संत पापा फ़्रांसिस ने कार्डिनल रोबर्ट सारह, जो दिव्य पूजन-विधि तथा संस्कारों के रोमी प्रशासनिक विभाग के अनुशासक (Prefect of the Congregation for Divine Worship and the Discipline of the Sacraments) है, को 20 दिसंबर को एक पत्र लिखा। इस पत्र में संत पापा लिखते है कि अब से पुण्य बृहस्पतिवार को पाद-प्रक्षालन (पैर धोने) के लिए लोगों का चयन न केवल पुरुषों एवं लडकों बल्कि ईश्वर की प्रजा के किसी भी वर्ग से किया जा सकता है।
कार्डिनल को लिखते हुए संत पापा कहते हैं कि पिछले कुछ समय से मैं, प्रभु-भोज (Coena Domini) के मिस्सा बलिदान की पूजन विधि में पाद-प्रक्षालन की विधि पर उसे बहत्तर बनाने के उद्देश्य के साथ चिंतन करते आया हूँ कि अंत तक स्वयं को समर्पित करने तथा असीमित परोपकार को प्रकट करने वाली अटारी में संपन्न प्रभु के संकेत की अभिव्यक्ति किस प्रकार और अधिक प्रभावशाली बनाया जाए।
संत पाप कहते हैं, "सावधानीपूर्वक विचार के पश्चात् मैंने रोमी मिस्सा ग्रन्थ में एक बदलाव लाने का निर्णय लिया है। अतः मैं यह आदेश देता हूँ कि उस अनुच्छेद में, जिसके अनुसार सिर्फ़ पुरूष एवं लडके ही पाद-प्रक्षालन के लिए चुने जाए, परिवर्तन किया जाये। इस तरह अब से कलीसिया के पुरोहित इस धर्मविधि में ईश्वर की प्रजा के सभी सदस्यों में से इनका चुनाव कर सकते हैं। मैं यह भी सिफारिश करता हूँ कि चुने गये व्यक्तियों को इस संस्कार के बारे में पर्याप्त स्पष्टीकरण प्रदान किया जाए।”
संत पापा के इस आदेश का पालन करते हुए दिव्य पूजन-विधि तथा संस्कारों के रोमी प्रशासनिक विभाग ने धर्माध्यक्षों तथा पुरोहितों को यह निर्देश दिया है कि पुण्य बृहस्पतिवार के पाद-प्रक्षालन की विधि के लिए चुने जाने वाले लोगों के समूह में ईश्वर की प्रजा की एकता तथा विविधता के हरेक अंश को प्रतिनिधित्व देते हुए स्त्री एवं पुरुष, और आदर्शतः युवा एवं बुजुर्ग, स्वस्थ एवं रोगी, याजक, समर्पित तथा लोकधर्मी सम्मिल्लित हो।