सामान्य काल का चौथा सप्ताह, शनिवार - वर्ष 1

पहला पाठ

इब्रानियों के नाम पत्र 13:15-17,20-21

“शांति का ईश्वर, जिसने भेड़ों के महान्‌ चरवाहे को मृतकों में से पु्जीवित किया, आप लोगों को समस्त गुणों से सम्पन्न करे।”

हम येसु के द्वारा ईश्वर को स्तुति का बलिदान - अर्थात्‌ उसके नाम की महिमा करने वाले होंठों का फल - निरन्तर चढ़ाना चाहते हैं। आप लोग परोपकार और एक दूसरे की सहायता करना कभी नहीं भुलायें, क्योंकि इस प्रकार के बलिदान ईश्वर को प्रिय होते हैं। आपके नेताओं को रात-दिन आपकी आध्यात्मिक भलाई की चिन्ता रहती है, क्योंकि ये इसके लिए उत्तरदायी हैं। इसलिए आप लोग उनका आज्ञापालन करें और उनके अधीन रहें, जिससे वे अपना कर्त्तव्य आनन्द के साथ पूरा कर सकें, आहें भरते हुए नहीं; क्योंकि इस से आप को कोई लाभ नहीं होगा। शांति का ईश्वर, जिसने शाश्वत विधान के रक्त द्वारा भेड़ों के महान्‌ चरवाहे, हमारे प्रभु येसु को मृतकों में से पुनर्जीवित किया, आप लोगों को समस्त गुणों से सम्पन्न करे, जिससे आप उसकी इच्छा पूरी करें। वह येसु मसीह द्वारा हम में वह कर दिखाये, जो उसे प्रिय है। उन्हीं मसीह को अनन्तकाल तक महिमा ! आमेन।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 22:1-6

अनुवाक्य : प्रभु मेरा चरवाहा है। मुझे किसी बात की कमी नहीं।

1. प्रभु मेरा चरवाहा है। मुझे किसी बात की कमी नहीं। वह मुझे हरे मैदानों में चराता है। वह मुझे विश्राम के लिए जल के निकट ले जा कर मुझ में नवजीवन का संचार करता है।

2. वह अपने नाम का सच्चा है, वह मुझे धर्म-मार्ग पर ले चलता है। चाहे अँधेरी घाटी हो कर जाना ही क्यों न पड़े, मुझे किसी अनिष्ट की आशंका नहीं; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है। तेरी लाठी, तेरे डंडे पर मुझे भरोसा है।

3. तू मेरे शत्रुओं के देखते-देखते मेरे लिए खाने की मेज सजाता है। तू मेरे सिर पर तेल का विलेपन करता है।। तू मेरा प्याला लबालब भर देता है।

4. इस प्रकार तेरी भलाई और तेरी कृपा से मैं जीवन भर घिरा रहता हूँ। प्रभु का मंदिर ही मेरा घर है; मैं उस में अनन्तकाल तक निवास करूँगा।

जयघोष : योहन 10:27

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, “मेरी भेड़ें मेरी आवाज पहचानती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं।” अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 6:30-34

“वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थे।”

प्रेरितों ने येसु के पास लौट कर उन्हें बताया कि हम लोगों ने क्या-क्या किया और क्या-क्या सिखलाया है। तब येसु ने उन से कहा, “तुम लोग अकेले ही मेरे साथ किसी निर्जन स्थान चले आओ और थोड़ा विश्राम कर लो” ; क्योंकि इतने लोग आया-जाया करते थे कि उन्हें भोजन करने की भी फुरसत नहीं रहती थी। इसलिए वे नाव पर चढ़ कर अकेले ही निर्जन स्थान की ओर चल दिये। उन्हें जाते देख कर बहुत-से लोग समझ गये कि वह कहाँ जा रहे हैं। वे नगर-नगर से निकल कर पैदल ही उधर दौड़ पड़े और उन से पहले ही वहाँ पहुँच गये। येसु ने नाव से उतर कर एक विशाल जनसमूह देखा। उन्हें उन लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थे और वह उन्हें बहुत-सी बातों की शिक्षा देने लगे।

प्रभु का सुसमाचार।