समस्त पृथ्वी पर एक ही भाषा और एक ही बोली थी। पूर्व में यात्रा करते समय लोग शिनआर देश के एक मैदान में पहुँचे और वहाँ बस गये। उन्होंने एक दूसरे से कहा, “आओ! हम ईंटें बना कर आग में पकायें।” वे पत्थर के लिए ईंट और गारे के लिए डामर काम में लाते थे। फिर वे बोले, “आओ ! हम अपने लिए एक शहर बना लें और एक ऐसी मीनार, जिसका शिखर स्वर्ग तक पहुँचे। हम अपने लिए नाम कमा लें, जिससे हम सारी पृथ्वी पर बिखर न जायें।” तब ईश्वर उतर कर वह शहर और वह मीनार देखने आया, जिन्हें मनुष्य बना रहे थे, और उसने कहा, “वे सब एक ही राष्ट्र हैं और एक ही भाषा बोलते हैं। यह तो उनके कार्यों का आरंभ मात्र है। आगे चल कर वे जो कुछ भी करना चाहेंगे, वह उनके लिए असंभव नहीं होगा। इसलिए हम उतर कर उनकी भाषा में ऐसी उलझन पैदा करें कि वे एक दूसरे को न समझ पायें।” इस प्रकार ईश्वर ने उन्हें वहाँ से सारी पृथ्वी पर बिखेरा और उन्होंने अपने शहर का निर्माण अधूरा छोड़ दिया। उस शहर का नाम बाबुल रखा गया, क्योंकि ईश्वर ने वहाँ पृथ्वी भर की भाषा में उलझन पैदा की और वहाँ से मनुष्यों को सारी पृथ्वी पर बिखेर दिया।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : धन्य हैं वे लोग, जिन्हें प्रभु ने अपनी प्रजा बना लिया है।
1. प्रभु राष्ट्रों की योजनाएँ व्यर्थ करता और उनके उद्देश्य पूरे नहीं होने देता है, किन्तु उसकी अपनी योजनाएँ चिरस्थायी हैं, उसके अपने उद्देश्य पीढ़ी-दर-पीढ़ी बने रहते हैं।
2. धन्य हैं वे लोग, जिनका ईश्वर प्रभु है, जिन्हें प्रभु ने अपनी प्रजा बना लिया है। प्रभु आकाश के ऊपर से दृष्टि डालता और सभी मनुष्यों को देखता रहता है।
3. प्रभु स्वर्ग से देखता रहता और पृथ्वी के सब निवासियों पर दृष्टि रखता है। उसने सबों का हृदय बनाया और उनके सब कामों का लेखा रखता है।
अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, “मैंने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैंने अपने पिता से जो कुछ सुना है, वह सब तुम्हें बता दिया है।” अल्लेलूया !
येसु ने अपने शिष्यों के अतिरिक्त लोगों को भी अपने पास बुला कर कहा, “यदि कोई मेरा अनुसरण करना चाहे, तो वह आत्मत्याग करे और अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले। क्योंकि जो अपना जीवन सुरक्षित रखना चाहता है, वह उसे खो देगा और जो मेरे तथा सुसमाचार के कारण अपना जीवन खो देता है, वह उसे सुरक्षित रखेगा। मनुष्य को इस से क्या लाभ यदि वह सारा संसार तो प्राप्त कर ले, लेकिन अपना जीवन ही गँवा दे? अपने जीवन के बदले मनुष्य दे ही क्या सकता है? जो इस अधर्मी और पापी पीढ़ी के सामने मुझे तथा मेरी शिक्षा स्वीकार करने में लजायेगा, मानव पुत्र भी उसे स्वीकार करने में लजायेगा; जब वह स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा सहित आयेगा।”
प्रभु का सुसमाचार।