समूएल ने साऊल से कहा, “जाने दो। मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि प्रभु ने कल रात मुझ से क्या कहा।” इस पर साऊल ने उत्तर दिया, “बताइए।" समूएल ने कहा, “तुम भले ही अपने को छोटा समझते थे, फिर भी तुम इस्राएली वंशों के अध्यक्ष हो और प्रभु ने इस्राएल के राजा के रूप में तुम्हारा अभिषेक किया है। प्रभु ने तुम्हें यह आदेश दे कर भेजा था, “जाओ और उन पापी अमालेकियों का संहार करो और उन से तब तक लड़ते रहो, जब तक उनका सर्वनाश न हो।” तुमने क्योंउ प्रभु की आज्ञा का उल्लंघन किया और लूट के माल पर झपट कर वह काम किया, जो प्रभु की दृष्टि में बुरा है?” इस पर साऊल ने समूएल से कहा, “मैंने प्रभु की आज्ञा का पालन किया। प्रभु ने जहाँ मुझे भेजा, मैं वहाँ गया और, अमालेकियों का संहार कर, अमालेक के राजा अगाग को यहाँ ले आया। लेकिन जनता ने लूट के माल में से सर्वोत्तम भेड़ों और बैलों को संहार से बचा कर ले लिया, जिससे वे उन्हें आपके प्रभु-ईश्वर को बलि चढ़ायें। ' समूएल ने उत्तर दिया, “क्या होम और बलिदान प्रभु को इतने प्रिय होते हैं, जितना उसके आदेश का पालन? नहीं! आज्ञापालन बलिदान से कहीं अधिक उत्तम है और आत्मसमर्पण भेड़ों की चरबी से बढ़ कर है; क्योंकि विद्रोह जादू-टोने की तरह पाप है और आज्ञाभंग मूर्तिपूजा के बराबर है। तुमने प्रभु का वचन अस्वीकार किया, इसलिए प्रभु ने तुम को अस्वीकार किया - तुम अब से राजा नहीं रहोगे।”
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : सदाचारी ईश्वर के मुक्ति-विधान के दर्शन करेगा।
1. मैं यज्ञों के कारण तुम पर दोष नहीं लगाता। तुम्हारे बलिदान तो सदा मेरे सामने हैं। मुझे न तो तुम्हारे घरों के साँड चाहिए और न तुम्हारे बाड़ों के बकरे ही।
2. तुम मेरी संहिता का तिरस्कार करते और मेरी बातों पर ध्यान नहीं देते हो, तो तुम मेरी आज्ञाओं का पाठ और मेरे विधान की चरचा क्यों करते हो?
3. तुम यह सब करते हो, और मैं चुप रहूँ? क्या तुम मुझे अपने जैसा समझते हो? जो धन्यवाद का बलिदान चढ़ाता है, वही मेरा सम्मान करता है। सदाचारी ही ईश्वर के मुक्ति-विधान के दर्शन करेगा।
अल्लेलूया ! ईश्वर का वचन जीवन्त और सशक्त है, वह हमारी आत्मा के अन्तरतम तक पहुँच जाता है। अल्लेलूया !
योहन के शिष्य और फरीसी किसी दिन उपवास कर रहे थे। कुछ लोग आकर येसु से कहने लगे, “योहन के शिष्य और फरीसी उपवास कर रहे हैं। आपके शिष्य उपवास क्योंे नहीं करते?” येसु ने उत्तर दिया, “क्या जब तक दुलहा साथ है, बाराती शोक मना: सकते हैं? जब तक दुलहा उनके साथ है, वे उपवास नहीं कर सकते हैं। किन्तु वे दिन आयेंगे, जब दुलहा उन से बिछुड जायेगा। उन दिनों वे उपवास करेंगे। “कोई कोरे कपड़े का पैवन्द पुराने कपड़े पर नहीं लगाता। नहीं तो नया पैवन्द सिकुड् कर पुराना कपड़ा फाड़ देगा और चीर बढ़ जायेगी। कोई नयी अंगूरी पुरानी मशकों में नहीं भरता। नहीं तो अंगूरी मशकों को फाड़ देगी और अंगूरी तथा मशकें, दोनों बरबाद हो जायेंगी। नयी अंगूरी को नयी मशकों में भरना चाहिए।”
प्रभु का सुसमाचार।