सामान्य काल का चौथा सप्ताह, मंगलवार - वर्ष 1

पहला पाठ

इब्रानियों के नाम पत्र 12:1-4

“हम धैर्य के साथ उस दौड़ में आगे बढ़ते जायें, जिस में हमारा नाम लिखा गया है।

जब विश्वास के साक्षी इतनी बड़ी संख्या में हमारे चारों ओर विद्यमान हैं, तो हम हर प्रकार कौ बाधा दूर कर अपने को उलझाने वाले पाप को छोड़ कर और येसु पर अपनी दृष्टि लगा कर, धैर्य के साथ उस दौड़ में आगे बढ़ते जायें, जिस में हमारा नाम लिखा गया है। येसु हमारे विश्वास के प्रवर्तक हैं और उसे पूर्णता तक पहुँचाते हैं। भविष्य में प्राप्त होने वाले आनन्द के हेतु उन्होंने क्रूस का कष्ट स्वीकार किया और उसके कलंक की कोई परवाह नहीं की। अब वह ईश्वर के सिंहासन के दाहिने विराजमान हैं। कहीं ऐसा न हो कि आप लोग निरुत्साहित हो कर हिम्मत हार जायें, इसलिए आप उनका स्मरण करते रहें, जिन्होंने पापियों का इतना-अत्याचार सह लिया। अब तक आप को पाप से संघर्ष करने में अपना रक्त नहीं बहाना पड़ा है।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 21:26-28,30-32

अनुवाक्य : हे प्रभु ! जो तेरी खोज में लगे रहते हैं, वे तेरी स्तुति करेंगे।

1. मैं प्रभु-भक्तों के सामने अपनी मन्नतें पूरी करूँगा। जो दरिद्र हैं, वे खा कर तृप्त हो जायेंगे, जो प्रभु की खोज में लगे रहते हैं, वे उसकी स्तुति करेंगे। उनका हृदय सदा ही आनन्दित रहेगा।

2. समस्त पृथ्वी के निवासी प्रभु का स्मरण करेंगे और उसके पास लौट आयेंगे। सभी राष्ट्र उसे दण्डवत्‌ करेंगे। पृथ्वी के सभी शासक उसके सामने नतमस्तक होंगे। सभी मनुष्य उसकी आराधना करेंगे।

3. मैं उसके लिए जीता रहँगा और मेरा वंश उसकी सेवा करता रहेगा। वह बाद की पीढ़ियों के लिए प्रभु के कार्यों का बखान करेगा। और आने वाले राष्ट्रों के लिए प्रभु की दया घोषित करेगा।

जयघोष : मत्ती 8:17

अल्लेलूया ! उसने हमारी दुर्बलताओं को दूर कर दिया और हमारे रोगों को अपने ऊपर ले लिया। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 5:21-43

“ओ लड़की ! मैं तुम से कहता हूँ : उठो !”

जब येसु नाव से उस पार पहुँचे, तो समुद्र तट पर उनके पास एक विशाल जनसमूह एकत्र हो गया। उस समय सभागृह का जैरुस नामक एक अधिकारी आया। येसु को देख कर वह उनके चरणों पर गिर पड़ा और यह कह कर अनुनय-विनय करने लगा, “मेरी बेटी मरने पर है। आइए और उस पर हाथ रखिए, जिससे वह चंगी हो जाये और जीवित रह सके।” येसु उनके साथ चले। एक बड़ी भीड़ उनके पीछे हो ली और लोग चारों ओर से उन पर गिरे पड़ते थे। एक स्त्री बारह बरस से रक्तस्राव से पीडित थी। अनेकानेक वैद्यों के इलाज के कारण उसे बहुत कष्ट सहना पड़ा था और अपना सब कुछ खर्च करने पर भी उसे कोई लाभ नहीं हुआ था, बल्कि वह और भी बीमार हो गयी थी। उसने येसु के विषय में सुना था और भीड़ में पीछे से आ कर उनका कंपड़ा छू लिया, क्योंकि वह मन-ही-मन कहती थी, “यदि मैं उनका कपड़ा भर छूने पाऊँ, तो चंगी हो जाऊँगी”। उसी क्षण उसका रक्तस्नाव सूख गया और उसने अपने शरीर में अनुभव किया कि मेरा रोग दूर हो गया है। येसु उसी समय जान गये कि उन से शक्ति निकली है। भीड़ में मुड कर उन्होंने पूछा, “किसने मेरा कपड़ा छुआ?” उनके शिष्यों ने उन से कहा, “आप देखते ही हैं कि भीड़ आप पर गिरी पड़ती है। तब भी आप पूछते हैं - किसने मेरा स्पर्श किया?” जिसने ऐसा किया था, उसका पता लगाने के लिए येसु ने चारों ओर दृष्टि दौड़ायी। वह स्त्री, यह जान कर कि मुझे क्या हो गया है, डरती-काँपती हुई आयी और उन्हें दण्डबत्‌ कर सारा हाल बता दिया। येसु ने उस से कहा, “बेटी ! तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें चंगा किया है। शांति ग्रहण कर जाओ और अपने रोग से मुक्त रहो।” येसु यह कह ही रहे थे कि सभागृह के अधिकारी के यहाँ से लोग आये और कहने लगे, “आपकी बेटी मर गयी है। अब गुरु को कष्ट देने की जरूरत क्या है?” येसु ने उनकी बात सुन कर सभागृह के अधिकारी से कहा, “डरिए नहीं। बस, विश्वास कीजिए।” येसु ने पेत्रुस, याकूब और याकूब के भाई योहन के सिवा किसी को भी अपने साथ आने नहीं दिया। जब वे सभागृह के अधिकारी के यहाँ पहुँचे, तो येसु ने देखा कि कोलाहल मचा हुआ है और लोग विलाप कर रहे हैं। उन्होंने भीतर जा कर लोगों से कहा, “यह कोलाहल, यह विलाप क्योंग? लड़की मरी नहीं है, सो रही है।” इस पर वे उनकी हँसी उड़ाने लगे। येसु ने सब को बाहर कर दिया और वह लड़की के माता-पिता और अपने साथियों के साथ उस जगह आये, जहाँ लड़की पड़ी हुई थी। उन्होंने लड़की का हाथ पकड़ कर उस से कहा, “तालिथा कुम”। इसका अर्थ है - ओ लड़की ! मैं तुम से कहता हूँ: उठो। लड़की उसी क्षण उठ खड़ी हुई और चलने-फिरने लगी, क्योंकि वह बारह बरस की थी। लोग बडे अचम्भे में पड़ गये। येसु ने उन्हें बहुत समझा कर आदेश दिया कि यह बात कोई न जानने पाये और कहा कि लड़की को कुछ खाने को दो।

प्रभु का सुसमाचार।