अब तक आप को पाप से संघर्ष करने में अपना रक्त नहीं बहाना पड़ा है। क्या आप लोग धर्मग्रन्थ का यह उपदेश भूल गये हैं, जिस में आप को पुत्र कह कर सम्बोधित किया गया है - हे मेरे पुत्र ! प्रभु के अनुशासन की उपेक्षा मत करो और उसकी फटकार से हिम्मत मत हारो। क्योंकि प्रभु जिसे प्यार करता है, उसे दण्ड देता है और जिसे पुत्र मानता है, उसे कोड़े लगाता है। आप जो कष्ट सहते हैं, उसे पिता का दण्ड समझें, क्योंकि वह इसका प्रमाण है कि ईश्वर आप को पुत्र समझ कर आपके साथ व्यवहार करता है। और वह पुत्र कहाँ है, जिसे पिता दण्ड नहीं देता? जब दण्ड मिल रहा है तो वह सुखद नहीं, दुःखद प्रतीत होता है, किन्तु जो दण्ड द्वारा सुधारे जाते हैं, वे बाद में धार्मिकता का शांतिप्रद फल प्राप्त करते हैं। इसलिए ढीले हाथों तथा शिथिल घुटनों को सबल बना लें और सीधे पथ पर आगे बढ़ते जाये जिससे लँगड़ा न भटके, बल्कि चंगा हो जाये। सबों के साथ शांति बनाये रखें और पवित्रता की साधना करें - इसके बिना कोई भी ईश्वर के दर्शन नहीं करेगा। आप सावधान रहें - कोई भी ईश्वर की कृपा नहीं खो दे। ऐसा कोई कडुआ और हानिकर पौधा पनपने न पाये, जो समस्त समुदाय को दूषित करे।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : अपने भक्तों के प्रति प्रभु का प्रेम सदा-सर्वदा बना रहता है।
1.मेरी आत्मा प्रभु को धन्य कहे, मेरा सर्वस्व उसके पवित्र नाम की स्तुति करे। मेरी आत्मा प्रभु को धन्य कहे और उसके वरदानों को कभी नहीं भुलाये।
2. पिता जिस तरह अपने पुत्रों पर दया करता है, प्रभु उसी तरह अपने भक्तों पर दया करता है। क्योंकि वह जानता है कि हम किस चीज के बने हैं; उसे याद रहता है कि हम मिट्टी हैं।
3. अपने भक्तों के प्रति प्रभु का प्रेम सदा-सर्वदा बना रहता है। प्रभु के विधान पर चलने वालों के पुत्र-पौत्रों के लिए उसकी न्यायप्रियता चिरस्थायी हैं।
अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, “मेरी भेड़ें मेरी आवाज पहचानती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं।” अल्लेलूया !
वहाँ से विदा हो कर येसु अपने शिष्यों के साथ अपना नगर आये। जब विश्राम-दिवस आया, तो वह सभागृह में शिक्षा देने लगे। बहुत-से लोग सुन रहे थे और अचम्भे में पड़ कर कहते थे, “यह सब इसे कहाँ से मिला? यह कौन-सा ज्ञान है, जो इसे दिया गया है? जो महान् चमत्कार यह दिखाता है, वे क्या हैं? क्या यह वही बढ़ई नहीं है - मरियम का बेटा, याकूब, योसेफ, यूदस और सिमोन का भाई? क्या इसकी बहनें हमारे ही बीच नहीं रहतीं?” और बे येसु में विश्वास नहीं कर सके। येसु ने उन से कहा, “अपने नगर, अपने कुटुम्ब और अपने घर में नबी का आदर नहीं होता।” वह वहाँ कोई चमत्कार नहीं कर सके। उन्होंने केवल थोड़े-से रोगियों पर हाथ रख कर उन्हें अच्छा किया। उन लोगों के अविश्वास पर येसु को बड़ा आश्चर्य हुआ। येसु शिक्षा देते हुए गाँव-गाँव घूमते थे।
प्रभु का सुसमाचार।