सामान्य काल का छठा सप्ताह, बुधवार– वर्ष 2

पहला पाठ

सन्त याकूब का पत्र 1:19-27

“आप बचन के श्रोता ही नहीं, बल्कि उसके पालनकर्त्ता भी बन जायें।”

प्रिय भाइयो ! आप यह अच्छी तरह समझ लें : प्रत्येक व्यक्ति सुनने के लिए तत्पर रहे; किन्तु बोलने और क्रोध करने में देर करे। क्योंकि मनुष्य का क्रोध उस धार्मिकता में सहायक नहीं होता, जिसे ईश्वर चाहता है। इसलिए आप लोग हर प्रकार की मलिनता और बुराई को दूर कर नम्नतापूर्वक ईश्वर का वह वचन ग्रहण कीजिए, जो आप में रोपा गया है और आपकी आत्माओं का उद्धार करने में समर्थ है। आप लोग अपने को धोखा नहीं दें; वचन के श्रोता ही नहीं, बल्कि उसके पालनकर्त्ता भी बन जायें। जो व्यक्ति वचन सुनता है, किन्तु उसके अनुसार आचरण नहीं करता, वह उस मनुष्य के सदृश है जो दर्पण में अपना चेहरा देखता है। वह अपने को देख कर चला जाता है और उसे याद नहीं रहता कि उसका अपना स्वरूप कैसा है। किन्तु जो व्यक्ति उस संहिता को, जो पूर्ण है और उसे स्वतन्त्रता प्रदान करती है, ध्यान से देखता और उसका पालन करता है, वह उस श्रोता के सदृश नहीं, जो तुरन्त भूल जाता है, बल्कि वह कर्त्ता बन जाता और उस संहिता को अपने जीवन में चरितार्थ करता है। वह अपने आचरण के कारण धन्य होगा। यदि कोई अपने को धार्मिक मानता है, किन्तु अपनी जीभ पर नियन्त्रण नहीं रखता, तो वह अपने को धोखा देता है और उसका धर्माचरण व्यर्थ है। हमारे ईश्वर और पिता की दृष्टि में शुद्ध और निर्मल धर्मांचरण यह है - विपत्ति में पड़े हुए अनाथों और विधवाओं की सहायता करना और अपने को संसार के दूषण से बचाये रखना।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 14:2-5

अनुवाक्य : हे प्रभु ! कौन तेरे पवित्र पर्वत पर निवास कर पायेगा?

1. जिसका आचरण निदोंष है, जो सदा सत्कार्य करता है, जो हृदय से सत्य बोलता है और चुगली नहीं खाता।

2. जो अपने भाई को नहीं ठगता और अपने पड़ोसी की निन्दा नहीं करता, जो विधर्मी को तुच्छ समझता और प्रभु-भक्तों का आदर करता है।

3. जो उधार दे कर ब्याज नहीं माँगता और निर्दोष के विरुद्ध घूस नहीं लेता- जो ऐसा आचरण करता है, वह कभी भी विचलित नहीं होगा।

जयघोष : एफे० 1:17-18

अल्लेलूया ! हमारे प्रभु येसु मसीह का पिता आप लोगों के मन की आँखों को ज्योति प्रदान करे, जिससे आप यह देख सकें कि उसके द्वारा बुलाये जाने के कारण हमारी आशा कितनी महान्‌ है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 8:22-26

वह चंगा हो गया और दूर तक सब कुछ साफ-साफ देख सकता था।

येसु और उनके शिष्य बेथसाइदा पहुँचे। लोग एक अंधे को येसु के पास ले आये और उन्होंने यह प्रार्थना की कि आप उस पर हांथ रख दीजिए। वह अंधे का हाथ पकड़ कर उसे गाँव के बाहर ले गये। वहाँ उन्होंने उसकी आँखों पर अपना थूक लगा कर और उस पर हाथ रख कर उस से पूछा, “क्या तुम्हें कुछ दिखाई दे रहा है?" अंधा कुछ-कुछ देखने लगा था, इसलिए उसने उत्तर दिया, “मैं लोगों को देखता हूँ। वे पेड़ों जैसे लगते, पर चलते हैं।” तब उन्होंने फिर अंधे की आँखों पर हाथ रख दिये और वह अच्छी तरह देखने लगा। वह चंगा हो गया और दूर तक सब कुछ साफ-साफ देख सकता था। येसु ने उसे यह कह कर घर भेजा, “इस गाँव के अन्दर पैर मत रखना।”

प्रभु का सुसमाचार।