भाइयो ! आप लोगों में बहुत-से लोग गुरु न बनें, क्योंकि आप जानते हैं कि हम गुरुओं से अधिक कड़ाई से लेखा माँगा जायेगा। हम सब बारम्बार गलत काम करते हैं। जो कभी ग़लत बात नहीं कहता, वह पहुँचा हुआ मनुष्य है और वह अपने पूर्ण शरीर को नियंत्रण में रख सकता है। यदि हम घोड़ों को वश में रखने के लिए उनके मुँह में लगाम लगाते हैं, तो उनके सारे शरीर को इधर-उधर घुमा सकते हैं। जहाज का भी उदाहरण लीजिए - वह कितना ही बड़ा क्यों न हो और तेज हवा से भले ही बहाया जा रहा हो, तब भी वह कर्णधार की इच्छा के अनुसार एक छोटी-सी पतवार से चलाया जाता है। इसी प्रकार जीभ शरीर का एक छोटा-सा अंग है, किन्तु वह शक्तिशाली होने का दावा कर सकती है। देखिए, एक छोटी-सी चिनगारी कितने विशाल वन में आग लगा सकती है। जीभ भी एक आग है, जो हमारे अंगों के बीच हर प्रकार की बुराई का स्रोत है। वह हमारा समस्त शरीर दूषित करती और नरकाग्नि से प्रज्बलित हो कर हमारे पूरे जीवन में आग लगा देती है। हर प्रकार के पशु और पक्षी, रेंगगेवाले और जलचर जीव-जन्तु सब के सब मानव जाति द्वारा वश में किये जा सकते हैं अथवा वश में किये जा चुके हैं किन्तु कोई भी मनुष्य अपनी जीभ को वश में नहीं कर सकता। वह एक ऐसी बुराई है, जो कभी शांत नहीं रहती और प्राणघातक विष से भरी हुई है। हम उस से प्रभु एवं पिता की स्तुति करते हैं और उसी से मनुष्यों को अभिशाप देते हैं जिन्हें ईश्वर ने अपना प्रतिरूप बनाया है। एक ही मुख से स्तुति और अभिशाप निकलता है। मेरे भाइयो ! यह उचित नहीं है।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु! तू ही हमारी रक्षा करता रहेगा।
1. हे प्रभु! रक्षा कर। कोई भी भक्त नहीं रहा। मनुष्यों में सत्य का लोप हो गया है। लोग एक दूसरे से झूठ बोलते और कपटपूर्ण हृदय से चिकनी-चुपड़ी बातें करते हैं।
2. प्रभु झूठ बोलने वालों का सर्वगाश करे और डींग मारने वालों का भी, जो कहते हैं - “हम अपनी वाणी के बल पर विजयी होंगे। हम जो चाहेंगे, वही कहेंगे। हमारा प्रभु कौन?"
3. प्रभु की वाणी सच्ची है। वह उस चाँदी के सदृश है, जो सात बार घड़िया में जलायी गयी है। हे प्रभु ! तू ही हमारी रक्षा करता रहेगा और इस दुष्ट पीढ़ी से हमें सदा बचायेगा।
अल्लेलूया ! स्वर्ग खुल गया और पिता की वाणी सुनाई पड़ी - “यह मेरा प्रिय पुत्र है। इसकी सुनो।” अल्लेलूया !
येसु ने पेत्रुस, याकूब और योहन को अपने साथ ले लिया और वह उन्हें एक ऊँचे पहाड़ पर एकान्त में ले चले। उनके सामने ही येसु का रूपान्तरण हो गया। उनके वस्त्र ऐसे चमकीले और उजले हो गये कि दुनिया का कोई धोबी उन्हें उतना उजला नहीं कर सकता। शिष्यों को एलियस और मूसा दिखाई दिये - वे येसु के साथ बातचीत कर रहे थे। उस समय पेत्रुस ने येसु से कहा, “गुरुवर ! यहाँ होना हमारे लिए कितना अच्छा है ! हम तीन तम्बू खड़ा कर दें - एक आपके लिए, एक मूसा और एक एलियस के लिए।” उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहे, क्योंकि वे सब बहुत डर गये थे। तब एक बादल आ कर उन पर छा गया और उस बादल में से यह वाणी सुनाई दी, “यह मेरा प्रिय पुत्र है। इसकी सुनो।” इसके तुरन्त बाद जब शिष्य अपने चारों ओर दृष्टि दौड़ाने लगे, तो उन्हें येसु के सिवा और कोई नहीं दिखाई पड़ा। येसु ने पहाड़ से उतरते समय उन्हें आदेश दिया कि जब तक मानव पुत्र मृतकों में से न जी उठे, तब तक तुम लोगों ने जो देखा है, उसकी चरचा किसी से भी नहीं करना। उन्होंने येसु की यह बात मान ली, परन्तु वे आपस में विचार-विमर्श करते थे कि “मृतकों में से जी उठने' का क्या अर्थ हो सकता है। उन्होंने येसु से पूछा, “शास्त्री यह क्यों कहते हैं कि पहले एलियस को आना है?” येसु ने उत्तर दिया, “एलियस को अवश्य पहले आना है और सब कुछ ठीक कर देना है। फिर मानव पुत्र के विषय में यह क्यों लिखा है कि वह बहुत दुःख उठायेगा और तिरस्कृत किया जायेगा? मैं तुम से कहता हूँ - एलियस आ चुका है और उसके विषय में जैसा लिखा है, उन्होंने उसके साथ वैसा ही मनमाना व्यवहार किया है।
प्रभु का सुसमाचार।