आपका भातृ-प्रेम बना रहे। आप लोग आतिथ्य-सत्कार भूलें नहीं, क्योंकि इसी के कारण कुछ लोगों ने अनजाने ही अपने यहाँ स्वर्गदूतों का सत्कार किया। आप बन्दियों की इस तरह सुध लेते रहें, मानो आप उनके साथ बन्दी हों और जिन पर अत्याचार किया जाता है, उनकी भी याद करें, क्योंकि आप पर भी अत्याचार किया जा सकता है। आप लोगों में विवाह सम्मानित और दाम्पत्य-जीवन अदूषित हो, क्योंाकि ईश्वर लम्पटों और व्यभिचारियों का न्याय करेगा। आप लोग धन का लालच न करें। जो आपके पास है, उस से सन्तुष्ट रहें; क्योंकि ईश्वर ने स्वयं कहा है; “मैं तुम को नहीं छोड़ूँगा, मैं तुम को कभी नहीं त्यागूँगा। " “इसलिए, हम विश्वस्त हो कर यह कह सकते हैं - प्रभु मेरी सहायता करता है, मनुष्य मुझे क्या कर सकता है? आप लोग उन नेताओं की स्मृति कायम रखें, जिन्होंने आप को ईश्वर का संदेश सुनाया और उनके जीवन के परिणाम का मनन करते हुए उनके विश्वास का अनुकरण करें। येसु मसीह एकरूप रहते हैं - कल, आज और अनन्तकाल तक।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु मेरी ज्योति और मेरी मुक्ति है।
1. प्रभु मेरी ज्योति और मेरी मुक्ति है, तो मैं किस से डरूँ? प्रभु मेरे जीवन की रक्षा करता है, तो मैं किस से भयभीत होऊँ?
2. भले ही शत्रुओं की सेना मेरे सामने पड़ाव डाले, मैं भयभीत नहीं होऊँगा। भले ही मेरे विरुद्ध युद्ध छिड़ जाये, मेरा भरोसा दृढ़ रहेगा।
3. क्योंकि वह संकट के दिन मुझे अपने तम्बू में सुरक्षित रखेगा। वह मुझे अपने तम्बू के भीतर छिपायेगा। वह मुझे चट्टान पर खड़ा कर देगा।
4. हे प्रभु ! मैं तेरे दर्शनों के लिए तरसता हूँ, अपना मुख मुझ से न छिपा। अप्रसन्न हो कर अपने सेवक को न त्याग, क्योंकि तू ही मेरा सहारा है।
अल्लेलूया ! धन्य हैं वे, जो सच्चे और निष्कपट हृदय से ईश्वर का वचन सुरक्षित रखते हैं और अपने धीरज के कारण फल लाते हैं। अल्लेलूया !
हेरोद ने येसु की चरचा सुनी, क्योंकि उनका नाम प्रसिद्ध हो गया था। लोग कहते थे - योहन बपतिस्ता मृतकों में से जी उठा है, इसलिए वह ये महान् चमत्कार दिखा रहा है। कुछ लोग कहते थे यह एलियस है। कुछ लोग कहते थे - यह पुराने नबियों की तरह कोई नबी है। हेरोद ने यह सब सुन कर कहा, “यह योहन ही है, जिसका सिर मैंने कटवाया और जो जी उठा है।” हेरोद ने अपने भाई फिलिप की पत्ली हेरोदियस के कारण योहन को गिरफ्तार किया और बन्दीगृह में बाँध रखा था; क्योंकि हेरोद ने हेरोदियस से विवाह किया था और योहन ने हेरोद से कहा था, “अपने भाई की पत्नी को रखना आपके लिए उचित नहीं है।” इसी से हेरोदियस योहन से बैर रखती थी और उसे मार डालना चाहती थी; किन्तु वह ऐसा नहीं कर पाती थी, क्योंकि हेरोद योहन को धर्मात्मा और सन्त जान कर उस पर श्रद्धा रखता और उसकी रक्षा करता था। हेरोद उसके उपदेश सुन कर बड़े असमंजस में पड़ जाता था। फिर भी, वह उसकी बातें सुनना पसंद करता था। हेराद् के जन्म-दिवस पर हेरोदियस को एक सुअवसर मिला। उस उत्सव के उपलक्ष्य में हेरोद ने अपने दरबारियों, सेनापतियों और गलीलिया के रइसों को भोज दिया। उस अवसर पर हेरोदियस की बेटी ने अंदर आ कर नृत्य किया और हेरोद तथा उसके अतिथियों को मुग्ध कर लिया। राजा ने लड़की से कहा, “जो भी चाहो, मुझ से माँगो। मैं तुम्हें दे दूँगा”, और उसने शपथ खा कर कहा, “जो भी माँगो, चाहे मेरा आधा राज्य ही क्यों न हो, मैं तुम्हें दे दूँगा।” लड़की ने बाहर जा कर अपनी माँ से पूछा, “मैं क्या माँगूँ"? उसने कहा, “योहन बपतिस्ता का सिर।” वह तुरन्त राजा के पास दौड़ती हुई आयी और बोली, “मैं चाहती हूँ कि आप मुझे इसी समय थाली में योहन बपतिस्ता का सिर दे दें।” राजा को धक्का लगा, परन्तु अपनी शपथ और अतिथियों के कारण वह उसकी माँग अस्वीकार करना नहीं चाहता था। राजा ने तुरन्त जल्लाद को भेज कर योहन का सिर ले आने का आदेश दिया। जल्लाद ने जा कर बन्दीगृह में उसका सिर काट डाला और उसे थाली में ला कर लड़की को दिया और लड़की ने उसे अपनी माँ को दे दिया। जब योहन के शिष्यों को इसका पता चला, तो वे आ कर उसका शव ले गये और उन्होंने उसे कब्र में रख दिया।
प्रभु का सुसमाचार।