एक व्यक्ति दाऊद को यह सूचना देने आया कि इस्राएलियों ने अबसालोम का पक्ष लिया है। इस पर दाऊद ने येरुसालेम में रहने वाले अपने सब सेवकों से कहा, “चलो ! हम भाग चलें; नहीं तो हम अबसालोम के हाथ से नहीं बच सकेंगे। शीघ्र ही चले जाओ, कहीं ऐसा न हो कि वह अचानक पहुँच कर हमारा सर्वनाश करे और शहर के निवासियों को तलवार की धार उतार दे।” दाऊद रोते हुए जैतून पहाड़ पर चढ़ा। उसका सिर ढका हुआ था और उसके पैर नंगे थे। जितने लोग उसके साथ थे, उनका सिर ढका हुआ था और वे रोते हुए पहाड़ पर चढ़े। जब दाऊद बहुरीम पहुँचा तो साऊल के वंश का एक व्यक्ति दौड़ता हुआ उसके पास आया। वह शिमई नामक गेरा का पुत्र था। वह कोसते हुए नगर से निकला और दाऊद और उसके अनुयायियों पर पत्थर फेंकता जा रहा था, यद्यपि दाऊद के दायें और बायें सैनिक और अंगरक्षक चलते थे। शिमई कोसते हुए चिल्लाता था, “दूर हो, रे हत्यारे ! दूर हो ! रे नीच ! तूने साऊल का राज्य छीन लिया, इसलिए प्रभु ने साऊल के घराने के सारे रक्त का बदला तुझे चुकाया है और तेरे पुत्र अबसालोम के हाथ में राज्य दिया है। रे हत्यारे! तू अपनी करनी का फल भोग रहा है।” सरूपा के पुत्र अबीशय ने राजा से कहा, “यह मुरदा कुत्ता मेरे राजा और स्वामी को क्यों कोस रहा है? कृपया मुझे आज्ञा दें कि मैं जा कर उसका सिर उड़ा दूँ। ! राजा ने उत्तर दिया, “सरूपा के पुत्र ! इस से तुम को क्या? यदि वह इसलिए दाऊद को कोसता है कि प्रभु ने उसे ऐसा करने की प्रेरणा दी हे, तो कौन पूछ सकता है कि तुम ऐसा क्यों कर रहे हो?'“ इसके बाद दाऊद ने अबीशय और अपने सेवकों से यह कहा, “मैंने जिस पुत्र को जन्म दिया, वही मुझे मारना चाहता है। तो यह बेनयामीन-वंशी ऐसा क्यों न करे? उसे कोसने दो, क्योंकि प्रभु ने उसे ऐसा करने की प्रेरणा दी है। हो सकता है कि प्रभु मेरी दुर्गत देख कर आज के अभिशाप के बदले मुझे फिर सुख-शांति प्रदान करेगा।” इसलिए दाऊद और उसके अनुयायी आगे बढ़ते जाते थे।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु! उठ कर मुझे बचा।
1. हे प्रभु! कितने ही हैं मेरे शत्रु ! कितने ही मुझ से विद्रोह करते हैं ! कितने ही मेरे विषय में यह कहते हैं - उसका ईश्वर उसकी सहायता नहीं करता।
2. हे प्रभु ! तू ही मेरी ढाल और मेरा गौरव है; तू ही मेरा सिर ऊपर उठाता है। ज्यों ही मैं प्रभु की दुहाई देता हूँ, वह अपने पवित्र पर्वत से मुझे उत्तर देता है।
3. मैं अपनी शय्या पर लेट कर सो जाता और फिर जागता हूँ : क्योंकि प्रभु मुझे संभालता है। मैं उन लाखों शत्रुओं से नहीं डरता, जो चारों ओर मेरे विरुद्ध खड़े हैं। हे प्रभु ! हे मेरे ईश्वर ! उठ कर मुझे बचा।
अल्लेलूया ! हमारे बीच महान् नबी उत्पन्न हुए हैं और ईश्वर ने अपनी प्रजा की सुध ली है। अल्लेलूया !
वे समुद्र के उस पार गेरासेनियों के प्रदेश पहुँचे। येसु ज्यों ही नाव से उतरे, एक अपदूतग्रस्त मनुष्य मकबरों से निकल कर उनके पास आया। वह मकबरों में रहा करता था। अब कोई उसे जंजीर से भी नहीं बाँध पाता था, क्योंकि वह बारंबार बेड़ियों और जंजीरों से बाँधा गया था, लेकिन उसने जंजीरों को तोड़ डाला और बेडियों को टुकडे-टुकड़े कर दिया था। उसे कोई भी वश में नहीं रख पाता था। वह रात-दिन निरन्तर मकबरों में और पहाड़ों पर चिल्लाता और पत्थरों से अपने को घायल करता रहता था। वह येसु को दूर से देख कर दौड़ता हुआ आया और उन्हें दण्डवत् कर ऊँचे स्वर से चिल्लाने लगा, “हे येसु ! सर्वोच्च ईश्वर के पुत्र ! मुझ से आप को क्या? ईश्वर के नाम पर प्रार्थना है - मुझे न सताइए।” क्योंकि येसु उस से कह रहे थे, “अशुद्ध आत्मा ! इस मनुष्य से निकल जा।” येसु ने उस से पूछा, “तेरा नाम क्या है?” उसने उत्तर दिया, “मेरा नाम सेना है, क्योंकि हम बहुत हैं”, और वह येसु से बहुत अनुनय-विनय करने लगा कि हमें इस प्रदेश से नहीं निकालिए। वहाँ पहाड़ी पर सूअरों का एक बड़ा कुण्ड चर रहा था। अपदूतों ने गिड़गिड़ाते हुए येसु से कहा, “हमें सूअरों में भेज दीजिए। हमें उन में घुसने दीजिए” येसु ने अनुमति दे दी। तब अपदूत उस मनुष्य से निकल कर सूअरों में जा घुसे और लगभग दो हजार का वह मुण्ड तेजी से ढाल पर से समुद्र में कूद पड़ा और उस में डूब कर मर गया। सूअर चराने वाले भाग गये। उन्होंने नगर और बस्तियों में इसकी खबर फैला दी। लोग यह सब देखने निकले। वे येसु के पास आये और यह देख कर भयभीत हो गये कि वह अपदूतग्रस्त, जिस में पहले अपदूतों की सेना थी, कपड़े पहने शांत भाव से बैठा हुआ है। जिन्होंने यह सब अपनी आँखों से देखा था, वे लोगों को यह बतलाने लगे कि अपदूतग्रस्त के साथ क्या हुआ और सूअरों पर क्या-क्या बीती। तब गेरासेनी येसु से निवेदन करने लगे कि वह उनके प्रदेश से चले जायें। येसु नाव पर चढ़ ही रहे थे कि अपदूतग्रस्त उन से विनती करने लगा कि मुझे अपने पास रहने दीजिए। उसकी प्रार्थना अस्वीकार करते हुए येसु ने कहा, “अपने लोगों के पास अपने घर जाओ और उन्हें बता दो कि प्रभु ने तुम्हारे लिए क्या-क्या किया है और तुम पर किस तरह कृपा की है।” वह चला गया और सारे देकापोलिस में यह सुनाता फिरता था कि येसु ने उसके लिए क्या-क्या किया है और सब लोग अचंभे में पड़ जाते थे।
प्रभु का सुसमाचार।