वर्ष का दूसरा सप्ताह – बृहस्पतिवार, वर्ष 2

पहला पाठ

समूएल का पहला ग्रन्थ 18:6-9;19:1-7

“मेरे पिता साऊल तुम को मार डालना चाहते हैं।”

जब दाऊद फिलिस्ती को मारने के बाद लौटा, तो स्त्रियाँ इस्राएल के सब नगरों से निकल कर, नाचते-गाते; डफली और झाँझ बजाते और जयकार करते हुए, राजा साऊल की आगवानी करने गयीं। वे नाचते हुए यह गा रही थी - साऊल ने सहस्रों को मारा और दाऊद ने लाखों को। साऊल यह सुन कर बुरा मान गया और बहुत अधिक क्रुद्ध हुआ। उसने अपने से कहा, “उन्होंने दाऊद को लाखों दिया और मुझे केवल सहस्नों को। अब राज्य के सिवा उसे किस बात की कमी है?” और उस समय से साऊल दाऊद को ईर्ष्या की दृष्टि से देखने लगा। साऊल ने दाऊद की हत्या के विषय में अपने पुत्र योनातान और अपने सब दरबारियों से बातचीत की। साऊल का पुत्र योनातान दाऊद को बहुत प्यार करता था; इसलिए उसने दाऊद से कहा, ''मेरे पिता साऊल तुम को मार डालना चाहते हैं। कल सबेरे सावधान रहो। तुम किसी जगह छिप जाओ और मैं शहर से निकल कर उस मैदान में, जहाँ तुम हो, अपने पिता के पास रहूँगा और तुम्हारे विषय में अपने पिता से बात करूँगा। जो कुछ मालूम होगा, तुम्हें बता दूँगा। ' योनातान ने दाऊद का पक्ष ले कर अपने पिता से यह कहा, “राजा अपने सेवक दाऊद के साथ अन्याय न करें; क्योंकि उसने आपके विरुद्ध कोई पाप नहीं किया। उलटे; उसने जो कुछ किया, उस से आप को बड़ा लाभ हुआ। उसने अपनी जान हथेली पर रख कर उस फिलिस्ती को मारा और इस प्रकार प्रभु ने सारे इस्राएल को महान्‌ विजय दिलायी। आपने यह देखा और आनन्द मनाया। अब आप क्यों अकारण ही दाऊद को मार कर निर्दोष रक्त बहाने का पाप करना चाहते हैं?” ' साऊंल ने योनातान की बात मान ली और शपथ खा कर कहा, “जीवन्त प्रभु की शपथ ! दाऊद नहीं मारा जायेगा।”

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 55:2-3,9-13

अनुवाक्य : मुझे ईश्वर पर भरोसा है। मैं नहीं डरूँगा।

1. हे ईश्वर ! मुझ पर दया कर। लोग मुझे तंग करते और दिन भर सताते रहते हैं। मेरे शत्रु मुझे दिन भर तंग करते हैं। बहुत-से लोग मुझ पर आक्रमण करते हैं।

2. मेरी विपत्तियों का विवरण और मेरे आँसुओं का लेखा तेरे पास है। जिस दिन मैं तेरी दुहाई दूँगा, उसी दिन मेरे शत्रुओं को पीछे हटना पड़ेगा।

3. मुझे दृढ़ विश्वास है कि ईश्वर मेरे साथ है। ईश्वर की प्रतिज्ञा मुझे आनन्दित कर देती है।

4. मुझे ईश्वर पर भरोसा है। मैं नहीं डरूँगा। मनुष्य मेरा क्या बिगाड़ सकता है? हे ईश्वर ! मैं तेरे लिए अपनी मन्नतें पूरी करूँगा, में तुझे धन्यवाद का बलिदान चढ़ाऊँगा।

जयघोष

अल्लेलूया ! हमारे मुक्तिदाता येसु मसीह ने मृत्यु का विनाश किया और अपने सुसमाचार द्वारा अमर जीवन को आलोकित किया। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 3:7-12

“अशुद्ध आत्मा चिल्लाते थे-आप ईश्वर के पुत्र हैं। येसु उन्हें यह चेतावनी देते थे कि तुम मुझे व्यक्त मत करो।”

येसु अपने शिष्यों के साथ समुद्र के तट गये। गलीलिया का एक विशाल जनसमूह उनके पीछे-पीछे हो लिया। यहूदिया, येरुसालेम, इदूमिया, यर्दन के उस पार, और तीरुस तथा सीदोन के आसपास से भी बहुत-से लोग उनके पास इकट्ठे हो गये; क्योंकि उन्होंने उनके कार्यों की चरचा सुनी थी। भीड़ के दबाव से बचने के लिए येसु ने अपने शिष्यों से कहा कि वे एक नाव तैयार रखें; क्योंकि उन्होंने बहुत-से लोगों को चंगा किया था और रोगी उनका स्पर्श करने के लिए उन पर गिर पड़ते थे। अशुद्ध आत्मा येसु को देखते ही दण्डवत्‌ करते और चिल्लाते थे - “आप ईश्वर के पुत्र हैं"; किन्तु वह उन्हें यह चेतावनी देते थे कि तुम मुझे व्यक्त मत करो।”

प्रभु का सुसमाचार।