वर्ष का आठवाँ सप्ताह, बृहस्पतिवार - वर्ष 1

पहला पाठ

प्रवक्ताआ-ग्रन्थ 42:15-25

“प्रभु की सृष्टि उसकी महिमा से भरपूर है।”

अब मैं प्रभु के कार्यों का स्मरण करूँगा। मैंने जो देखा है, उसका बखान करूँगा। प्रभु ने अपने शब्द द्वारा अपने कार्य सम्पन्न किये। सूर्य सब कुछ आलोकित करता है - समस्त सृष्टि प्रभु की महिमा से भरपूर है। स्वर्गदूतों को भी यह सामर्थ्य नहीं मिला है कि वे उन सब महान्‌ कार्यों का बखान करें, जिन्हें सर्वशक्तिमान्‌ प्रभु ने सुस्थिर कर दिया है, जिससे विश्वमण्डल उसकी महिमा पर आधारित हो। वह समुद्र और मानव हृदय की थाह लेता और उनके सभी रहस्य जानता है; क्योंकि सर्वोच्च प्रभु सर्वज्ञ है और भविष्य भी उस से छिपा हुआ नहीं। वह भूत और भविष्य, दोनों को प्रकाश में लाता और गूढ़तम रहस्यों को प्रकट कर देता है। वह हमारे सभी विचार जानता है, एक शब्द भी उस से छिपा हुआ नहीं रहता। उसकी प्रज्ञा के कार्य सुव्यवस्थित हैं; क्योंकि वह अनादि और अनन्त है। उस में न तो कोई वृद्धि है और न कोई ह्रास और उसे किसी परामर्शदाता की आवश्यकता नहीं। उसकी सृष्टि कितनी रमणीय है ! हम उसकी झलक मात्र देख पाते हैं। उसके समस्त कार्य अनुप्राणित और चिरस्थायी हैं; उसने जो कुछ बनाया है, वह उसका उद्देश्य पूरा करता है। सब चीजें दो-दो प्रकार की होती हैं - एक दूसरी के ठीक विपरीत। उसने कुछ भी व्यर्थ नहीं बनाया। वे एक दूसरे की कमी पूरी करती हैं। प्रभु की महिमा देखते रहने पर कौन उदासीन होगा?

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 32:2-9

अनुवाक्य : उसके शब्द मात्रा से आकाश बन गया है।

1. वीणा बजा कर प्रभु का धन्यवाद करो, सारंगी पर उसका स्तुतिगान करो। उसके आदर में नया गीत गाओ, मन लगा कर वीणा बजाओ।

2. प्रभु का वचन सच्चा है, उसके समस्त कार्य विश्वासनीय हैं। उसे धार्मिकता तथा न्याय प्रिय हैं। पृथ्वी उसके प्रेम से भरपूर है।

3. उसके शब्द मात्र से आकाश बन गया है और उसके श्वास मात्र से समस्त तारागण। वह समुद्र का पानी इकट्ठा करता और महासागर की गहराइयाँ संचित करता है।

4. समस्त पृथ्वी उसका आदर करे, उसके सभी निवासी उसकी उपासना करें। उसके मुख से शब्द निकलते ही यह सब बन गया है। उसके आदेश देते ही यह अस्तित्व में आया है।

जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, “संसार की ज्योति मैं हूँ। जो मेरा अनुसरण करता है, उसे जीवन की ज्योति प्राप्त होगी।” अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 10:46-52

“गुरुवर ! मैं फिर देख सकूँ।”

जब येसु अपने शिष्यों तथा एक विशाल जनसमूह के साथ येरिको से निकल रहे थे, तो तिमेउस का बेटा बरतिमेउस, एक अंधा भिखारी, सड़क के किनारे बैठा हुआ था। जब उसे पता चला कि यह येसु नाजरी हैं, तो वह पुकार-पुकार कर कहने लगा, “हे येसु, दाऊद के पुत्र ! मुझ पर दया कीजिए।” बहुत-से लोग उसे चुप करने के लिए डाँटते थे; किन्तु वह और भी जोर से पुकारता रहा, “दाऊद के पुत्र ! मुझ पर दया कीजिए।” येसु ने रुक कर कहा, “उसे बुलाओ।” लोगों ने यह कह कर अंधे को बुलाया, “ढारस रखो। उठो ! वह तुम्हें बुला रहे हैं।” वह अपनी चादर फेंक कर उछल पड़ा और येसु के पास आया। येसु ने उस से पूछा, “क्या चाहते हो? मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ? अंधे ने उत्तर दिया, “गुरुवर ! मैं फिर देख सकूँ।” येसु ने उस से कहा, “जाओ, तुम्हारे विश्वास ने तुम्हारा उद्धार किया है।” वह उसी क्षण देखने लगा और मार्ग में येसु के पीछे हो लिया।

प्रभु का सुसमाचार।

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