युवक समूएल एली के निरीक्षण में प्रभु की सेवा करता था। उस समय प्रभु की वाणी बहुत कम सुनाई पड़ती थी और उसके दर्शन भी दुर्लभ थे। किसी दिन ऐसा हुआ कि एली अपने कमरे में लेटा हुआ था - उसकी आँखें इतनी कमजोर हो गयी थीं कि वह देख नहीं सकता था। प्रभु का दीपवृक्ष उस समय तक बुझा नहीं था और समूएल प्रभु के मंदिर में, जहाँ ईश्वर की मंजूषा रखी हुई थी, सो रहा था। प्रभु ने समूएल को पुकारा। उसने उत्तर दिया, “मैं प्रस्तुत हूँ" और एली के पास दौड़ कर कहा, “आपने मुझे बुलाया है, इसलिए आया हूँ।” एली ने कहा, “मैंने तुम को नहीं बुलाया। जा कर सो जाओ।’’ वह लौट कर लेट गया। प्रभु ने फिर समूएल को पुकारा। उसने एली के पास जा कर कहा, “आपने मुझे बुलाया है, इसलिए आया हूँ।” एली ने उत्तर दिया, “बेटा ! मैंने तुम को नहीं बुलाया। जा कर सो जाओ।’’ समूएल प्रभु से परिचित नहीं था - प्रभु कभी उस से नहीं बोला था। प्रभु ने तीसरी बार समूएल को पुकारा। वह उठ कर एली के पास गया और उसने कहा, “आपने मुझे बुलाया, इसलिए आया हूँ।" तब एली समफ गया कि प्रभु युवक को बुला रहा है। एली ने समूएल से कहा, “जा कर सो जाओ। यदि तुम को फिर बुलाया जायेगा, तो यह कहना, 'हे प्रभु! बोल, तेरा सेवक सुन रहा है”। समूएल गया और अपनी जगह लेट गया। प्रभु उसके पास आया और पहले की तरह उसने पुकारा, “समूएल ! समूएल !” समूएल ने उत्तर दिया, “बोल, तेरा सेवक सुन रहा है।” समूएल बढ़ता गया, प्रभु उसके साथ रहा और उसने समूएल को जो वचन दिये थे, उन में से एक को भी मिट्टी में नहीं मिलने दिया। और दान से ले कर बएरशेबा तक समस्त इस्राएल यह जान गया कि समूएल प्रभु का नबी प्रमाणित हो गया है।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं तेरी इच्छा पूरी करने आया हूँ।
1. मैं कब से प्रभु पर भरोसा रखता आ रहा हूँ? अभी उसने झुक कर मेरी पुकार सुनी। धन्य है वह मनुष्य, जो प्रभु पर भरोसा रखता है और भटकने वाले विधर्मियों का साथ नहीं देता !
2. तूने न तो यज्ञ चाहा और न चढ़ावा, किन्तु तूने मुझे सुनने के कान दिये। तूने न तो होम माँगा और न बलिदान, इसलिए मैंने कहा - देख, मैं आ रहा हूँ।
3. मुझे धर्मग्रंथ में यह आदेश दिया गया है कि मैं तेरी आज्ञाओं का पालन करूँ। हे मेरे ईश्वर ! तेरी इच्छा पूरी करने में मुझे आनन्द आता है, तेरा नियम मेरे हृदय में घर कर गया है।
4. मैंने सबों के सामने तेरे न्याय का बखान किया हे प्रभु ! तू जानता है कि मैंने अपना मुँह बंद नहीं रखा।
अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, “मेरी भेड़ें मेरी आवाज पहचानती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं। "” अल्लेलूया !
येसु सभागृह से निकल कर याकूब और योहन के साथ सीधे सिमोन और अंद्रेयस के घर गये। सिमोन की सास बुखार में पड़ी हुई थी। लोगों ने तुरन्त उसके विषय में उन्हें बताया। येसु उसके पास आये और उन्होंने हाथ पकड़ कर उसे उठाया। उसका बुखार जाता रहा और वह उन लोगों का सेवा-सत्कार करने लगी। संध्या समय, सूरज डूबने के बाद, लोग सभी रोगियों और अपदूत-ग्रस्तों को उनके पास ले आये। सारा नगर द्वार पर एकत्र हो गया। येसु ने नाना प्रकार की बीमारियों से पीड़ित बहुत-से रोगियों को चंगा किया और बहुत-से अपदूतों को निकाला। वह अपदूतों को बोलने से रोकते थे, क्योंकि वे जानते थे कि वह कौन हैं। दूसरे दिन येसु बहुत सबेरे उठ कर घर से निकले और किसी एकान्त स्थान जा कर प्रार्थना करने लगे। सिमोन और उसके साथी उनकी खोज में निकले और उन्हें पाते ही यह बोले, “सब लोग आप को खोज रहे हैं।” येसु ने उन्हें उत्तर दिया, “हम आसपास के कसबों में चलें। मुझे वहाँ भी उपदेश देना है - इसीलिए तो आया हूँ।” और वह उनके सभा-गृहों में उपदेश देते हुए और अपदूतों को निकालते हुए सारी गलीलिया में घूमते रहते थे।
प्रभु का सुसमाचार।