रोज की तरह सिस्टर रानी मरिया 25 फरवरी 1995 को भी बडे सबेरे उठी. उन्हें बस में इन्दौर की ओर यात्रा करनी थी। वहाँ से भोपाल और भोपाल से ट्रेन में केरल जाने का प्रोग्राम था। सिस्टर लिज़ा रोस याद करती है – “जब सुबह मैंने अपने मठ के प्रार्थनालय में प्रवेश किया, तब सिस्टर रानी मरिया सब सिस्टरों से पहले ही वहाँ बैठी हुयी थी। भोजनालय में नाश्ता करने के पश्चात् अपनी आदत के अनुसार उन्होंने बाइबिल खोली, तो उन्हें नबी इसायाह 49:16 मिला जहाँ लिखा है, “मैंने तुम्हें अपनी हथेलियों पर अंकित किया है, तुम्हारी चारदीवारी निरन्तर मेरी आँखों के सामने है।”
दो धर्मबहनों के साथ सिस्टर रानी मरिया बस स्टेंड पहुँची। वहाँ पर उन्हें यह बताया गया कि बस रद्द की गयी है। यह सुन कर जब वे वापस जा रहे थे, तब रास्ते में उन्होंने देखा कि ’कपिल’ नामक बस जिसमें उन्हें यात्रा करनी थी वहाँ से निकलने वाली थी। सिस्टर लिज़ा ने परिचालक से एक सीट सिस्टर रानी मरिया के लिए आरक्षित करने का अनुरोध किया। तब उनको बताया गया कि बस 8.15 बजे रवाना होगी और सिस्टर रानी मरिया कॉन्वेंट के सामने से ही बस में चढ़ सकती हैं।
कुछ ही समय में बस कॉन्वेंट के सामने खडी हो गयी और अपनी सहयोगी धर्मबहनों से विदा ले कर सिस्टर रानी मरिया बस में चढ़ गयी। सिस्टर लिज़ा ने बेग लेकर बस में चढ़ने की मदद की। सफ़ेद कपडे पहने एक युवक ने सिस्टर रानी मरिया का बेग ड्राइवर की सीट के पास रखने के बाद सिस्टर से पीछे की एक सीट पर बैठने को कहा। यह उदयनगर में एक असाधारण व्यवहार था क्योंकि सिस्टरों को हमेशा आगे की सीट दी जाती थी। उस बस में अलग-अलग सीटों पर बैठे हुए करीब 50 यात्रियों में तीन व्यक्तियों का एक ही लक्ष्य था – सिस्टर रानी मरिया को मार डालना। जीवन सिंह, उनका नेता, अपने अंगरक्षक के साथ पीछे की सीट पर बैठा हुआ था। समुन्दर सिंह नामक 28 साल का युवक सिस्टर रानी मरिया के पास ही बैठा हुआ था। जीवन सिंह यह बोल कर सिस्टर रानी मरिया का अपमान करने लगा, “तुम केरल से इधर क्यों आयी हो? यहाँ के आदिवासियों का ईसाइ धर्म में धर्मान्तरण करने आयी हो? हम कभी ऐसा होने नहीं देंगे।“
बस करीब 20 किलोमीटर चलने के बाद जंगल पहुँच गयी थी। समुन्दर सिंह ने अपनी सीट पर से उठ कर ड्राइवर को बस रोकने को कहा। फिर उसने बाहर निकल कर एक पत्थर पर नारिएल फोड कर वापस आ कर नारिएल के टुकडे यात्रियों को प्रसाद के रूप में खिलाया। उसने एक टुकडा सिस्टर रानी मरिया को भी देने के लिए हाथ बढ़ाया, बल्कि तुरन्त ही अपना हाथ वापस खींच लिया। सिस्टर ने उस से पूछा, “आप इतने खुश क्यों हैं।” “इसी कारण” बोल कर उसने छिपे हुए चाकू निकाल कर सिस्टर के पेट पर मारा। उसके बार उसने सिस्टर पर बार-बार प्रहार किया। बस रुक गयी। उसने सिस्टर को खींच कर बाहर निकाला और उनके शरीर पर फिर से उनकी मृत्यु तक चाकू मारने लगा। पोस्टमोर्टम रिपोर्ट के मुताबिक सिस्टर के शरीर में 40 बडे तथा 14 छोटे घाव थे। मृत्यु तक सिस्टर ’येसु’, ’येसु’ बोलती रही। कोई भी यात्री सिस्टर को बचाने के लिए आगे नही आया। वे सब भाग गये। उनमें से एक ने बाद में सिस्टर लिज़ा रोस को इस घटना का विवरण सुनाया।
सिस्टर रानी मरिया की हत्या की योजना पहले से ही बनायी गयी थी। सन 1994 में दिसंबर महीने की शुरूआत में पंचायत चुनाव से पहले कन्नाड गाँव के लोगों और सेमली गाँव के लोगों के बीच झगडा हुआ था जिसमें जीवन सिंह घायल हो गया था। पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ़्तार कर लिया था, उनमें से कई लोग बेगुनाह थे। सिस्टर रानी मरिया ने मदद कर उन लोगों को जमानत पर छुडाया। इससे जीवन सिंह क्रोधिध हो गये और उन्होंने सिस्टर रानी मरिया की हत्या की योजना बनायी।
10.45 बजे पुलिस ने उदयनगर की सिस्टरों को यह खबर दी कि सिस्टर रानी मरिया की हत्या की गयी है, उनकी लाश सडक पर पडी है, आप लोग जाकर उसे ले सकते हैं। सिस्टरों के पास कोई गाडी न होने के कारण उन्होंने इन्दौर बिशप्स हाउस तथा भोपाल प्रोविन्शियल हाउस में फोन से खबर पहुँचायी। यह खबर सुन कर बिशप डॉ. जार्ज अनाथिल कुछ पुरोहितों के साथ दोपहर 2 बजे जगह पर पहुँच कर बस के किनारे सिस्टर रानी मरिया की खून में भिगा हुया शरीर देखा। बिशप जार्ज सभी औपचारिकताओं को पूरा कर लाश इन्दौर बिशप्स हाउस ले गये। उन्होंन उसे वहाँ विश्वासियों के दर्शन के लिए रखा।
सिस्टर रानी मरिया की हत्या की खबर देश भर में जल्द ही फैल गयी। बहुत से लोग उनके पार्थिव शरीर के दर्शन करने आये। सरकारी अधिकारियों को इस विषय में ज्ञापन सौंपे गये। 27 फरवरी सुबह 7 धर्माध्यक्षों, 100 से अधिक पुरोहितों तथा हज़ारों लोकधर्मियों की उपस्थिति में मिस्सा बलिदान चढ़ाने के बाद सिस्टर रानी मरिया का पार्थिव शरीर लेकर जुलूस करीब 125 गाडियों में 102 किलोमीटर दूर उदयनगर की ओर बढ़ी। वहाँ पर कई धार्मिक नेताओं ने रानी मरिया की शहादत की सराहना की। उदयनगर में चर्च के पास ही एक कब्र में उनको दफनाया गया।