सुलेमान बलि चढ़ाने गिबेओन गया, क्योंकि यह बलि चढ़ाने की मुख्य पहाड़ी थी। सुलेमान ने वहाँ की वेदी पर एक हजार होम-बलियाँ चढ़ायीं। गिबेओन में प्रभु रात को सुलेमान को स्वप्न में दिखाई दिया। ईश्वर ने कहा, “बताओ, मैं तुम को क्या दे दूँ?'“ सुलेमान ने यह उत्तर दिया, “तू मेरे पिता, अपने सेवक दाऊद पर बड़ी कृपा करता रहा। वह सच्चाई, न्याय और निष्कपट हृदय से तेरे मार्ग पर चलता रहा, इसलिए तूने उसे एक पुत्र दिया, जो अब उसके सिंहासन पर बैठा है। हे प्रभु ! मेरे ईश्वर ! तूने अपने इस सेवक को उसके पिता दाऊद के स्थान पर राजा बनाया लेकिन मैं अभी छोटा हूँ, मैं यह नहीं जानता कि मुझे क्या करना चाहिए। मैं यहाँ तेरी चुनी हुई प्रजा के बीच हूँ। यह राष्ट्र इतना महान् है कि उसके निवासियों की गिनती नहीं हो सकती। अपने इस सेवक को विवेक देने की कृपा कर, जिससे वह न्यायपूर्वक तेरी प्रजा का शासन करे और भला तथा बुरा पहचान सके। नहीं तो, कौन तेरी इस असंख्य प्रजा का शासन कर सकता है?'' सुलेमान का यह निवेदन प्रभु को अच्छा लगा। प्रभु ने उस से कहा, “तुमने अपने लिए न तो लम्बी आयु माँगी, न धान-सम्पत्ति और न अपने शत्रुओं का विनाश। तुमने न्याय करने का विवेक माँगा है। इसलिए मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करूँगा। मैं तुम को ऐसी बुद्धि और ऐसा विवेक प्रदान करता हूँ कि तुम्हारे समान न तो पहले कभी कोई था और न बाद में कभी कोई होगा और जिसे तुमने नहीं माँगा, मैं उसे भी तुम्हें दे देता हूँ, अर्थात् ऐसी धन-सम्पत्ति तथा ऐसा ऐश्वर्य, जिससे कोई भी राजा तुम्हारी बराबरी नहीं कर पायेगा।”
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : है प्रभु ! मुझे अपनी संहिता की शिक्षा दे।
1. तेरी आज्ञाओं का पालन करने से ही नवयुवक निर्दोष बना रह सकता है।
2. मैं सारे हृदय से तुके खोजता रहा, मुझे अपनी आज्ञाओं के मार्ग से भटकने न दे !
3. मैंने तेरी प्रतिज्ञा अपने हृदय में रख ली है, जिससे मैं तेरे विरुद्ध पाप न करूँ।
4. हे प्रभु! तू धन्य है! मुझे अपनी संहिता की शिक्षा दे।
5. मेरा कण्ठ तेरी आज्ञाओं का बखान करता रहा। धन-सम्पत्ति की अपेक्षा मुझे तेरी इच्छा पूरी करने से अधिक आनन्द मिला।
अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, “मेरी भेड़ें मेरी आवाज पहचानती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं।” अल्लेलूया !
प्रेरितों ने येसु के पास लौट कर उन्हें बताया कि हम लोगों ने क्या-क्या किया और क्या-क्या सिखलाया है। तब येसु ने उन से कहा, “तुम लोग अकेले ही मेरे साथ किसी निर्जन स्थान चले आओ और थोड़ा विश्राम कर लो” ; क्योंकि इतने लोग आया-जाया करते थे कि उन्हें भोजन करने की भी फुरसत नहीं रहती थी। इसलिए वे नाव पर चढ़ कर अकेले ही निर्जन स्थान की ओर चल दिये। उन्हें जाते देख कर बहुत-से लोग समझ गये कि वह कहाँ जा रहे हैं। वे नगर-नगर से निकल कर पैदल ही उधर दौड़ पड़े और उन से पहले ही वहाँ पहुँच गये। येसु ने नाव से उतर कर एक विशाल जनसमूह देखा। उन्हें उन लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थे और वह उन्हें बहुत-सी बातों की शिक्षा देने लगे।
प्रभु का सुसमाचार।