बेनयामीन प्रान्त में एक कीश नामक धनी मनुष्य रहता था। वह अबीएल का पुत्र था, अबीएल सरोर का, सरोर बकोरत का और बकोरत अफीअह का पुत्र था। कीश के एक साऊल नामक नवजवान और सुन्दर पुत्र था। इस्राएलियों में साऊल से सुन्दर कोई नहीं था। वह इतना लम्बा था कि उसका सिर और कन्धे दूसरे लोगों के ऊपर हो जाते थे। किसी दिन साऊल के पिता कीश की गदहियाँ भटक गयी थीं। उसने अपने पुत्र साऊल से कहा, “किसी नौकर के साथ गदहियों को खोजने जाओ।” साऊल ने एफ्राईम का पहाड़ी प्रदेश और शालिशा प्रान्त पार किया, किन्तु गदहियों का पता नहीं चला। इसके बाद वे शआलीम प्रदेश और बेनयामीन प्रदेश पार कर गये, किन्तु वहाँ भी गदहियों का पता नहीं चला। समूएल ने जैसे ही साऊल को देखा, प्रभु ने उसे यह सूचना दी, “यही वह है, जिसके विषय में मैं तुम से कह चुका हूँ। यही मेरी प्रजा का शासन करेगा।” साऊल ने फाटक पर समूएल के पास आ कर कहा, “कृपया मुझे यह बता दें कि दृष्टा का घर कहाँ है।” समूएल ने साऊल को उत्तर दिया, “मैं ही दृष्टा हूँ। मेरे आगे पहाड़ी पर चढ़ो - तुम आज मेरे साथ भोजन करोगे। मैं कल सबेरे तुम्हें विदा करूँगा और जिसके बारे में तुम चिन्ता कर रहे हो, वह भी तुम्हें बताऊँगा।” समूएल ने तेल की शीशी ले कर उसे साऊल के सिर पर उँडेला। इसके बाद उसने उसका चुम्बन किया और कहा, “प्रभु ने अपनी प्रजा के राजा के रूप में तुम्हारा अभिषेक किया है। तुम प्रभु की प्रजा का शासन करोगे और उसे उसके चारों ओर के शत्रुओं से मुक्त करोगे।”
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हैं प्रभु ! तेरे सामर्थ्य के कारण राजा आनन्दित हैं।
1. हे प्रभु ! तेरे सामर्थ्य के कारण राजा आनन्दित हैं। वह तेरी सहायता पा कर आनन्द मनाते हैं। तूने उनकी अभिलाषा पूरी की, तूने उनकी प्रार्थना नहीं ठुकरायी।
2. तूने उन्हें भरपूर आशीर्वाद दिया, तूने उन्हें परिष्कृत स्वर्ण का मुकुट पहनाया। उन्होंने तुझ से जीवन का वरदान माँगा और तूने अनन्तकाल तक उनके दिन बढ़ा दिये।
3. तेरी सहायता से उनका यश फैल गया। तूने उन्हें प्रताप और ऐश्वर्य प्रदान किया। तूने उन्हें चिरस्थायी आशीर्वाद दिया। वह तेरा सान्निध्य पा कर आनन्दित हैं।
अल्लेलूया ! प्रभु ने मुझे दरिद्रों को सुसमाचार सुनाने और बन्दियों को मुक्ति का सन्देश देने भेजा है। अल्लेलूया !
येसु फिर निकल कर समुद्र के तट गये। सब लोग उनके पास आ गये और वह उन्हें शिक्षा देने लगे। रास्ते में येसु ने अलफाई के पुत्र लेवी को चुँगीघर में बैठा हुआ देखा और उस से कहा, “मेरे पीछे चले आओ”, और वह उठ कर उनके पीछे हो लिया। किसी दिन येसु अपने शिष्यों के साथ लेवी के घर में भोजन पर बैठे। बहुत-से नाकेदार और पापी उनके साथ भोजन कर रहे थे, क्योंकि वे बड़ी संख्या में येसु के अनुयायी बन गये थे। जब फरीसी दल के शास्त्रियों ने देखा कि येसु पापियों और नाकेदारों के साथ भोजन कर रहे हैं, तो उन्होंने उनके शिष्यों से कहा, “वह क्यों नाकेदारों और पापियों के साथ भोजन करते हैं?" येसु ने यह सुन कर उन से कहा, “नीरोगों को नहीं, रोगियों को वैद्य की जरूरत होती है। मैं धर्मियों को नहीं, पापियों को बुलाने आया हूँ।”
प्रभु का सुसमाचार।