सामान्य काल का छठा सप्ताह, मंगलवार– वर्ष 1

पहला पाठ

याकूब का पत्र 1:12-18

ईश्वर किसी को प्रलोभन नहीं देता।

धन्य है वह, जो विपत्ति में दृढ़ बना रहता है ! परीक्षा में खरा उतरने पर उसे जीवन का वह मुकुट प्राप्त होगा, जिसे प्रभु ने अपने भक्तों को देने की प्रतिज्ञा की है। प्रलोभन में पड़ा हुआ कोई भी व्यक्ति यह न कहे कि ईश्वर मुझे प्रलोभन देता है। ईश्वर न तो बुराई के प्रलोभन में पड़ सकता और न किसी को प्रलोभन देता है। जो प्रलोभन में पड़ जाता है, वह अपनी ही वासना द्वारा खींचा और बहकाया जाता है। वासना के गर्भ से पाप का जन्म होता है और पाप विकसित हो कर मृत्यु को जन्म देता है। प्रिय भाइयो ! आप गलती न करें। सभी उत्तम दान और सभी पूर्ण वरदान ऊपर से हैं और नक्षत्रों के उस सृष्टिकर्ता के यहाँ से उतरते हैं, जिस में न तो कोई परिवर्तन है और न परिक्रमा के कारण कोई अन्धकार। उसने अपनी ही इच्छा से, सत्य की शिक्षा द्वारा, हम को जीवन प्रदान किया, जिससे हम एक प्रकार से उसकी सृष्टि के प्रथम फल बन जायें।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 93:12-15,18,19

अनुवाक्य : है प्रभु! धन्य है वह मनुष्य, जिसे तू शिक्षा देता है।

1. हे प्रभु! धन्य है वह मनुष्य, जिसे तू शिक्षा देता और अपनी संहिता का मार्ग दिखाता है। वह संकट के समय नहीं घबराता।

2. प्रभु ने अपनी प्रजा को नहीं त्यागा, उसने अपने लोगों को नहीं छोड़ा। धर्मियों को न्याय दिलाया जायेगा और सभी सच्चरित्र उसका समर्थन करेंगे।

3. हे प्रभु ! जब लगता है कि मेरे पैर फिसलने वाले हैं, तो तेरा प्रेम मुझे सँभालता है। जब चिन्ताएँ मुझे घेरे रहती हैं, तो मुझे तेरी सान्त्वना का सहारा मिलता है।

जयघोष : योहन 14:23

अल्लेलूया ! यदि कोई मुझे प्यार करेगा, तो वह मेरी शिक्षा पर चलेगा। मेरा पिता उसे प्यार करेगा और हम उसके पास आयेंगे। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार

“फरीसियों के खमीर और हेरोद के खमीर से बचते रहो।”

शिष्य रोटियाँ लेना भूल गये थे, और नाव में उनके पास एक ही रोटी थी। उस समय येसु ने उन्हें यह चेतावनी दी, “सावधान रहो। फरीसियों के खमीर और हेरोद के खमीर से बचते रहो।” इस पर वे आपस में कहने लगे, “हमारे पास रोटियाँ नहीं हैं, इसलिए यह ऐसा कहते हैं।” येसु ने यह जान कर उन से कहा, “तुम लोग यह क्यों सोचते हो कि हमारे पास रोटियाँ नहीं हैं, इसलिए यह ऐसा कहते हैं? क्या तुम अब तक नहीं जान गये हो? नहीं समझ गये हो? क्या तुम्हारी बुद्धि मारी गयी है? क्या आँखें रहते भी तुम देखते नहीं? और कान रहते भी तुम सुनते नहीं? क्या तुम्हें याद नहीं है - जब मैंने उन पाँच हजार लोगों के लिए पाँच रोटियाँ तोड़ी, तो तुमने टुकड़ों के कितने टोकरे भरे थे?” शिष्यों ने उत्तर दिया, “बारह”। “और जब मैंने चार हजार लोगों के लिए सात रोटियाँ तोड़ीं तो तुमने टुकड़ों के कितने टोकरे भरे थे ?” उन्होंने उत्तर दिया, “सात”। इस पर येसु ने उन से कहा, “क्या तुम लोग अब तक नहीं समझ सके?”

प्रभु का सुसमाचार।