सामान्य काल का पाँचवाँ सप्ताह, शनिवार – वर्ष 2

पहला पाठ

राजाओं का पहला ग्रन्थ 12:26-32;13,33-34

“येरोबआम ने सोने के दो बछड़े बनवाये।”

येरोबआम ने अपने मन में यह कहा, “मेरा राज्य फिर दाऊद के घराने के अधिकार में आ जायेगा। यदि यह प्रजा प्रभु के मंदिर में बलि चढ़ाने के लिए येरुसालेम जाती रहेगी, तो उसका हृदय उसके स्वामी, यूदा के राजा रहबआम की ओर आकर्षित हो जायेगा। ये लोग मेरी हत्या करेंगे और यूदा के राजा रहबआम के पास लौटेंगे।” इस बात पर विचार करने के बाद राजा ने सोने के दो बछड़े बनवाये और लोगों से कहा, “तुम लोग बहुत समय तक येरुसालेम जाते रहे। हे इस्नाएलियो ! ये ही वे देवता हैं, जो तुम लोगों को मिस्र से निकाल लाये।” उसने एक मूर्ति बेतेल में स्थापित की और दूसरी मूर्ति दान में। यह लोगों के लिए पाप का कारण बना, क्योंकि वे उन मूर्तियों की उपासना करने के लिए बेतेल और दान जाया करते थे। राजा ने पहाड़ियों पर भी पूजास्थान बनवाये और उनके लिए जनसाधारण में से ऐसे लोगों को पुरोहित के रूप में नियुक्त किया, जो लेवी-वंशी नहीं थे। येरोबआम ने आठवें महीने के पंद्रहवें दिन तक एक पर्व का भी प्रवर्तन किया, जो यूदा में होने वाले पर्व के सदृश था। उस अवसर पर उसने अपने द्वारा बेतेल में स्थापित वेदी पर उन बछड़ों को बलि चढ़ायी, जिन्हें उसने बनवाया था। उसने पहाड़ियों पर बनवाये पूजास्थानों के पुरोहितों को बेतेल में नियुक्त किया। येरोबआम ने अपना पापाचरण नहीं छोड़ा। वह पहाड़ी पूजा स्थानों के लिए जन-साधारण में से पुरोहितों को नियुक्त करता जाता था। जो भी चाहता था, येरोबआम उसका किसी पहाड़ी पूजास्थान के पुरोहित के रूप में अभिषेक करता था। यही येरोबआम के घराने के लिए पाप का अवसर बना और यही कारण है कि आगे चल कर उसके राज्य का पतन हुआ और पृथ्वी पर से उसका अस्तित्व मिटा दिया गया है।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 105:6-7,19-22

अनुवाक्य : हे प्रभु! तू अपनी प्रजा को प्यार करता है। मुझे भी याद कर।

1. हमने अपने पूर्वजों की तरह पाप किया, हम भटक गये, हम पापी हैं। हमारे पूर्वजों ने मिस्र देश में रहते समय तेरे अपूर्व कार्यों पर ध्यान नहीं दिया।

उन्होंने होरेब में एक बछड़ा बनाया, उन्होंने एक प्रतिमा की आराधना की। उन्होंने अपने महिमामय ईश्वर के बदले घास खाने वाले बैल की प्रतिमा की शरण ली।

3. उन्होंने अपने उस मुक्तिदाता ईश्वर को भुला दिया, जिसने मिस्र देश में अपूर्व कार्य किये, हाम देश में महान्‌ चमत्कार दिखाये और उनके शत्रुओं को लाल समुद्र में मारा था।

जयघोष : मत्ती 4, 4

अल्लेलूया ! मनुष्य रोटी से ही नहीं जीता है। वह ईश्वर के मुख से निकलने वाले हर एक शब्द से जीता है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 8:1-10

“लोगों ने खाया और खा कर तृप्त हो गये।”

उस समय फिर एक विशाल जनसमूह एकत्र हो गया था और लोगों के पास खाने को कुछ भी नहीं था। येसु ने अपने शिष्यों को अपने पास बुला कर कहा, “मुझे इन लोगों पर तरस आता है। ये तीन दिनों से मेरे साथ रह रहे हैं और इनके पास खाने को कुछ भी नहीं है। यदि मैं इन्हें भूखा ही घर भेजूँ, तो ये रास्ते में मूर्च्छित हो जायेंगे। इन में से कुछ लोग दूर से आये हैं।” उनके शिष्यों ने उत्तर दिया, “इस निर्जन स्थान में इन लोगों को खिलाने के लिए कहाँ से रोटियाँ मिलेंगी?” येसु ने उन से पूछा, “तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?” उन्होंने कहा, “सात”। येसु ने लोगों को भूमि पर बैठ जाने का आदेश दिया और वे सात रोटियाँ ले कर धन्यवाद की प्रार्थना पढ़ी, और वह रोटियाँ तोड़-तोड़ कर शिष्यों को देते गये, ताकि वे लोगों को परोसते जायें। शिष्यों ने ऐसा ही किया। उनके पास कुछ छोटी मछलियाँ भी थीं। येसु ने उन पर आशिष की प्रार्थना पढ़ी और उन्हें भी बाँटने का आदेश दिया। लोगों ने खाया और खा कर तृप्त हो गये और बचे हुए टुकड़ों से सात टोकरे भर गये। खाने वालों की संख्या लगभग चार हजार थी। येसु ने लोगों को विदा कर दिया। वह तुरन्त अपने शिष्यों के साथ नाव पर चढ़े और दलमनूथा प्रान्त पहुँचे।

प्रभु का सुसमाचार।