साऊल की मृत्यु के बाद दाऊद ने अमालेकियों को हरा कर सिकलग में दो दिन बिताये। तीसरे दिन साऊल के शिविर से एक आदमी आया। उसके कपड़े फटे हुए थे और वह सिर पर मिट्टी डाले हुए था। उसने दाऊद के पास पहुँचने पर, मुँह के बल गिर कर उसे दण्डवत् किया। दाऊद ने उस से कहा, “कहाँ से आ रहे हो?'“ उसने उत्तर दिया, “मैं इस्राएलियों के शिविर से भाग निकला हूँ।” दाऊद ने पूछा, “क्या हुआ? मुझे बताओ!” उसने कहा, “सेना रणभूमि से भाग गयी और बहुत-से लोग मर गये। साऊल और उनके पुत्र योनातान भी मर गये हैं।” दाऊद ने अपने कपड़े ले कर फाड़ डाले और उसके साथ के सब लोगों ने ऐसा ही किया। वे विलाप करने और रोने लगे, क्योंकि साऊल, उसका पुत्र योनातान, और ईश्वर की प्रजा, इस्नाएल का घराना, ये सब तलवार के घाट उतार दिये गये हैं और उन्होंने शाम तक उपवास किया। साऊल, इस्राएल के गौरव, पर्वत पर मारे गये ! वीर योद्धा कैसे मारे गये? साऊल और योनातान, सौम्य और परमप्रिय, जीवन में और मरण में भी अलग नहीं हुए ! वे गरुड़ों से भी अधिक द्रुतगामी थे, सिंहों से भी अधिक शक्तिशाली ! इस्राएल की पुत्रियो ! साऊल पर विलाप करो ! वह तुम्हें सुन्दर किरमिजी और छालटी पहनाते थे, वह तुम्हारे वस्त्र पर स्वर्ण आभूषण सजाते थे। वीर योद्धा युद्ध में कैसे मारे गये? हे योनातान ! तुम युद्ध में खेत आये और पर्वत पर निर्जीव पड़े हुए हो ! भाई योनातान ! तुम्हारे कारण मेरा हृदय भारी है। मैं तुम को बहुत अधिक प्यार करता था। स्त्रियों के प्रेम की अपेक्षा तुम्हारा प्रेम मेरे लिए अधिक मूल्यवान था। वीर योद्धा कैसे मारे गये? युद्ध के अस्त्र-शस्त्र कैसे नष्ट हुए?
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! हम पर दयादृष्टि कर और हमारा उद्धार हो जायेगा।
1. हे प्रभु ! तू इस्नाएल का चरवाहा है, तू यूसुफ की भेड़ें चराता है, हमारी सुन ! तू स्वर्गदूतों पर विराजमान है, एफ्राईम, बेंजामीन तथा मनस्से पर दयादृष्टि कर, अपनी शक्ति को जगा और आ कर हमें बचाने की कृपा कर।
2. हे विश्वमंडल के प्रभु-ईश्वर ! तू कब तक अपनी प्रजा की प्रार्थना ठुकराता रहेगा? तूने उसे विलाप की रोटी खिलायी और उसे भरपूर आँसू पिलाये। हमारे पड़ोसी हम पर ताना मारते हैं, हमारे शत्रु हमारा उपहास करते हैं।
अल्लेलूया ! हे प्रभु ! हमारा हृदय खोल दे, जिससे हम तेरे पुत्र की शिक्षा ग्रहण कर सकें। अल्लेलूया !
येसु घर लौटे और फिर इतनी भीड़ होने लगी कि उन लोगों को भोजन करने की भी फुरसत नहीं रही। जब येसु के संबंधियों ने यह सुना, तो वे उन को बलपूर्वक ले जाने निकले; क्योंकि कहा जाता था कि उन्हें अपनी सुध-बुध नहीं रह गयी है।
प्रभु का सुसमाचार।