वर्ष का सातवाँ सप्ताह – बृहस्पतिवार – वर्ष 1

पहला पाठ

प्रवक्तास-ग्रन्थ 5:1-8

“प्रभु के पास शीघ्र ही लौट आओ।”

अपनी धन-सम्पत्ति पर भरोसा मत रखो और यह मत कहो, “मुझे किसी बात की कमी नहीं।” प्रबल नैसर्गिक प्रवृत्तियों से हार कर अपने हदय की वासनाओं को पूरा मत करो। यह मत कहो, “मुझ पर किसी का अधिकार नहीं”; क्योंकि प्रभु तुम्हें अवश्य दण्ड देगा। यह मत कहो, “मैंने पाप किया, तो मेरा कया बिगड़ा? ” क्योंकि प्रभु बड़ा सहनशील है। क्षमा पाने की आशा में पाप पर पाप मत करते जाओ। यह मत कहो, “उसकी दया असीम है। वह मेरे असंख्य पाप क्षमा करेगा”; क्योंकि दया के अतिरिक्त उस में क्रोध भी है और उसका कोप पापियों पर भड़क उठता है। प्रभु के पास शीघ्र ही लौट आओ - दिन पर दिन उस में विलम्ब मत करो; क्योंकि प्रभु का क्रोध अचानक भड़क उठेगा; दण्ड के दिन तुम्हारा विनाश होगा ! पाप की कमाई पर भरोसा मत रखो - विपत्ति के दिन इस से तुम्हें कोई लाभ नहीं होगा।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 1:1-4,6

अनुवाक्य : प्रभु पर भरोसा रखने वाला धन्य है।

1. धन्य है वह मनुष्य, जो दुष्टों की सलाह नहीं मानता, जो पापियों के मार्ग पर नहीं चलता और अधर्मियों के साथ नहीं बैठता, जो प्रभु का नियम हृदय से चाहता और रात-दिन उसका मनन करता है।

2. वह उस वृक्ष के सदृश है, जो जलस्रोत के पास लगाया गया है, जो समय पर फल देता है और जिसके पत्ते मुरझाते नहीं। वह मनुष्य अपने सब कामों में सफल हो जाता है।

3. दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, नहीं होते; वे तो पवन द्वारा छितरायी हुई भूसी के सदूश हैं। प्रभु धर्मियों के मार्ग की रक्षा करता है, किन्तु दुष्टों का मार्ग विनाश की ओर ले जाता है।

जयघोष

अल्लेलूया ! ईश्वर का सन्देश, मनुष्य का नहीं, बल्कि - जैसा कि वह वास्तव में है - ईश्वर का वचन समझ कर, स्वीकार करें। अल्लेलूया !

सुसमाचार

सन्त मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 9:41-50

“अच्छा यही है कि तुम लूले हो कर जीवन में प्रवेश करो, किन्तु दोनों हाथों के रहते नरक में न डाले जाओ।”

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, “जो कोई तुम्हें एक प्याला पानी भर इसलिए पिला दे कि तुम मसीह के शिष्य हो, तो मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि वह अपने पुरस्कार से वंचित नहीं रहेगा।” “यदि कोई इन विश्वास करने वाले नन्हों में से किसी एक के लिए भी पाप का कारण बन जाता है, तो उसके लिए अच्छा यही होता कि उसके गले में चक्की का पाट बाँधा जाता और वह समुद्र में फेंक दिया जाता। और यदि तुम्हारा हाथ तुम्हारे लिए पाप का कारण बन जाये तो उसे काट डालो। अच्छा यही है कि तुम लूले हो कर ही जीवन में प्रवेश करो, किन्तु दोनों हाथों के रहते नरक की न बुझने वाली आग में न डाले जाओ। और यदि तुम्हारा पैर तुम्हारे लिए पाप का कारण बन जाये, तो उसे काट डालो। अच्छा यहीं है कि तुम लैंगड़े हो कर ही जीवन में प्रवेश करो, किन्तु दोनों पैरों के रहते नरक में न डाले जाओ। और यदि तुम्हारी आँख तुम्हारे लिए पाप का कारण बन जाये, तो उसे निकाल दो। अच्छा यही है कि तुम काने हो कर ही ईश्वर के राज्य में प्रवेश करो, किन्तु दोनों आँखों के रहते नरक में न डाले जाओ, जहाँ उन में पड़ा हुआ कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती।” “क्योंकि हर व्यक्ति आग रूपी नमक द्वारा रक्षित किया जायेगा।” “नमक अच्छी चीज है; किन्तु यदि वह फीका पड़ जाये, तो तुम उसे किस से छौंकोगे? “ “अपने में नमक बनाये रखो और आपस में मेल रखो।”

प्रभु का सुसमाचार।