वर्ष का आठवाँ सप्ताह, बुधवार - वर्ष 2

पहला पाठ

सन्त पेत्रुस का पहला पत्र 1:18-25

“आपका उद्धार एक निर्दोष तथा निष्कलंक मेमने अर्थात्‌ मंसीह के मूल्यवान्‌ रक्त की कीमत पर हुआ है।”

आप लोग जानते हैं कि आपके पुरखों से चली आयी हुई निरर्थक जीवन-चर्या से आपका उद्धार सोने-चाँदी जैसी नश्वर चीजों की कीमत पर नहीं हुआ है, बल्कि एक निर्दोष तथा निष्कलंक मेमने अर्थात्‌ मसीह के मूल्यवान रक्त की कीमत पर। वह संसार की सृष्टि से पहले तो नियुक्त किये गये थे, किन्तु समय के अन्त में आपके हेतु प्रकट हुए। उन्हीं के द्वारा आप लोग अब ईश्वर में विश्वास करते हैं। ईश्वर ने उन्हें मृतकों में से इसलिए जिलाया और महिमान्वित किया है कि ईश्वर में आपका विश्वास ईश्वर पर आपका भरोसा भी हो। आप लोगों ने आज्ञाकारी बन कर सत्य को स्वीकार किया और इस प्रकार अपनी आत्माओं को पवित्र कर लिया है; इसलिए अब आप लोगों को निष्कपट भ्रात-भाव, सारे हदय और सच्ची लगन से एक दूसरे को प्यार करना चाहिए। आपने दुबारा जन्म लिया है - आप लोगों का यह जन्म नश्वर जीवन-तत्त्व से नहीं, बल्कि ईश्वर के जीवन्त एवं शाश्वत वचन से हुआ है। क्योंकि लिखा है - समस्त शरीरधारी घास के सदृश हैं और उनका सौन्दर्य घास के फूल की तरह। घास मुरझाती है और फूल झड़ता है, किन्तु ईश्वर का वचन युग युगों तक बना रहता है। और यह वचन वह सुसमाचार है, जो आप को सुनाया गया है।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 147:12-15,19-20

अनुवाक्य : हे येरुसालेम ! प्रभु की स्तुति कर। (अथवा : अल्लेलूया !)

हे येरुसालेम ! प्रभु की स्तुति कर। हे सियोन ! अपने ईश्वर का गुणगान कर। उसने तेरे फाटकों के छड़ सुदृढ़ बना दिये, उसने तेरे यहाँ के बच्चों को आशीर्वाद दिया।

2. वह तेरे प्रान्तों में शांति बनाये रखता और तुझे उत्तम गेहूँ से तृप्त करता है। वह पृथ्वी को अपना आदेश देता है। उसकी वाणी शीघ्र ही फैल जाती है।

3. वह याकूब को अपना आदेश देता और इस्राएल को अपना विधान तथा नियम बताता है, उसने किसी अन्य राष्ट्र के साथ ऐसा नहीं किया; उसने किसी को अपना नियम नहीं सिखाया।

जयघोष

अल्लेलूया ! मानव पुत्र सेवा करने और बहुतों के उद्धार के लिए अपना प्राण देने आया है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 10:32-45

“देखो, हम येरुसालेम जा रहे हैं। मानव पुत्र महायाजकों के हवाले कर दिया जायेगा।”

शिष्य येरुसालेम के मार्ग पर आगे बढ़ रहे थे। येसु शिष्यों के आगे-आगे चलते थे। शिष्य बहुत घबराये हुए थे और पीछे आने वाले लोग भयभीत थे। येसु बारहों को फिर अलग ले जा कर उन्हें बताने लगे कि मुझ पर क्या-क्या बीतेगी, “देखो, हम येरुसालेम जा रहे हैं। मानव पुत्र महायाजकों और शास्त्रियों के हवाले कर दिया जायेगा। वे उसे प्राणदण्ड की आज्ञा सुना कर गैरयहूदियों के हवाले कर देंगे, उसका उपहास करेंगे, उस पर थूकेंगे, उसे कोड़े लगायेंगे और मार डालेंगे; लेकिन तीसरे दिन वह जी उठेगा।” जेबेदी के पुत्र याकूब और योहन येसु के पास आ कर बोले, “गुरुवर ! हम अपने लिए एक निवेदन कर रहे हैं। आप उसे पूरा करें।” येसु ने उत्तर दिया, “क्या चाहते हो? मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ?” उन्होंने कहा, “अपने राज्य की महिमा में हम दोनों को अपने साथ बैठने दीजिए, एक को अपने दायें और एक को अपने बायें।” येसु ने उन से कहा, “तुम नहीं जानते कि क्या माँग रहे हो। जो प्याला मुझे पीना है, कया तुम उसे पी सकते हो और जो बपतिस्मा मुझे लेना है, कया तुम उसे ले सकते हो?” उन्होंने उत्तर दिया, “हम यह कर सकते हैं।” इस पर येसु ने कहा, “जो प्याला मुझे पीना है, उसे तुम पियोगे और जो बपतिस्मा मुझे लेना है, उसे तुम लोगे; किन्तु तुम्हें अपने दायें या बायें बैठने देने का अधिकार मेरा नहीं है। वे स्थान उन लोगों के लिए हैं, जिनके लिए वे तैयार किये गये हैं।” जब दस प्रेरितों को यह मालूम हुआ, तो वे याकूब और योहन पर क्रुद्ध हो गये। येसु ने उन्हें अपने पास बुला कर कहा, “तुम जानते हो कि जो संसार के अधिपति माने जाते हैं, वे अपनी प्रजा पर निरंकुश शासन करते हैं और सत्ताधारी लोगों पर अधिकार जताते हैं। तुम में ऐसी बात नहीं होगी। जो तुम लोगों में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने और जो तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने। क्योंकि मानव पुत्र भी अपनी सेवा कराने नहीं, बल्कि सेवा करने और बहुतों के उद्धार के लिए अपने प्राण देने आया है।”

प्रभु का सुसमाचार।