चालीस दिन बाद नूह ने उस खिड़की को खोला, जिसे उसने पोत में बनाया था, और एक कौआ छोड दिया। वह कौआं तब तक आता-जाता रहा, जब तक पृथ्वी पर का पानी नहीं सूख गया। सात दिन तक प्रतीक्षा करने के बाद नूह ने पोत से एक कपोत को छोड़ दिया, जिससे यह पता चले कि पृथ्वी पर का पानी घटा या नहीं। कपोत को कहीं भी पैर रखने की जगह नहीं मिली और वह नूह के पास पोत पर लौट आया, क्योंकि समस्त पृथ्वी-तल पर पानी था। नूह ने हाथ बढ़ाया और उसे पकड़ कर पोत के अन्दर अपने पास रख लिया। उसने सात दिन तक प्रतीक्षा करने के बाद कपोत को फिर पोत के बाहर छोड़ दिया। शाम को कपोत उसके पास लौटा और उसकी चोंच में जैतून की एक हरी पत्ती थी। इस से नूह को पता चला कि पानी पृथ्वी-तल पर घट गया है। उसने फिर सात दिन प्रतीक्षा करने के बाद कपोत को छोड़ दिया और इस बार वह उसके पास नहीं लौटा। इस प्रकार नूह के जीवन के छह सौ पहले वर्ष के पहले महीने के पहले दिन पानी पृथ्वी-तल पर सूख गया। नूह ने पोत की छत हटायी और पोत के बाहर दृष्टि दौड़ायी। पृथ्वी-तल सूख गया था। नूह ने प्रभु के लिए एक वेदी बनायी और हर प्रकार के शुद्ध पशुओं और पक्षियों में से कुछ को चुन कर वेदी पर उनका होम चढ़ाया। प्रभु ने उनकी सुगंध पा कर अपने मन में यह कहा, 'मैं मनुष्य के कारण फिर कभी पृथ्वी को अभिशाप नहीं दूँगा; क्योंकि बचपन से ही मनुष्य की प्रवृति बुराई की ओर होती है। मैं फिर कभी सब प्राणियों का विनाश नहीं करूँगा, जैसा कि मैंने अभी किया है। जब तक पृथ्वी बनी रहेगी तब तक बोआई और फसल, जाड़ा और गरमी, ग्रीष्प और हेमन्त, दिन और रात - इन सब का अन्त नहीं होगा।”
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं तुझे धन्यवाद का बलिदान चढ़ाऊँगा। (अथवा : अल्लेलूया !)
1. प्रभु के सब उपकारों के लिए मैं उसे क्या दे सकता हूँ? मैं मुक्ति का प्याला उठा कर प्रभु का नाम लूँगा।
2. प्रभु की सारी प्रजा के सामने प्रभु के लिए अपनी मन्नतें पूरी करूँगा। अपने भक्तों की मृत्यु से प्रभु को भी दुःख होता है।
3. हे येरुसालेम ! मैं तेरे मध्य में, ईश्वर के मंदिर के आँगन में, प्रभु की सारी प्रजा के सामने प्रभु के लिए अपनी मन्नतें पूरी करूँगा।
अल्लेलूया ! हमारे प्रभु येसु मसीह का पिता आप लोगों के मन की आँखों को ज्योति प्रदान करे, जिससे आप यह देख सकें कि उसके द्वारा बुलाये जाने के कारण हमारी आशा कितनी महान् है। अल्लेलूया !
येसु और उनके शिष्य बेथसाइदा पहुँचे। लोग एक अंधे को येसु के पास ले आये और उन्होंने यह प्रार्थना की कि आप उस पर हांथ रख दीजिए। वह अंधे का हाथ पकड़ कर उसे गाँव के बाहर ले गये। वहाँ उन्होंने उसकी आँखों पर अपना थूक लगा कर और उस पर हाथ रख कर उस से पूछा, “क्या तुम्हें कुछ दिखाई दे रहा है?" अंधा कुछ-कुछ देखने लगा था, इसलिए उसने उत्तर दिया, “मैं लोगों को देखता हूँ। वे पेड़ों जैसे लगते, पर चलते हैं।” तब उन्होंने फिर अंधे की आँखों पर हाथ रख दिये और वह अच्छी तरह देखने लगा। वह चंगा हो गया और दूर तक सब कुछ साफ-साफ देख सकता था। येसु ने उसे यह कह कर घर भेजा, “इस गाँव के अन्दर पैर मत रखना।”
प्रभु का सुसमाचार।