प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : मेरा हृदय प्रभु के कारण आनन्दित हो उठता है।
1. मेरा हृदय प्रभु के कारण आनन्दित हो उठता है। मुझे अपने प्रभु से शक्ति मिली है और मैं अपने शत्रुओं का सामना कर सकता हूँ, क्योंकि तेरा सहारा मुझे उत्साहित करता है।
2. शक्तिशालियों के धनुष टूट गये और जो दुर्बल थे, वे शक्तिसम्पन्न बन गये। जो धनी थे, वे रोटी के लिए मजदूरी करते हें और जो भूखे थे, वे सम्पन्न बन गये। जो बाँझ थी, वह सात बार प्रसव करती है। और जो पुत्रवती थी, उसकी गोद खाली है।
3. प्रभु ही मारता और जिलाता है, वह मनुष्य को अधोलोक पहुँचाता और वहाँ से निकालता है, प्रभु निर्धन भी और धनी भी बना देता है, वह मनुष्यों को नीचा दिखाता और उन्हें ऊँचा उठाता है।
4. वह दीन-हीन को धूल में से निकालता है और कूड़े पर बैठे हुए कंगाल को ऊपर उठा कर उसे रइसों की संगति में पहुँचाता है और सम्मान के आसन पर बैठा देता है।
अल्लेलूया ! आप ईश्वर का संदेश मनुष्यों का नहीं, बल्कि जैसा कि वह वास्तव में है - ईश्वर का वचन समझ कर स्वीकार करें। अल्लेलूया !
वे कफरनाहुम आये। जब विश्रामदिवस आया, तो येसु सभागृह गये और शिक्षा देने लगे। लोग उनकी शिक्षा सुन कर अचंभे में पड़ गये; क्योंकि वह शास्त्रियों की तरह नहीं, बल्कि अधिकार के साथ शिक्षा देते थे। सभागृह में एक मनुष्य था, जो अशुद्ध आत्मा के वश में था। वह ऊँचे स्वर से चिल्लाया, “येसु नाजरी ! हम से आप को क्या्? क्या आप हमारा सर्वनाश करने आये हैं? मैं जानता हूँ कि आप कौन हैं - ईश्वर के भेजे हुए परमपावन पुरुष।” येसु ने यह कह कर उसे डाँटा, “चुप रह ! इस मनुष्य से बाहर निकल जा।” अपदूत उस मनुष्य को झकझोरते हुए ऊँचे स्वर से चिल्ला कर उस में से निकल गया। सब चकित रह गये और आपस में कहने लगे, “यह क्या है? यह तो नये प्रकार की शिक्षा है। वह अधिकार के साथ बोलते हैं। वह अशुद्ध आत्माओं को भी आदेश देते हैं और वे उनकी आज्ञा मानते हैं।” इसके बाद येसु की चरचा शीघ्र ही गलीलिया प्रांत के कोने-कोने में फैल गयी।
प्रभु का सुसमाचार।