जब प्रभु ने देखा कि पृथ्वी पर मनुष्यों की दुष्टता बहुत बढ़ गयी है और उनके मन में निरन्तर बुरे विचार और बुरी प्रवृत्तियाँ उत्पन्न होती हैं, तो प्रभु को इस बात का खेद हुआ कि उसने पृथ्वी पर मनुष्य को बनाया था। इसलिए वह बहुत दुःखी था। प्रभु ने कहा, “मैं उस मनुष्य-जाति को, जिसकी मैंने सृष्टि की है, पृथ्वी पर से मिटा दूँगा - और मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं, रेंगने वाले जीव-जन्तुओं और आकाश के पक्षियों को भी - क्योंकि मुझे खेद है कि मैंने उन को बनाया है।” नृह को ही प्रभु की कृपादृष्टि प्राप्त हुई। प्रभु ने नूह से कहा, “तुम अपने सारे परिवार के साथ पोत पर चढ़ो, क्योंकि इस पीढ़ी में केवल तुम्हीं मेरी दृष्टि में धार्मिक हो। तुम समस्त शुद्ध पशुओं में से नर-मादा के सात-सात जोड़े ले जाओ और समस्त अशुद्ध पशुओं में से दो, नर और उसकी मादा को। आकाश के पक्षियों में से भी नर और मादा के सात-सात जोड़े। इस तरह समस्त पृथ्वी पर उनकी जाति बनाये रखोगे; क्योंकि सात दिन बाद मैं चालीस दिन और चालीस रात पानी बरसाऊँगा और मैं पृथ्वी पर से उन सब प्राणियों को मिटा दूँगा, जिन्हें मैंने बनाया है।” नूह ने वह सब किया जिसका आदेश प्रभु ने दिया था। और सातवें दिन प्रलय का जल पृथ्वी पर बरसने लगा।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्थ : प्रभु अपनी प्रजा को शांति की आशिष प्रदान करेगा।
1. हे स्वर्गदूतगण ! प्रभु की महिमा का गीत गाओ ! उसके सामर्थ्य का बखान करो, उसके महिमामय नाम की स्तुति करो, उसके पवित्र मंदिर में उसकी आराधना करो।
2. प्रभु की वाणी जल पर, महासागर की लहरों पर गरजती है। प्रभु की वाणी शक्तिशाली है, प्रभु की वाणी प्रतापमय है।
3. प्रभु की महिमामय वाणी गरजती है। उसके मंदिर में सब बोल उठते हैं - प्रभु की जय ! प्रभु जलप्रवाह के ऊपर विराजमान था। प्रभु सदा-सर्वदा राज्य करेगा।
अल्लेलूया ! यदि कोई मुझे प्यार करेगा, तो वह मेरी शिक्षा पर चलेगा। मेरा पिता उसे प्यार करेगा और हम उसके पास आयेंगे। अल्लेलूया !
शिष्य रोटियाँ लेना भूल गये थे, और नाव में उनके पास एक ही रोटी थी। उस समय येसु ने उन्हें यह चेतावनी दी, “सावधान रहो। फरीसियों के खमीर और हेरोद के खमीर से बचते रहो।” इस पर वे आपस में कहने लगे, “हमारे पास रोटियाँ नहीं हैं, इसलिए यह ऐसा कहते हैं।” येसु ने यह जान कर उन से कहा, “तुम लोग यह क्यों सोचते हो कि हमारे पास रोटियाँ नहीं हैं, इसलिए यह ऐसा कहते हैं? क्या तुम अब तक नहीं जान गये हो? नहीं समझ गये हो? क्या तुम्हारी बुद्धि मारी गयी है? क्या आँखें रहते भी तुम देखते नहीं? और कान रहते भी तुम सुनते नहीं? क्या तुम्हें याद नहीं है - जब मैंने उन पाँच हजार लोगों के लिए पाँच रोटियाँ तोड़ी, तो तुमने टुकड़ों के कितने टोकरे भरे थे?” शिष्यों ने उत्तर दिया, “बारह”। “और जब मैंने चार हजार लोगों के लिए सात रोटियाँ तोड़ीं तो तुमने टुकड़ों के कितने टोकरे भरे थे ?” उन्होंने उत्तर दिया, “सात”। इस पर येसु ने उन से कहा, “क्या तुम लोग अब तक नहीं समझ सके?”
प्रभु का सुसमाचार।