सामान्य काल का पाँचवाँ सप्ताह, शुक्रवार – वर्ष 2

पहला पाठ

राजाओं का पहला ग्रन्थ 11:29-32;12:19

“इस्राएल दाऊद के घराने से अलग हो गया।”

येरोबआम किसी दिन येरुसालेम से निकल कर कहीं जा रहा था कि रास्ते में उसे शिलो का नबी अहीया मिला। वे दोनों मैदान में अकेले थे। अहीया एक नयी चादर पहने हुए था। उसने अपनी चादर के बारह टुकड़े किये और येरोबआम से कहा, “दस टुकड़े ले लो; क्योंकि इस्राएल का प्रभु-ईश्वर यह कहता है - मैं सुलेमान के राज्य के दस वंश उसके हाथ से छीन कर तुम्हें देता हूँ। मेरे सेवक दाऊद और उस येरुसालेम के कारण, जिसे मैंने इस्राएल के सब वंशों में से चुना था, वह एक ही वंश रख सकता है।” इस प्रकार इस्राएल दाऊद के घराने से अलग हो गया, और आज तक ऐसा ही है।

प्रभु की वाणी।

भजन :स्तोत्र 80:10-15

अनृवाक्य : मैं ही तुम्हारा प्रभु-ईश्वर हूँ। मेरी चेतावनी पर ध्यान दो।

1. तुम लोगों के बीच कोई पराया देवता न हो, तुम किसी पराये देवता की आराधना मत करो। मैं ही तुम्हारा प्रभु-ईश्वर हूँ, मैं ही तुम्हें मिस्र से निकाल लाया।

2. मेरी प्रजा ने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया, इस्राएल ने मेरी एक भी नहीं मानी। इसलिए मैंने इस हठधर्मी प्रजा को छोड़ दिया और वह मनमाना आचरण करने लगी।

3. ओह ! यदि मेरी प्रजा मेरी बात सुनती, यदि इस्राएल मेरे पथ पर चलता, तो मैं तुरन्त ही उसके शत्रुओं को हराता और उसके अत्याचारियों का दमन करता।

जयघोष : प्रेरित 16:14

अल्लेलूया ! हे प्रभु ! हमारा हृदय खोल दे, जिससे हम तेरे पुत्र की शिक्षा ग्रहण कर सकें। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 7:31-37

“वह बहरों को कान और गूाँगों को वाणी देते हैं।”

येसु तीरुस प्रान्त से चले गये। वह सिदोन हो कर और देकापोलिस का प्रान्त पार कर गलीलिया के समुद्र के पास पहुँचे। लोग एक बहरे-गूँगे को उनके पास ले आये और उन्होंने यह प्रार्थना की कि आप उस पर हाथ रख दीजिए। येसु ने उसे भीड़ से अलग एकान्त में ले जा कर उसके कानों में अपनी उँगलियाँ डाल दीं और उसकी जीभ पर अपना थूक लगाया। फिर आकाश की ओर आँखें उठा कर उन्होंने आह भरी और उस से कहा, “एफेता” , अर्थात्‌ “खुल जा”। उसी क्षण उसके कान खुल गये और उसकी जीभ का बंधन छूट गया, जिससे वह अच्छी तरह बोलने लगा। येसु ने लोगों को आदेश दिया कि वे यह बात किसी से नहीं कहें; परन्तु वह जितना ही मना करते थे, लोग उतना ही इसका प्रचार करते थे। लोगों के आश्चर्य की सीमा न थी। वे कहते रहते थे, “वह जो कुछ करते हैं, अच्छा ही करते हैं। वह बहरों को कान और गूँगों को वाणी देते हैं।”

प्रभु का सुसमाचार।