सामान्य काल का तीसरा सप्ताह, बुधवार - वर्ष 1

पहला पाठ

इब्रानियों के नाम पत्र

“उन्होंने उन को एक ही बलिदान द्वारा सदा के लिए पूर्णता तक पहुँचा दिया है।”

प्रत्येक दूसरा पुरोहित खड़ा हो कर प्रतिदिन धर्म-अनुष्ठान करता है और बार-बार एक ही प्रकार के बलिदान चढ़ाया करता है, जो पाप हरने में असमर्थ होते हैं। किन्तु वह, पापों के लिए एक ही बलिदान चढ़ाने के बाद, सदा के लिए ईश्वर के दाहिने विराजमान हो गये हैं, जहाँ वह उस समय की राह देखते हैं, जब उनके शत्रुओं को उनका पाँवदान बना दिया जायेगा। क्योंकि वह जिन लोगों को पवित्र करते हैं, उन्होंने उन को एक ही बलिदान द्वारा सदा के लिए पूर्णता तक पहुँचा दिया है। इसके संबंध में पवित्र आत्मा का साक्ष्य भी हमारे पास है। पहले वह बोलता है : प्रभु यह कहता है, मैं उनके लिए यह विधान निर्धारित करूँगा - मैं अपने नियम उनके मन में रख दूँगा, मैं उन्हें उनके हृदय पर अंकित करूँगा। और इसके बाद वह फिर कहता है, मैं उनके पापों और अपराधों को याद भी नहीं रखूँगा। जब पाप क्षमा कर दिये गये हैं, तो फिर पाप के लिए बलिदान की आवश्यकता नहीं रही।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 109:1-4

अनुवाक्य : तुम मेलकीसेदेक की तरह सदा ही पुरोहित बने रहोगे।

1. ईश्वर ने मेरे प्रभु से कहा - तुम मेरे दाहिने बैठ जाओ। मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारे पैरों तले डालूँगा।

2. ईश्वर तुम्हें सियोन में महान्‌ राज्याधिकार प्रदान करेगा, तुम अपने शत्रुओं पर शासन करोगे।

3. जिस दिन तुम्हारा जन्म हुआ था, उस दिन से तुम्हें पवित्र पर्वत, सियोन पर, राज्याधिकार प्राप्त है।

4. ईश्वर की यह शपथ अपरिवर्तनीय है - तुम मेलकीसेदेक की तरह सदा ही पुरोहित बने रहोगे।

जयघोष

अल्लेलूया ! बीज ईश्वर का वचन है, बोने वाला मसीह है। जो उन्हें पाता है, वह अनन्तकाल तक बना रहता है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 4:1-20

“कोई बोने वाला बीज बोने निकला।”

किसी दिन येसु समुद्र के किनारे शिक्षा देने लगे और उनके पास इतनी भीड़ इकट्ठी हो गयी कि वह समुद्र में एक नाव पर जा बैठे और सारी भीड़ समुद्र के तट पर बनी रही। उन्होंने दृष्टान्तों में उन्हें बहुत-सी बातों की शिक्षा दी। शिक्षा देते हुए उन्होंने कहा - “सुनो ! कोई बोने वाला बीज बोने निकला। बोते-बोते कुछ बीज रास्ते के किनारे गिरे और आकाश के पक्षियों ने आ कर उन्हें चुग लिया। कुछ बीज पथरीली भूमि पर गिरे, जहाँ उन्हें अधिक मिट्टी नहीं मिली। वे जल्दी ही उग गये, क्योंकि उनकी मिट्टी गहरी नहीं थी। सूरज चढ़ने पर वे झुलस गये और जड़ न होने के कारण सूख गये। कुछ बीज काँटें में गिरे और काँटों ने बढ़ कर उन्हें दबा दिया, इसीलिए वे फल नहीं लाये। कुछ बीज अच्छी भूमि में गिरे। वे उग कर फले-फूले और तीस-गुना या साठ-गुना या सौ-गुना फल लाये।” अन्त में उन्होंने कहा, “जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले !” येसु के अनुयायियों और बारहों ने एकान्त में उन से दृष्टान्तों का अर्थ पूछा। येसु ने उत्तर दिया, “तुम लोगों को ईश्वर के राज्य का भेद जानने का वरदान दिया गया है। बाहर वालों को दृष्टान्त ही मिलते हैं जिससे वे देखते हुए भी नहीं देखें और सुनते हुए भी नहीं समझें। कहीं ऐसा न हो कि वे मेरी ओर लौट आयें और मैं उन्हें क्षमा प्रदान कर दूँ। " येसु ने उन से कहा, “क्या तुम लोग यह दृष्टान्त नहीं समझते? तो सब दृष्टान्तों को कैसे समझोगे? बोने वाला वचन बोता है। जो रास्ते के किनारे हैं, जहाँ वचन बोया जाता है : ये वे लोग हैं जिन्होंने सुना है, परन्तु शैतान तुरन्त ही आ कर वह वचन, जो उनके हृदय में बोया गया था, ले जाता है। इस प्रकार, जो पथरीली भूमि में बोये जाते हैं : ये वे लोग हैं, जो वचन सुनते ही उसे प्रसन्नता से ग्रहण करते हैं; किन्तु उन में जड़ नहीं है और वे थोड़े ही दिन दृढ़ रहते हैं। वचन के कारण संकट या अत्याचार आ पड़ने पर, वे तुरन्त विचलित हो जाते हैं। दूसरे बीज काँटों में बोये जाते हैं : ये वे लोग हैं जो वचन सुनते हैं, परन्तु संसार की चिंताएँ, धन का मोह और अन्य बासनाएँ उन में प्रवेश कर वचन को दबा देती हैं और वह फल नहीं लाता। जो अच्छी भूमि में बोये गये हैं : ये वे लोग हैं जो वचन सुनते हैं, उसे ग्रहण करते हैं, और फल लाते हैं - कोई तीस-गुना, कोई साठे-गुना, कोई सौ-गुना।"

प्रभु का सुसमाचार।