का पालन? नहीं! आज्ञापालन बलिदान से कहीं अधिक उत्तम है और आत्मसमर्पण भेड़ों की चरबी से बढ़ कर है; (23) क्योंकि विद्रोह जादू-टोने की तरह पाप है और आज्ञाभंग मूर्तिपूजा के बराबर है। तुमने प्रभु का वचन अस्वीकार किया, इसलिए प्रभु ने तुम को अस्वीकार किया - तुम अब से राजा नहीं रहोगे।''
स्तोत्र 119:1-8“धन्य हैं वे, जो निर्दोष जीवन बिताते हैं, जो प्रभु की संहिता के मार्ग पर चलते हैं! (2) धन्य हैं वे, जो उसके आदेशों का पालन करते और उन्हें हृदय से चाहते हैं, (3) जो अधर्म नहीं करते और उसके बताये हुए मार्ग पर चलते हैं! (4) तूने इसलिए अपना विधान घोषित किया कि हम उसका पूरा-पूरा पालन करें। (5) ओह! मैं तेरे आदेश पूरे करने में सदा दृढ़ बना रहूँ। (6) यदि मैं तेरी आज्ञाओं का ध्यान करता रहूँगा, तो मुझे कभी हताश नहीं होना पड़ेगा। (7) मैं तेरे न्यायसंगत निर्णयों का अध्ययन करते हुए निष्कपट हृदय से तेरा स्तुतिगान करता रहूँगा। (8) मैं तेरे आदेशों का पालन करता हूँ, तू कभी मेरा परित्याग न कर। “
रोमियों 5:19“जिस तरह एक ही मनुष्य के आज्ञाभंग के कारण सब पापी ठहराये गये, उसी तरह एक ही मनुष्य के आज्ञापालन के कारण सब पापमुकत ठहराये जायेंगे।“