उन बीते दिनों को याद कीजिए जब आप लोग ज्योति मिलने के तुरन्त बाद, दुःखों के घोर संघर्ष का सामना करते हुए दृढ़ बने रहे। आप लोगों में कुछ को सबों के सामने अपमान और अत्याचार सहना पड़ा और दूसरे इनके साथ पूरी सहानुभूति दिखलाते रहे। जो बन्दी बनाये गये, आप लोग उनके कष्टों के सहभागी बने और जब आप लोगों की धन-सम्पत्ति जब्त की गयी, तो आपने यह सहर्ष स्वीकार किया; क्योंकि आप जानते थे कि इस से कहीं अधिक उत्तम और चिरस्थायी सम्पत्ति आपके पास विद्यमान है। इसलिए आप लोग अपना भरोसा नहीं छोड़िए - इसका पुरस्कार महान् है। आप लोगों को धैर्य की आवश्यकता है, जिससे ईश्वर की इच्छा पूरी करने के बाद आप को वह मिल जाये, जिसकी प्रतिज्ञा ईश्वर कर चुका है। क्योंकि धर्मग्रन्थ यह कहता है - जो आने वाला है, वह थोड़े ही समय बाद आयेगा। वह देर नहीं करेगा। मेरा धार्मिक भक्त अपने विश्वास के कारण जीवन प्राप्त करेगा। किन्तु यदि कोई पीछे हट जाये, तो मैं उस पर प्रसन्न नहीं होऊँगा। हम उन लोगों में से नहीं हैं, जो हटने के कारण नष्ट हो जाते हैं, बल्कि हम उन लोगों में से हैं, जो अपने विश्वास द्वारा जीवन प्राप्त करते हैं।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु धर्मियों का उद्धार करता है।
1. यदि तुम प्रभु पर भरोसा रख कर भला करोगे, तो स्वदेश में सुरक्षित रह सकोगे। यदि तुम प्रभु में अपना आनन्द पाओगे, तो वह तुम्हारा मनोरथ पूरा करेगा।
2. प्रभु को अपना जीवन अर्पित करो, उस पर भरोसा रखो और वह तुम्हारी रक्षा करेगा। तुम्हारी धार्मिकता उषा की तरह चमकेगी, तुम्हारा न्याय दिन के प्रकाश की तरह प्रकट हो जायेगा।
3. प्रभु मनुष्य का पथप्रदर्शन करता और अपने कृपापात्र को सँभालता है। वह मनुष्य ठोकर खाने पर भी नहीं गिरता, क्योंकि प्रभु उसका हाथ पकड़ता है।
4. प्रभु धर्मियों का उद्धार करता और संकट के समय उनकी रक्षा करता है। प्रभु उनकी सहायता करता और उन्हें बचाता है। वे प्रभु का आश्रय पा कर सुरक्षित रहते हैं।
अल्लेलूया ! हे पिता ! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु ! मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने राज्य के रहस्यों को निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है। अल्लेलूया !
येसु ने लोगों से कहा, “ईश्वर का राज्य उस मनुष्य के सदृश्य है, जो भूमि में बीज बोता है। वह रात को सोने जाता और सुबह उठता है। बीज उगता है और बढ़ता जाता है, हालाँकि उसे यह पता नहीं कि यह कैसे हो रहा है। भूमि अपने आप 'फसल पैंदा करती है - पहले अंकुर, फिर बाल और बाद में पूरा दाना। फसल तैयार होते ही वह हँसिया चलाने लगता है, क्योंकि कटनी का समय आ गया है।” येसु ने कहा, “हम ईश्वर के राज्य की तुलना किस से करें? हम किस दृष्टान्त द्वारा उसका निरूपण करें? वह राई के दाने के सदृश है। मिट्टी में बोया जाते समय वह दुनिया भर का सब से छोटा दाना है; परन्तु बाद में बढ़ते-बढ़ते वह सब पौधों से बड़ा हो जाता है और उस में इतनी बड़ी-बड़ी डालियाँ निकल आती हैं कि आकाश के पंछी उसकी छाया में बसेरा कर सकते हैं।” वह इस प्रकार के बहुत-से दृष्टान्तों द्वारा लोगों को उनकी समझ के अनुसार सुसमाचार सुनाते थे। वह बिना दृष्टान्त के लोगों से कुछ नहीं कहते थे, लेकिन एकान्त में अपने शिष्यों को सब बातें समझाते थे।
प्रभु का सुसमाचार।