मैं और क्याे कहूँ? गिदियोन, बारुक, सामसोन, इफ़ताई, दाऊद, समूएल और अन्य नबियों की चरचा करने की मुझे 'फुरसत नहीं। उन्होंने अपने विश्वास द्वारा राज्यों को अपने अधीन कर लिया, न्याय का पालन किया, प्रतिज्ञाओं का फल पाया, सिंहों का मुँह बन्द कर दिया और प्रज्वलित आग बुझायी। वे तलवार की धार से बच गये और दुर्बल होते हुए भी शक्तिशाली बन गये। उन्होंने युद्ध में वीरता का प्रदर्शन किया और विदेशी सेनाओं को भगा दिया। स्त्रियों ने अपने पुनर्जीवित मृतकों को फिर प्राप्त किया। कुछ लोग यंत्रणा सह कर मर गये और वे उससे इसलिए छुटकारा नहीं चाहते थे कि उन्हें श्रेष्ठतर पुनरुत्थान प्राप्त हो। उपहास, कोडों, बेडियों और बन्दीगृह द्वारा कुछ लोगों की परीक्षा ली गयी है। कुछ लोग पत्थरों से मारे गये, कुछ आरे से चीर दिये गये और कुछ तलवार के घाट उतारे गये। कुछ लोग दरिद्रता, अत्याचार और उत्पीड़न के शिकार बन कर, भेड़ों और बकरियों की खाल ओढे, इधर-उधर भटकते रहे। संसार उनके योग्य नहीं था। उन्हें उजाड़ स्थानों, पहाड़ी प्रदेशों, गुफाओं और धरती के गड्ढों की शरण लेनी पड़ी। वे सब अपने विश्वास के कारण ईश्वर के कृपापात्र बन गये; फिर भी उन्हें प्रतिज्ञा का फल प्राप्त नहीं हुआ, क्योंकि ईश्वर ने हम को दृष्टि में रख कर एक श्रेष्ठतर योजना बनायी थी। वह चाहता था कि वे हमारे साथ ही पूर्णता तक पहुँचें।
प्रभु की वाणी।
भजन : स्तोत्र 30:20-24अनुवाक्य : प्रभु पर भरोसा रखने वाले सब के सब ढारस रखें।
1. हे प्रभु ! तेरी भलाई कितनी अपार है! तू अपने भक्तों के लिए कितना दयालु है ! जो तेरी शरण में आते हैं, तू उन्हें सबों के सामने आश्रय देता है।
2. तू उन्हें अपने साथ रख कर मनुष्यों के षड्यंत्रों से उनकी रक्षा करता है। तू उन्हें अपने तम्बू में छिपा कर लोगों की निन्दा से बचाता है।
3. धन्य है प्रभु ! उसने संकट के समय में मुझ पर अपूर्व रीति से दया की है।
4. मैंने अपनी घबराहट में कहा था, “तूने मुझे अपने सामने से हटा दिया है” , किन्तु मेरे दुहाई देने पर तूने मेरी पुकार सुन ली।
5. हे धर्मियो ! प्रभु को प्यार करो। वह अपने भक्तों की रक्षा करता है, किन्तु वह घमंडियों को पूरा-पूरा दण्ड देगा।
अल्लेलूया ! हमारे बीच महान् नबी उत्पन्न हुए हैं और ईश्वर ने अपनी प्रजा की सुध ली है। अल्लेलूया !
वे समुद्र के उस पार गेरासेनियों के प्रदेश पहुँचे। येसु ज्यों ही नाव से उतरे, एक अपदूतग्रस्त मनुष्य मकबरों से निकल कर उनके पास आया। वह मकबरों में रहा करता था। अब कोई उसे जंजीर से भी नहीं बाँध पाता था, क्योंकि वह बारंबार बेड़ियों और जंजीरों से बाँधा गया था, लेकिन उसने जंजीरों को तोड़ डाला और बेडियों को टुकडे-टुकड़े कर दिया था। उसे कोई भी वश में नहीं रख पाता था। वह रात-दिन निरन्तर मकबरों में और पहाड़ों पर चिल्लाता और पत्थरों से अपने को घायल करता रहता था। वह येसु को दूर से देख कर दौड़ता हुआ आया और उन्हें दण्डवत् कर ऊँचे स्वर से चिल्लाने लगा, “हे येसु ! सर्वोच्च ईश्वर के पुत्र ! मुझ से आप को क्या? ईश्वर के नाम पर प्रार्थना है - मुझे न सताइए।” क्योंकि येसु उस से कह रहे थे, “अशुद्ध आत्मा ! इस मनुष्य से निकल जा।” येसु ने उस से पूछा, “तेरा नाम क्या है?” उसने उत्तर दिया, “मेरा नाम सेना है, क्योंकि हम बहुत हैं”, और वह येसु से बहुत अनुनय-विनय करने लगा कि हमें इस प्रदेश से नहीं निकालिए। वहाँ पहाड़ी पर सूअरों का एक बड़ा कुण्ड चर रहा था। अपदूतों ने गिड़गिड़ाते हुए येसु से कहा, “हमें सूअरों में भेज दीजिए। हमें उन में घुसने दीजिए” येसु ने अनुमति दे दी। तब अपदूत उस मनुष्य से निकल कर सूअरों में जा घुसे और लगभग दो हजार का वह मुण्ड तेजी से ढाल पर से समुद्र में कूद पड़ा और उस में डूब कर मर गया। सूअर चराने वाले भाग गये। उन्होंने नगर और बस्तियों में इसकी खबर फैला दी। लोग यह सब देखने निकले। वे येसु के पास आये और यह देख कर भयभीत हो गये कि वह अपदूतग्रस्त, जिस में पहले अपदूतों की सेना थी, कपड़े पहने शांत भाव से बैठा हुआ है। जिन्होंने यह सब अपनी आँखों से देखा था, वे लोगों को यह बतलाने लगे कि अपदूतग्रस्त के साथ क्या हुआ और सूअरों पर क्या-क्या बीती। तब गेरासेनी येसु से निवेदन करने लगे कि वह उनके प्रदेश से चले जायें। येसु नाव पर चढ़ ही रहे थे कि अपदूतग्रस्त उन से विनती करने लगा कि मुझे अपने पास रहने दीजिए। उसकी प्रार्थना अस्वीकार करते हुए येसु ने कहा, “अपने लोगों के पास अपने घर जाओ और उन्हें बता दो कि प्रभु ने तुम्हारे लिए क्या-क्या किया है और तुम पर किस तरह कृपा की है।” वह चला गया और सारे देकापोलिस में यह सुनाता फिरता था कि येसु ने उसके लिए क्या-क्या किया है और सब लोग अचंभे में पड़ जाते थे।
प्रभु का सुसमाचार।