सामान्य काल का पाँचवाँ सप्ताह, सोमवार–वर्ष 2

पहला पाठ

राजाओं का पहला ग्रन्थ 8:1-7,9-13

वे विधान की मंजूषा परमपावन मंदिरगर्भ में ले गए और प्रभु का मंदिर एक बादल से भर गया। उस समय सुलेमान ने प्रभु के विधान की मंजूषा को दाऊद-नगर अर्थात्‌ सियोन से ले आने के लिए इस्राएल के नेताओं को येरुसालेम बुलाया। इसलिए एतानीम नामक महीने के पर्व के अवसर पर सब इस्नाएली सुलेमान के पास एकत्र हो गये। याजक और लेवी मंजूषा, दर्शन-कक्ष और शिविर की सब पुण्य सामग्रियाँ उठा कर ले आये। राजा सुलेमान और इस्राएल के समस्त समुदाय ने मंजूषा के सामने असंख्य भेड़ों और साँड़ों की बलि चढ़ायी। याजकों ने प्रभु के विधान की मंजूषा को उसके स्थान पर, परमपावन मंदिरगर्भ में, केरुबीम के पंखों के नीचे रख दिया। केरुबीम के पंख मंजूषा के स्थान के ऊपर फैले हुए थे और इस प्रकार मंजूषा तथा उसके डण्डों को आच्छादित करते थे। मंजूषा में केवल उस विधान की दो पाटियाँ थीं, जिसे प्रभु ने इस्राएलियों के लिए निर्धारित किया था, जब वे मिस्र देश से निकल रहे थे। मूसा ने होरेब में उन दोनों पाटियों को मंजूषा में रखा था। जब याजक मंदिरगर्भ से बाहर निकले, तो प्रभु का मंदिर एक बादल से भर गया और याजक मंदिर में अपना सेवा-कार्य पूरा करने में असमर्थ थे - प्रभु का मंदिर प्रभु की महिमा से भर गया था। तब सुलेमान ने कहा, “प्रभु ने अन्धकारमय बादल में रहने का निश्चय किया। मैंने तेरे लिए एक भव्य निवास का निर्माण किया है : एक ऐसा मंदिर, जहाँ तू सदा के लिए निवास करेगा।”

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 131:6-10

अनुवाक्य : हे प्रभु! तू अपने स्थायी आवास को चल।

1. हमने एफ्राता में मंजूषा के विषय में सुना और उसे येआरीम के मैदान में पाया। हम प्रभु के आवास को चलें, हम उसके चरणों को दण्डवत्‌ करें।

2. हे प्रभु! तू अपनी तेजस्विनी मंजूषा के साथ अपने स्थायी आवास को चल। तेरे पुरोहित धार्मिकता के वस्त्र धारण करें और तेरे भक्त आनन्द के गीत गायें। हे प्रभु! अपने दास दाऊद के कारण अपने अभिषिक्त को न त्याग।

जयघोष : मत्ती 4:23

अल्लेलूया ! येसु राज्य के सुसमाचार का प्रचार करते और लोगों की हर तरह की बीमारी दूर करते थे। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 6:53-56

“जितनों ने उनका स्पर्श किया, वे सब के सब अच्छे हो गये।”

समुद्र के उस पार गेनेसरेत पहुँच कर उन्होंने नाव किनारे लगा दी। ज्यों ही वे भूमि पर उतरे, लोगों ने येसु को पहचान लिया और बे उस सारे प्रदेश से दौड़ते हुए आये। जहाँ कहीं येसु का पता चलता था, वहाँ वे चारपाइयों पर पड़े रोगियों को उनके पास ले आते थे। गाँव, नगर या बस्ती, येसु जहाँ कहीं भी आते थे, वहाँ लोग रोगियों को चौकों पर रख कर अनुनय-विनय करते थे कि वह उन्हें अपने कपड़े का पल्लां भर छूने दें। जितनों ने उनका स्पर्श किया, वे सब के सब अच्छे हो गये।

प्रभु का सुसमाचार।