वर्ष का सातवाँ सप्ताह – शनिवार – वर्ष 2

पहला पाठ

सन्त याकूब का पत्र 5:13-20

”धर्मात्मा की भक्तिमय प्रार्थना बहुत प्रभावशाली होती है।”

यदि आप लोगों में कोई कष्ट में हो, तो वह प्रार्थना करे; कोई प्रसन्न हो, तो भजन गाये; कोई अस्वस्थ हो, तो कलीसिया के पुरोहितों को बुलाये और वे प्रभु के नाम पर उस पर तेल का विलेपन करने के बाद उसके लिए प्रार्थना करें। वह विश्वासपूर्ण प्रार्थना रोगी को बचायेगी और प्रभु उसे स्वास्थ्य प्रदान करेगा। यदि उसने पाप किया, तो उसे क्षमा मिलेगी। इसलिए आप लोग एक दूसरे के सामने अपने-अपने पाप स्वीकार करें और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करें, जिससे आप स्वस्थ हो जायें। धर्मात्मा की भक्तिमय प्रार्थना बहुत प्रभावशाली होती है। एलियस हमारी ही तरह निरे मनुष्य थे। उसने आग्रह के साथ इसलिए प्रार्थना की कि पानी न बरसे और साढ़े तीन वर्ष तक पृथ्वी पर पानी नहीं बरसा। उसने दुबारा प्रार्थना की - स्वर्ग से पानी बरसा और पृथ्वी पर फसल उगने लगी। मेरे भाइयो ! यदि आप लोगों में से कोई सच्चे मार्ग से भटके और कोई दूसरा उसे वापस ले आये, तो यह समझिए कि जो किसी पापी को कुमार्ग से वापस ले आता है, वह उसकी आत्मा को मृत्यु से बचाता है और बहुत-से पाप ढाँक देता है।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 140:1-3,8

अनुवाक्य : हे प्रभु ! मेरी विनती धूप की तरह तेरे पास पहुँचे।

1. हेप्रभु! मैं तुझे पुकारता हूँ, शीघ्र ही मेरी सहायता कर। मैं तेरी दुहाई देता हूँ, मेरी विनय पर ध्यान दे। मेरी विनती धूप की तरह तेरे पास पहुँचे। मेरी करबद्ध प्रार्थना तुझे सन्ध्या-पूजा की तरह ग्राह्य हो।

2. हे प्रभु ! मेरे मुख की रखवाली कर, मेरे होठों के द्वार पर पहरा बैठा। हे प्रभु-ईश्वर ! मैं तुझ पर भरोसा रखता हूँ, मैं तेरी शरण में आया हूँ; मुझे बचाने की कृपा कर।

जयघोष

अल्लेलूया ! हे पिता ! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु ! मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने राज्य के रहस्यों को निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

सन्त मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 10:13-16

“जो छोटे बालक की तरह ईश्वर का राज्य ग्रहण नहीं करता, वह उस में प्रवेश नहीं करेगा।”

लोग येसु के पास बच्चों को लाते थे, जिससे वह उन पर हाथ रख दें; परन्तु शिष्य लोगों को डाँटते थे। येसु यह देख कर बहुत अप्रसन्न हुए और उन्होंने कहा, “बच्चों को मेरे पास आने दो। उन्हें रोको मत, क्योंकि ईश्वर का राज्य उन जैसे लोगों का है। मैं तुम से कहे देता हूँ - जो छोटे बालक की तरह ईश्वर का राज्य ग्रहण नहीं करता, वह उस में प्रवेश नहीं करेगा।” तब येसु ने बच्चों को छाती से लगा लिया और उन पर हाथ रख कर आशीर्वाद दिया।

प्रभु का सुसमाचार।