प्रज्ञा अपनी प्रजा को शिक्षा देती है। जो उसकी खोज में लगे रहते हैं, वह उनकी देख-रेख करती है। जो उसे प्यार करता है। वह जीवन को प्यार करता है। जो प्रातःकाल से उसे ढूँढ़ते हैं, वे आनन्दित होंगे। जो उसे प्राप्त कर लेता है, वह महिमान्वित होगा। वह जहाँ कहीं जायेगा प्रभु उसे वहाँ आशीर्वाद प्रदान करेगा। जो उसकी सेवा करते हैं, वे परमपावन प्रभु की सेवा करते हैं। जो उसे प्यार करते हैं, प्रभु उन को प्यार करता है। जो उसकी बात मानता है, वह न्यायसंगत निर्णय देता है। जो उसके मार्ग पर चलता है, उसका निवास सुरक्षित है। जो उस पर भरोसा रखता है, वह उसे प्राप्त करेगा और उसका वंश भी उसका अधिकारी होगा। प्रारंभ में प्रज्ञा उसे टेढ़े-मेढ़े रास्ते पर ले चलेगी और उस में भय तथा आतंक उत्पन्न करेगी। वह अपने अनुशासन से उसे उत्पीड़ित करेगी और तब तक अपने नियमों से उसकी परीक्षा करती रहेगी जब तक वह उस पर पूर्णतया विश्वास नहीं करती। इसके बाद वह उसे सीधे मार्ग पर ले जा कर आनन्दित कर देगी और उस पर अपने रहस्य प्रकट करेगी; किन्तु यदि वह भटक जायेगा, तो वह उसका त्याग करेगी और उसे विनाश के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए छोड़ देगी।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! तेरी संहिता के प्रेमियों को अपार शांति प्राप्त है।
1. तेरी संहिता के प्रेमियों को अपार शांति प्राप्त है। वे कभी विचलित नहीं हो जाते हैं।
2. तू मेरा आचरण जानता है; तू जानता है कि मैं तेरी आज्ञाओं का पालन करता आया हूँ।
3. मेरा कंठ तेरा स्तुतिगान करता रहे, क्योंकि तूने मुझे अपनी संहिता की शिक्षा दी है।
4. मेरी वाणी तेरा गुणगान करती रहे, क्योंकि तेरी सभी आज्ञाएँ न्यायपूर्ण हैं।
5. हे प्रभु! मैं तुक से मुक्ति की आशा करता हूँ। मुझे तेरी संहिता से अपार आनन्द मिलता है।
6. मैं तेरी स्तुति करने के लिए जीवित रहूँ। तेरी आज्ञाएँ मेरा पथप्रदर्शन करती रहें।
अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, “मार्ग, सत्य और जीवन मैं हूँ। मुझ से हो कर गये बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता।” अल्लेलूया !
योहन ने येसु से यह कहा, “गुरुवर ! हमने किसी को आपका नाम ले कर अपदूतों को निकालते देखा और हमने उसे रोकने की चेष्टा की, क्योंकि वह हमारे साथ नहीं चलता।” परन्तु येसु ने उत्तर दिया, “उसे मत रोको, क्योंकि कोई ऐसा नहीं, जो मेरा नाम ले कर चमत्कार दिखाये और बाद में मेरी निंदा करे। जो हमारे विरुद्ध नहीं है, वह हमारे साथ ही है।”
प्रभु का सुसमाचार।