ईश्वर पश्चात्ताप करने वालों को अपने पास लौटने देता और निराश लोगों को ढारस बँधाता है। पाप छोड़ कर सर्वोच्च ईश्वर के पास लौट जाओ। उस से प्रार्थना करो और उसे अप्रसन्न मत किया करो। अन्याय छोड़ कर सर्वोच्च ईश्वर के पास लौट जाओ और अधर्म से अतिशय घृणा करो। यदि जीवित लोग ईश्वर का धन्यवाद नहीं करते, तो अधोलोक में कौन उसका स्तुतिगान करेगा? जो मर चुका है, वह प्रभु का स्तुतिगान नहीं करता। जो जीवित और सकुशल है, वही प्रभु को धन्य कहता है। कितनी महान् है ईश्वर की दया और उसके पास लौटने वालों के लिए उसकी क्षमाशीलता !
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे धर्मियो ! उल्लसित हो कर प्रभु में आनन्द मनाओ !
1. धन्य है वह, जिसका अपराध क्षमा हुआ है, जिसका पाप मिट गया है। धन्य है वह, जिसे ईश्वर दोषी नहीं मानता और जिसका मन निष्कपट है।
2. मैंने अपना अपराध स्वीकार किया, मैंने अपना दोष नहीं छिपाया। मैंने कहा, “मैं प्रभु के सामने अपना अपराध स्वीकार करूँगा।” तब तूने मेरा दोष मिटा दिया, तूने मेरा पाप क्षमा किया।
3. इसलिए संकट के समय हर एक भक्त तेरी दुहाई दे। बाढ़ कितनी ऊँची क्यों न उठ जाये, किन्तु जलधारा उसे नहीं छू पायेगी।
4 हे प्रभु! तू मेरा आश्रय है, तू मुझे संकट से बचाता और मुझे मुक्ति के गीत गाने देता है।
अल्लेलूया ! येसु धनी थे किन्तु आप लोगों के कारण निर्धन बने, जिससे आप लोग उनकी निर्धनता द्वारा धनी बन जायें। अल्लेलूया !
येसु किसी दिन प्रस्थान कर ही रहे थे कि एक मनुष्य दौड़ता हुआ आया और उनके सामने घुटने टेक कर उसने यह पूछा, “भले गुरु ! अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?” येसु ने उस से कहा, “मुझे भला क्यों कहते हो? ईश्वर को छोड़ कोई भला नहीं। तुम आज्ञाओं को जानते हो, हत्या मत करो, व्यभिचार मत करो, चोरी मत करो, झूठी गवाही मत दो, किसी को मत ठगो, अपने माता-पिता का आदर करो।”' उसने उत्तर दिया, “गुरुवर ! इन सब का पालन तो मैं अपने बचपन से करता आया हूँ।” येसु ने उसे ध्यानपूर्वक देखा और उनके हृदय में प्रेम उमड़ पड़ा। उन्होंने उस से कहा, “तुम में एक बात की कमी है। जाओ, अपना सब कुछ बेच कर गरीबों को दे दो और स्वर्ग में तुम्हारे लिए पूँजी रखी रहेगी। तब आ कर मेरा अनुसरण करो।” यह सुन कर उसका चेहरा उतर गया और वह बहुत उदास हो कर चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था। येसु ने चारों ओर दृष्टि दौड़ायी और अपने शिष्यों से कहा, “धनियों के लिए ईश्वर के राज्य में प्रवेश करना कितना कठिन होगा !” शिष्य यह बात सुन कर चकित रह गये। येसु ने उन से फिर कहा, “बच्चो ! ईश्वर के राज्य में प्रवेश करना कितना कठिन है ! सूई के नाके से हो कर ऊँट का निकलना अधिक सहज है, किन्तु धनी का ईश्वर के राज्य में प्रवेश करना कठिन है।” शिष्य और भी विस्मित हो गये और आपस में कहने लगे, “तो फिर कौन बच सकता है? ” उन्हें स्थिर दृष्टि से देखते हुए येसु ने कहा, “मनुष्यों के लिए यह तो असम्भव है, ईश्वर के लिए नहीं; क्योंकि ईश्वर के लिए सब कुछ सम्भव है।”
प्रभु का सुसमाचार।