वर्ष का प्रथम सप्ताह – शुक्रवार, वर्ष 2

पहला पाठ

समूएल का पहला ग्रन्थ 8:4-7,10-22

“तुम अपने राजा के कारण प्रभु की दुहाई दोगे, किन्तु उस दिन प्रभु तुम्हारी एक भी नहीं सुनेगा।”

इस्राएल के सब नेता इकट्ठे हो गये और रामा में समूएल के पास आये। उन्होंने उस से कहा, “आप बूढ़े हो गये हैं और आपके पुत्र आपका अनुसरण नहीं करते। इसलिए आप हमारे लिए एक राजा नियुक्त करें, जो हम पर शासन करें, जैसा कि सब राष्ट्रों में होता है।” उनका यह निवेदन कि “आप हमारे लिए एक राजा नियुक्त करें, जो हम पर शासन करें” समूएल को अच्छा नहीं लगा और उसने प्रभु से प्रार्थना की। प्रभु ने समूएल से कहा, “लोगों की हर माँग पूरी करो; क्योंकि वे तुम को नहीं, बल्कि मुझ को अस्वीकार कर रहे हैं। वे नहीं चाहते कि मैं उनका राजा बना रहूँ।” जिन लोगों ने समूएल से एक राजा की माँग की थी, उन्हें समूएल ने प्रभु की सारी बातें बता दीं। उसने कहा, “जो राजा तुम लोगों पर शासन करेंगे, वह ये अधिकार जतायेंगे: वह तुम्हारे पुत्रों को अपने रथों तथा घोड़ों की सेवा में लगायेंगे और अपने रथ के आगे-आगे दौड़ायेंगे। वह उन्हें अपनी सेना के सहस्नपति तथा पंचायत-पति के रूप में नियुक्त करेंगे, उन से अपने खेत जुतवायेंगे, अपनी फसल कटवायेंगे और हथियार तथा युद्ध-रथों का सामान बनवायेंगे। वह मरहम तैयार करने, भोजन पकाने और रोटियाँ सेंकने के लिए तुम्हारी पुत्रियों की माँग करेंगे। वह तुम्हारे सर्वोत्तम खेत, दाखबारियाँ और जैतून के बाग तुम से छीन कर अपने सेवकों को प्रदान करेंगे। वह तुम्हारी फसल और दाखबारियों की उपज का दशमांश लेंगे और उसे अपने दरबारियों तथा सेवकों को दे देंगे। वह तुम्हारे दास-दासियों को, तुम्हारे युवकों और तुम्हारे गधों को भी अपने ही काम में लगा देंगे। वह तुम्हारी भेड-बकरियों का दशमांश लेंगे और तुम लोग भी उनके दास बनोगे। उस समय तुम अपने राजा के कारण, जिसे तुमने स्वयं चुना होगा, प्रभु की दुहाई दोगे, किन्तु उस दिन प्रभु तुम्हारी एक भी नहीं सुनेगा।” लोगों ने समूएल का अनुरोधा अस्वीकार करते हुए कहा, “हमें एक राजा चाहिए! तब हम सब अन्य राष्ट्रों के सदृश होंगे। हमारे राजा हम पर शासन करेंगे और युद्ध के समय हमारा नेतृत्व करेंगे।” समूएल ने लोगों का निवेदन सुनकर प्रभु को सुनाया और उसने उत्तर दिया, “उनकी बात मान लो और उनके लिए एक राजा नियुक्त करो।”

प्रभु की वाणी।

भजन स्तोत्र 88:16-19

अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं सदा ही तेरी कृपा का गीत गाता रहूँगा।

1. धन्य है वह प्रजा, जो ऐसे राजा का स्वागत करती है, जो तेरे मुखमंडल की ज्योति में चलती है, जो तेरे नाम पर प्रतिदिन आनन्द मनाती और तेरे न्याय पर गौरव करती है।

2. हे प्रभु! तू ही उनका बल और गौरव है, तेरी कृपा से हमारा सामर्थ्य बढ़ता है, क्योंकि प्रभु ही हमारी रक्षा करता है। इस्राएल के परमपावन ईश्वर हमारे राजा को सँभालता है।

जयघोष : लूकस 7:16

अल्लेलूया ! हमारे बीच महान्‌ नबी उत्पन्न हुए और ईश्वर ने अपनी प्रजा की सुध ली है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 2:1-12

“मानव पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार मिला है।”

जब कुछ दिनों बाद येसु कफरनाहुम लौटे तो यह खबर फैल गयी कि वह घर पर हैं और इतने लोग इकट्ठे हो गये कि द्वार के सामने जगह नहीं रही। येसु उन्हें सुसमाचार सुना ही रहे थे कि कुछ लोग एक अर्धांगरोगी को चार आदमियों से उठवा कर उनके पास ले आये। भीड़ के कारण वे उसे येसु के सामने नहीं ला सके; इसलिए जहाँ येसु थे, उसके ऊपर की छत उन्होंने खोल दी और छेद में से अर्धांगरोगी की चारपाई नीचे उतार दी। येसु ने उन लोगों का विश्वास देख कर अर्धांगरोगी से कहा, “बेटा ! तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं।” वहाँ कुछ शास्त्री बैठे हुए थे। वे सोचने लगे - यह क्या कहता है? यह ईश-निन््दाप करता है। ईश्वर के सिवा कौन पाप क्षमा कर सकता है? येसु को मालूम था कि वे मन-ही-मन ऐसा सोच रहे हैं। उन्होंने शास्त्रियों से कहा, “मन-ही-मन क्या सोच रहे हो? अधिक सहज कया है - अर्धागरोगी से यह कहना, “तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं” अथवा यह कहना, “उठो, अपनी चारपाई उठा कर चलो-फिरो”? परन्तु इसलिए कि तुम लोग यह जान लो कि मानव पुत्र को पृथ्वी पर क्षमा करने का अधिकार मिला है” - वह अर्धांगरोगी से बोले - “मैं तुम से कहता हूँ, उठो और अपनी चारपाई उठा कर घर जाओ।” वह उठ खड़ा हुआ और चारपाई उठा कर तुरन्त सबों के देखते-देखते बाहर चला गया। सब के सब बड़े अचंभे में पड़ गये और यह कह कर ईश्वर की स्तुति करने लगे - ऐसा चमत्कार हमने कभी देखा नहीं।

प्रभु का सुसमाचार।