वर्ष का सातवाँ सप्ताह – बृहस्पतिवार – वर्ष 2

पहला पाठ

सन्त याकूब का पत्र 5:1-6

“आपने अपने मजदूरों को मजदूरी नहीं दी। उनकी दुहाई प्रभु के कानों तक पहुँच गयी है।”

ऐ धनियो ! मेरी बात सुनिए। आप लोगों को रोना और विलाप करना चाहिए, क्योंकि विपत्तियाँ आप पर आ पड़ने वाली हैं। आपकी सम्पत्ति सड़ गयी है; आपके कपड़ों में कीड़े लग गये हैं; आपकी सोना-चाँदी पर मोरचा जम गया है। वह मोरचा आप को दोष देगा; वह आग की तरह आपका शरीर खा जायेगा। यह युग का अंत है और आप लोगों ने धन का ढेर लगा लिया है। मजदूरों ने आपके खेतों की फसल लुनी है और आपने उन्हें मजदूरी नहीं दी। वह मजदूरी पुकार रही है और लुनने वालों की दुहाई विश्वमंडल के प्रभु के कानों तक पहुँच गयी है। आप लोगों ने पृथ्वी पर सुख और भोग-विलास का जीवन बिताया है और वध के दिन के लिए अपने को हृष्ट-पुष्ट बना लिया है। आपने धर्मी को दोषी ठहरा कर मार डाला है और उसने तुम्हारा कोई विरोध नहीं किया।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 48:14-20

अनुवाक्य : धन्य हैं वे, जो अपने को दीन-हीन समझते हैं - स्वर्गराज्य उन्हीं का है।

1. यही उन लोगों की गति है, जो अपने धन पर भरोसा रखते और डींग मारते हैं। वे भेड़ों की तरह अधोलोक के बाड़े में बन्द किये जाएँगे और मृत्यु उनका चरवाहा होगी।

<प>2. वे इस पृथ्वी पर से लुप्त हो जाएँगे और अधोलोक में पड़े रहेंगे। ईश्वर मेरी आत्मा छुड़ायेगा, वही अधोलोक से बचा सकेता।

3. इसलिए इसकी चिन्ता मत करो कि धनी का वैभव बढ़ता जा रहा है। मरने के बाद वह कुछ भी अपने साथ नहीं ले जायेगा, उसका वैभव उसका साथ नहीं देगा।

4. वह अपने जीवन में अपने को धन्य समझता और अपना भाग्य सराहता रहा, किन्तु वह अपने पूर्वजों के पास जायेगा और फिर कभी दिन का प्रकाश नहीं देख पायेगा।

जयघोष

अल्लेलूया ! ईश्वर का सन्देश, मनुष्य का नहीं, बल्कि - जैसा कि वह वास्तव में है - ईश्वर का वचन समझ कर, स्वीकार करें। अल्लेलूया !

सुसमाचार

सन्त मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 9:41-50

“अच्छा यही है कि तुम लूले हो कर जीवन में प्रवेश करो, किन्तु दोनों हाथों के रहते नरक में न डाले जाओ।”

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, “जो कोई तुम्हें एक प्याला पानी भर इसलिए पिला दे कि तुम मसीह के शिष्य हो, तो मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि वह अपने पुरस्कार से वंचित नहीं रहेगा।” “यदि कोई इन विश्वास करने वाले नन्हों में से किसी एक के लिए भी पाप का कारण बन जाता है, तो उसके लिए अच्छा यही होता कि उसके गले में चक्की का पाट बाँधा जाता और वह समुद्र में फेंक दिया जाता। और यदि तुम्हारा हाथ तुम्हारे लिए पाप का कारण बन जाये तो उसे काट डालो। अच्छा यही है कि तुम लूले हो कर ही जीवन में प्रवेश करो, किन्तु दोनों हाथों के रहते नरक की न बुझने वाली आग में न डाले जाओ। और यदि तुम्हारा पैर तुम्हारे लिए पाप का कारण बन जाये, तो उसे काट डालो। अच्छा यहीं है कि तुम लैंगड़े हो कर ही जीवन में प्रवेश करो, किन्तु दोनों पैरों के रहते नरक में न डाले जाओ। और यदि तुम्हारी आँख तुम्हारे लिए पाप का कारण बन जाये, तो उसे निकाल दो। अच्छा यही है कि तुम काने हो कर ही ईश्वर के राज्य में प्रवेश करो, किन्तु दोनों आँखों के रहते नरक में न डाले जाओ, जहाँ उन में पड़ा हुआ कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती।” “क्योंकि हर व्यक्ति आग रूपी नमक द्वारा रक्षित किया जायेगा।” “नमक अच्छी चीज है; किन्तु यदि वह फीका पड़ जाये, तो तुम उसे किस से छौंकोगे? “ “अपने में नमक बनाये रखो और आपस में मेल रखो।”

प्रभु का सुसमाचार।