विश्वास उन बातों की स्थिर प्रतीक्षा है, जिनकी हम आशा करते हैं और उन वस्तुओं के अस्तित्व के विषय में दृढ़ धारणा है, जिन्हें हम नहीं देखते। विश्वास के कारण हमारे पूर्वज ईश्वर के कृपापात्र बन गये। विश्वास द्वारा हम समझते हैं कि ईश्वर के शब्द द्वारा विश्व का निर्माण हुआ है और अदृश्य से दृश्य की उत्पत्ति हुई है। विश्वास के कारण हाबिल ने काइन की अपेक्षा कहीं अधिक श्रेष्ठ बलि चढ़ायी। विश्वास के कारण वह धार्मिक समझा गया, क्योंकि ईश्वर ने उसका चढ़ावा स्वीकार किया। विश्वास के कारण वह मर कर भी बोल रहा है। विश्वास के कारण हनोख, मृत्यु का अनुभव किये बिना, आरोहित कर लिया गया। वह फिर नहीं दिखाई पड़ा, क्योंकि ईश्वर ने उसे आरोहित किया था। धर्म-ग्रन्थ उसके विषय में कहता है कि आरोहित किये जाने के पहले वह ईश्वर का कृपापात्र बन गया था। विश्वास के अभाव में कोई भी ईश्वर का कृपापात्र नहीं बन सकता। जो ईश्वर के निकट पहुँचना चाहता है, उसे विश्वास करना है कि ईश्वर है और कि वह उन लोगों का कल्याण करता है, जो उसकी खोज में लगे रहते हैं। ईश्वर से उस समय तक अदृश्य बातों की सूचना पा कर नूह ने अपना परिवार बचाने के लिए विश्वास के कारण बड़ी सावधानी से पोत का निर्माण किया। उसने अपने विश्वास द्वारा संसार को दोषी ठहराया और वह उस धार्मिकता का अधिकारी बना, जो विश्वास पर आधारित है।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु! मैं सदा-सर्वदा तेरा नाम धन्य कहूँगा।
1. मैं दिन-प्रतिदिन तुझे धन्य कहूँगा, मैं सदा-सर्वदा तेरे नाम की स्तुति करूँगा। प्रभु महान् और अत्यन्त प्रशंसनीय है। उसकी महिमा की सीमा नहीं।
2. सभी पीढ़ियाँ तेरी सृष्टि की स्तुति करेंगी और तेरे महान् कार्यों का बखान करती रहेंगी, तेरे ऐश्वर्य तथा तेरी महिमा का वर्णन करेंगी और तेरे चमत्कारों के गीत गाती रहेंगी।
3. हे प्रभु ! तेरी सारी सृष्टि तेरा धन्यवाद करे, तेरे भक्त तुमे धन्य कहें। वे तेरे राज्य की महिमा गायें और तेरे सामर्थ्य का बखान करें।
अल्लेलूया ! स्वर्ग खुल गया और पिता की वाणी सुनाई पड़ी - “यह मेरा प्रिय पुत्र है। इसकी सुनो।” अल्लेलूया !
येसु ने पेत्रुस, याकूब और योहन को अपने साथ ले लिया और वह उन्हें एक ऊँचे पहाड़ पर एकान्त में ले चले। उनके सामने ही येसु का रूपान्तरण हो गया। उनके वस्त्र ऐसे चमकीले और उजले हो गये कि दुनिया का कोई धोबी उन्हें उतना उजला नहीं कर सकता। शिष्यों को एलियस और मूसा दिखाई दिये - वे येसु के साथ बातचीत कर रहे थे। उस समय पेत्रुस ने येसु से कहा, “गुरुवर ! यहाँ होना हमारे लिए कितना अच्छा है ! हम तीन तम्बू खड़ा कर दें - एक आपके लिए, एक मूसा और एक एलियस के लिए।” उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहे, क्योंकि वे सब बहुत डर गये थे। तब एक बादल आ कर उन पर छा गया और उस बादल में से यह वाणी सुनाई दी, “यह मेरा प्रिय पुत्र है। इसकी सुनो।” इसके तुरन्त बाद जब शिष्य अपने चारों ओर दृष्टि दौड़ाने लगे, तो उन्हें येसु के सिवा और कोई नहीं दिखाई पड़ा। येसु ने पहाड़ से उतरते समय उन्हें आदेश दिया कि जब तक मानव पुत्र मृतकों में से न जी उठे, तब तक तुम लोगों ने जो देखा है, उसकी चरचा किसी से भी नहीं करना। उन्होंने येसु की यह बात मान ली, परन्तु वे आपस में विचार-विमर्श करते थे कि “मृतकों में से जी उठने' का क्या अर्थ हो सकता है। उन्होंने येसु से पूछा, “शास्त्री यह क्यों कहते हैं कि पहले एलियस को आना है?” येसु ने उत्तर दिया, “एलियस को अवश्य पहले आना है और सब कुछ ठीक कर देना है। फिर मानव पुत्र के विषय में यह क्यों लिखा है कि वह बहुत दुःख उठायेगा और तिरस्कृत किया जायेगा? मैं तुम से कहता हूँ - एलियस आ चुका है और उसके विषय में जैसा लिखा है, उन्होंने उसके साथ वैसा ही मनमाना व्यवहार किया है।
प्रभु का सुसमाचार।