मेरे पिताजी के टूटे सपने

Smiley face उडाऊ पुत्र के दृष्टान्त में हम देखते हैं कि छोटा बेटा अपने पिता से सम्पत्ति का अपना हिस्सा माँग कर पिता को छोड़ कर घर से बहुत दूर चला जाता है। उस समय पिताजी को बहुत दुख हुआ होगा। पिताजी ने उस पुत्र के भविष्य को ले कर कितने सारे सपने देखे थे! उन्होंने अपने बेटे के जीवन के लिए कितनी महान योजनाएं बनायी थीं। इन सपनों और योजनाओं को मिट्टी में मिला कर वह बेटा घर से निकलता है।

ईश्वर हम में से हरेक के लिए बहुत से सपने देखते हैं, योजनएं बनाते हैं। यिरमियाह 29:11 में प्रभु कहते हैं, “मैं तुम्हारे लिए निर्धारित अपनी योजनाएँ जानता हूँ“- यह प्रभु की वाणी है- “तुम्हारे हित की योजनाएँ, अहित की नहीं, तुम्हारे लिए आशामय भविष्य की योजनाएं।” पिता ईश्वर ने अपने पुत्र येसु ख्रीस्त के लिए एक योजना बनायी – संसार की मुक्ति की योजना। अगर येसु अपने पिता की इच्छा तथा योजना को ठुकरा देते तो हमारी और मानवजाति की मुक्ति नहीं हो पाती। अगर माता मरियम ईश्वर के सामने ’हाँ’ के बदले में ’न’ कहती, तो वे ईश्वर की योजना को पूर्ण न होने देती!

prodigal_sonईश्वरीय इच्छा तथा योजना के विरुध्द जाना ही पाप है। योना के ग्रन्थ में हम देखते हैं कि ईश्वर ने पापमय जीवन बिताने वाले निनीवे शहर के लोगों को बचाने के लिए एक योजना बनायी। उस योजना के तहत ईश्वर ने योना को बुला कर उन्हें निनीवे के लोगों को पश्चात्ताप का सन्देश सुनाने भेजा। लेकिन नबी योना ने निनीवे शहर जाने के बजाय तरशीश जाने का निर्णय लिया। जाते जाते उसे बहुत-सी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। यहाँ तक कि उन्हें समुद्र में फेंका गया। तब निनीवे शहर के लोगों के प्रति प्यार और अनुकम्पा से प्रेरित होकर पिता ईश्वर ने जो योजना बनायी थी, वह पूरी नहीं हो पा रही थी। ईश्वर ने योना के मन-परिवर्तन की कामना की। प्रभु के आदेशानुसार एक मच्छ योना को निगल गया और योना तीन दिन और तीन रात मच्छ के पेट में पडा रहा। योना ने मच्छ के पेट से ही प्रभु, अपने ईश्वर से प्रार्थना की। तब प्रभु ने मच्छ को आदेश दिया और उसने योना को तट पर उगल दिया।

प्रभु ने फिर से योना को आदेश दिया, “उठो! महानगर निनीवे जा कर वहाँ के लोगों को उपदेश दो, जैसा कि मैंने तुम्हें बताया है’’। इस पर योना उठ खडा हुआ और प्रभु के आज्ञानुसार निनीवे चला गया। योना के प्रवचन सुन कर निनीवे के सभी लोग पश्चात्ताप तथा प्रायश्चित्त कर प्रभु के पास लौट आये। निनीवे के राजा ने यह खबर सुनी। उसने अपना सिंहासन छोड दिया, अपने वस्त्र उतार कर टाट पहन लिया और वह राख पर बैठ गया। इसके बाद उसने निनीवे में यह आदेश घोषित किया, “यह राजा तथा उसके सामन्तों का आदेश है: चाहे मनुष्य हो या पशु, गाय-बैल हो या भेड-बकरी, कोई भी न तो खायेगा, न चरेगा और न पानी पियेगा। सभी व्यक्ति टाट ओढ कर पूरी शक्ति से ईश्वर की दुहाई देंगे। सभी अपना कुमार्ग तथा अपने हाथों से होने वाले हिंसात्मक कार्य छोड दें। क्या जाने ईश्वर द्रवित हो जाये, उसका क्रोध शान्त हो जाये और हमारा विनाश न हो”। सभी लोगों ने राजा की आज्ञा का पालन किया। इस पर ईश्वर ने द्रवित होकर जिस विपत्ति की धमकी दी थी, उसे उन पर नहीं आने दिया।

अगर योना वापस नहीं आता तो ईश्वर की योजना अधूरी रह जाती। जब हम पाप करते हैं, तो हम अपने जीवन को तो बिगाड देते ही है; साथ-साथ ईश्वर की योजनाओं को भी बिगाड देते हैं, ईश्वर के सपनों को टूटने देते हैं। लेकिन अगर हम पश्चात्ताप कर ईश्वर के पास लौट आते हैं, तो हम योना के समान पुन: ईश्वर की योजनाओं को सफल बनाने में सहयोग दे सकते हैं।

उडाऊ पुत्र के लौटने पर उसके प्रेममय पिता के टूटे हुए सपने पुन: साकार होने लगते हैं। चालीसा काल में हम भी अपने पापों और कुकर्मों को छोड कर अपने स्वर्गिक पिता के पास लौट जायें और उनकी योजनाओं को बिगड़ने न दें। ईश्वर मेरी और आपकी मदद करें।

-फादर फ़्रांसिस स्करिया


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