दाऊद के कुछ सेवकों ने संयोग से अबसालोम को देखा। जिस खच्चर पर अबसालोम सवार था, वह एक बडे बलूत की डालियों के नीचे से निकला और अबसालोम का सिर बलूत में अटक गया। खच्चर आगे बढ़ गया और अबसालोम आकाश और पृथ्वी के बीच लटकता रहा। एक व्यक्ति ने उसे देखा और यह कहते हुए योआब को इसकी सूचना दी, “मैंने अबसालोम को एक बलूत से लटकता हुआ देखा।” योआब ने तीन भाले ले लिये और उन्हें अबसालोम के कलेजे में झोंक दिया, जो अब तक जीवित ही बलूत से लटक रहा था। दाऊद शहर के दो फाटकों के बीच बैठा हुआ था। एक पहरेदार दीवाल के पास के द्वारमंडप की छत पर चढ़ा और उसने दृष्टि दौड़ा कर देखा कि एक व्यक्ति अकेला दौड़ता हुआ आ रहा है। पहरेदार ने राजा को इसकी सूचना दी और राजा ने कहा, “उधर जा कर खड़े रहो'“ और पहरेदार ने वही किया। तब कूशी ने पास आ कर कहा, “मैं अपने स्वामी और राजा के लिए अच्छा समाचार ला रहा हूँ। प्रभु ने आज आप को न्याय दिलाया है और आप को उन सबों के हाथ से छुड़ा दिया जिन्होंने आपके विरुद्ध विद्रोह किया था।” राजा ने कूशी से कहा, “क्या नवयुवक अबसालोम सकुशल है?” और कूशी ने उत्तर दिया, “उस नवयुवक की जो दुर्गति हो गयी है, वही मेरे स्वामी और राजा के सब शत्रुओं को प्राप्त हो और उन सबों को भी जो आपके विरुद्ध षड्यंत्र रचते हैं।” राजा बहुत व्याकुल हो उठा और द्वारमंडप के ऊपरी कमरे में जा कर रोने लगा। वह यह कहते हुए इधर-उधर टहलता रहा, “हाय ! मेरे पुत्र अबसालोम ! मेरे पुत्र ! मेरे पुत्र अबसालोम ! अच्छा होता कि तुम्हारे बदले मैं ही मर गया होता ! अबसालोम ! मेरे पुत्र ! मेरे पुत्र !” ' योआब को यह सूचना दी गयी : “राजा रोते और अबसालोम के लिए शोक मनाते हैं।” जब लोगों ने यह सुना कि राजा अपने पुत्र के कारण दुःखी है, तो उस दिन समस्त प्रजा के लिए विजयोल्लास शोक में बदल गया।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! मेरी प्रार्थना सुन, मुझे उत्तर दे।
1. हे प्रभु ! मेरी प्रार्थना सुन, मुझे उत्तर दे। मैं दरिद्र और अभागा हूँ। मेरी रक्षा कर! मैं तेरा भक्त हूँ। तुझ पर भरोसा है। अपने दास को बचा।
2. हे प्रभु ! तू ही मेरा ईश्वर है। हम पर दया कर। मैं दिन भर तुझे पुकारता हूँ। हे प्रभु ! अपने दास को आनन्द प्रदान कर। मैं तेरी आराधना करता हूँ।
3. हे प्रभु ! तू भला है, दयालु है और अपने पुकारने वालों के लिए प्रेममय। हे प्रभु ! मेरी प्रार्थना सुनने और मेरी दुहाई पर ध्यान देने की कृपा कर।
अल्लेलूया ! उसने हमारी दुर्बलताओं को दूर कर दिया और हमारे रोगों को अपने ऊपर ले लिया। अल्लेलूया !
जब येसु नाव से उस पार पहुँचे, तो समुद्र तट पर उनके पास एक विशाल जनसमूह एकत्र हो गया। उस समय सभागृह का जैरुस नामक एक अधिकारी आया। येसु को देख कर वह उनके चरणों पर गिर पड़ा और यह कह कर अनुनय-विनय करने लगा, “मेरी बेटी मरने पर है। आइए और उस पर हाथ रखिए, जिससे वह चंगी हो जाये और जीवित रह सके।” येसु उनके साथ चले। एक बड़ी भीड़ उनके पीछे हो ली और लोग चारों ओर से उन पर गिरे पड़ते थे। एक स्त्री बारह बरस से रक्तस्राव से पीडित थी। अनेकानेक वैद्यों के इलाज के कारण उसे बहुत कष्ट सहना पड़ा था और अपना सब कुछ खर्च करने पर भी उसे कोई लाभ नहीं हुआ था, बल्कि वह और भी बीमार हो गयी थी। उसने येसु के विषय में सुना था और भीड़ में पीछे से आ कर उनका कंपड़ा छू लिया, क्योंकि वह मन-ही-मन कहती थी, “यदि मैं उनका कपड़ा भर छूने पाऊँ, तो चंगी हो जाऊँगी”। उसी क्षण उसका रक्तस्नाव सूख गया और उसने अपने शरीर में अनुभव किया कि मेरा रोग दूर हो गया है। येसु उसी समय जान गये कि उन से शक्ति निकली है। भीड़ में मुड कर उन्होंने पूछा, “किसने मेरा कपड़ा छुआ?” उनके शिष्यों ने उन से कहा, “आप देखते ही हैं कि भीड़ आप पर गिरी पड़ती है। तब भी आप पूछते हैं - किसने मेरा स्पर्श किया?” जिसने ऐसा किया था, उसका पता लगाने के लिए येसु ने चारों ओर दृष्टि दौड़ायी। वह स्त्री, यह जान कर कि मुझे क्या हो गया है, डरती-काँपती हुई आयी और उन्हें दण्डबत् कर सारा हाल बता दिया। येसु ने उस से कहा, “बेटी ! तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें चंगा किया है। शांति ग्रहण कर जाओ और अपने रोग से मुक्त रहो।” येसु यह कह ही रहे थे कि सभागृह के अधिकारी के यहाँ से लोग आये और कहने लगे, “आपकी बेटी मर गयी है। अब गुरु को कष्ट देने की जरूरत क्या है?” येसु ने उनकी बात सुन कर सभागृह के अधिकारी से कहा, “डरिए नहीं। बस, विश्वास कीजिए।” येसु ने पेत्रुस, याकूब और याकूब के भाई योहन के सिवा किसी को भी अपने साथ आने नहीं दिया। जब वे सभागृह के अधिकारी के यहाँ पहुँचे, तो येसु ने देखा कि कोलाहल मचा हुआ है और लोग विलाप कर रहे हैं। उन्होंने भीतर जा कर लोगों से कहा, “यह कोलाहल, यह विलाप क्योंग? लड़की मरी नहीं है, सो रही है।” इस पर वे उनकी हँसी उड़ाने लगे। येसु ने सब को बाहर कर दिया और वह लड़की के माता-पिता और अपने साथियों के साथ उस जगह आये, जहाँ लड़की पड़ी हुई थी। उन्होंने लड़की का हाथ पकड़ कर उस से कहा, “तालिथा कुम”। इसका अर्थ है - ओ लड़की ! मैं तुम से कहता हूँ: उठो। लड़की उसी क्षण उठ खड़ी हुई और चलने-फिरने लगी, क्योंकि वह बारह बरस की थी। लोग बडे अचम्भे में पड़ गये। येसु ने उन्हें बहुत समझा कर आदेश दिया कि यह बात कोई न जानने पाये और कहा कि लड़की को कुछ खाने को दो।
प्रभु का सुसमाचार।