सामान्य काल का छठा सप्ताह, शुक्रवार – वर्ष 2

पहला पाठ

सन्त याकूब का पत्र 2:14-24,26

जिस तरह आत्मा के बिना शरीर निर्जीव है, उसी तरह कार्यो के बिना विश्वास निर्जीव है।

भाइयो ! यदि कोई कहे कि मैं विश्वास करता हूँ, किन्तु उसके अनुसार आचरण नहीं करे, तो इस से क्या लाभ? क्या विश्वास ही उसका उद्धार कर सकता है? मान लीजिए कि किसी भाई या बहन के पास न पहनने के कपड़े हों और न रोज-रोज खाने की चीजें। यदि आप लोगों में से कोई उन से कहे, “खुशी से जाइए। गरम-गरम कपड़े पहन लीजिए और पेट भर खाइए'', किन्तु वह उन्हें शरीर के लिए जरूरी चीजें नहीं दे, तो इस से क्या लाभ? इसी तरह कार्यों के बिना विश्वास अपने में निर्जीव रह जाता है। और ऐसे मनुष्य से कोई कह सकता है, “तुम विश्वास करते हो, किन्तु मैं उसके अनुसार आचरण करता हूँ। मुझे अपना विश्वास दिखाओ, जिस पर तुम नहीं चलते और मैं अपने आचरण द्वारा ही तुम्हें अपने विश्वास का प्रमाण दूँगा। तुम विश्वास करते हो कि केवल एक ईश्वर है। अच्छा करते हो; दुष्ट आत्मा भी ऐसा विश्वास करते हैं, किन्तु काँपते रहते हैं। रे मूर्ख ! क्याट तुम इसका प्रमाण चाहते हो कि कार्यो के बिना विश्वास व्यर्थ है? क्यात हमारे पिता इब्राहीम अपने कार्यों के कारण धार्मिक नहीं माने गये, जब उन्होंने बेदी पर अपने पुत्र इसहाक को अर्पित किया? तुम देखते हो कि उनका विश्वास क्रियाशील था और उनके कार्यो द्वारा ही पूर्णता प्राप्त कर सका। इस प्रकार धर्मग्रन्थ का यह कथन पूरा हो गया, इब्राहीम ने ईश्वर में विश्वास किया और इसी से वह धार्मिक माने गये और ईश्वर के मित्र कहलाये।” आप लोग देखते हैं कि विश्वास मात्र से नहीं, बल्कि कार्यो से मनुष्य धार्मिक बनता है। जिस तरह आत्मा के बिना शरीर निर्जीव है, उसी तरह कार्यों के बिना विश्वास निर्जीव है।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 111:1-6

अनुवाक्य : धन्य है वह, जो प्रभु की आज्ञाओं को हृदय से चाहता है। (अथवा : अल्लेलूया !)

धन्य है वह, जो प्रभु पर श्रद्धा रखता और उसकी आज्ञाओं को हृदय से चाहता है। उसका वंश पृथ्वी पर फलेगा-फूलेगा। प्रभु की आशिष धर्मियों की सन्तति पर बनी रहती है।

2. उसका घर भरा-पूरा होगा, उसकी धार्मिकता कभी विचलित नहीं होगी। वह धर्मियों के लिए अन्धकार का प्रकाश है। वह दयालु, कोमलहदय और न्यायप्रिय है।

3. वह तरस खा कर उधार देता और ईमानदारी से अपना कारबार करता है। वह समन्मार्ग से कभी नहीं भटकेगा।

जयघोष : योहन 15:15

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, “मैंने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैंने अपने पिता से जो कुछ सुना है, वह सब तुम्हें बता दिया है।” अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 8:34-39

“जो मेरे तथा सुसमाचार के कारण अपना जीवन खो देता है, वह उसे सुरक्षित रखेगा।”

येसु ने अपने शिष्यों के अतिरिक्त लोगों को भी अपने पास बुला कर कहा, “यदि कोई मेरा अनुसरण करना चाहे, तो वह आत्मत्याग करे और अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले। क्योंकि जो अपना जीवन सुरक्षित रखना चाहता है, वह उसे खो देगा और जो मेरे तथा सुसमाचार के कारण अपना जीवन खो देता है, वह उसे सुरक्षित रखेगा। मनुष्य को इस से क्या लाभ यदि वह सारा संसार तो प्राप्त कर ले, लेकिन अपना जीवन ही गँवा दे? अपने जीवन के बदले मनुष्य दे ही क्या सकता है? जो इस अधर्मी और पापी पीढ़ी के सामने मुझे तथा मेरी शिक्षा स्वीकार करने में लजायेगा, मानव पुत्र भी उसे स्वीकार करने में लजायेगा; जब वह स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा सहित आयेगा।”

प्रभु का सुसमाचार।