सामान्य काल का तीसरा सप्ताह, सोमवार - वर्ष 1

पहला पाठ

इब्रानियों के नाम पत्र 9:15,24-28

“मसीह बहुतों के पाप हर लेने के लिए एक ही बार अर्पित हुए। वह दूसरी बार अपनी प्रतिक्षा करने वालों के लिए प्रकट हो जायेंगे।”

मसीह पहले विधान के समय किये हुए अपराधों की क्षमा के लिए मर गये हैं और इस प्रकार वह एक नये विधान के मध्यस्थ हैं। ईश्वर जिन्हें बुलाते हैं, वे अब उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार अनन्तकाल तक बनी रहने वाली विरासत प्राप्त करते हैं। येसु ने हाथ के बने उस मंदिर में प्रवेश नहीं किया जो वास्तविक मंदिर का प्रतिरूप मात्र है। उन्होंने स्वर्ग में प्रवेश किया, जिससे वह हमारी ओर से ईश्वर के सामने उपस्थित हो सकें। प्रधानयाजक किसी दूसरे का रक्त ले कर प्रतिवर्ष मंदिर-गर्भ में प्रवेश करता है; येसु को उसी तरह बार-बार अपने को अर्पित करने की जरूरत नहीं है। यदि ऐसा होता तो संसार के प्रारंभ से उन्हें बार-बार दुःख भोगना पड़ता, किन्तु अब युग के अंत में वह एक ही बार प्रकट हुए जिससे वह आत्म-बलिदान द्वारा पाप को मिटा दें। जिस तरह मनुष्यों के लिए एक ही बार मरना और इसके बाद उनका न्याय होना निर्धारित है, उसी तरह मसीह बहुतों के पाप हर लेने के लिए एक ही बार अर्पित हुए। वह दूसरी बार प्रकट हो जायेंगे, पाप के कारण नहीं, बल्कि उन लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए, जो उनकी प्रतीक्षा करते हें।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 97:1-6

अनुवाक्य : प्रभु के आदर में नया गीत गाओ; क्योंकि उसने अपूर्व कार्य किये हैं।

1. प्रभु के आदर में नया गीत गाओं; क्योंकि उसने अपूर्व कार्य किये हैं। उसके दाहिने हाथ और पवित्र भुजा ने हमारा उद्धार किया है।

2. प्रभु ने अपना मुक्ति-विधान प्रकट किया और सभी राष्ट्रों को अपना न्याय दिखाया है। उसने अपनी प्रतिज्ञा का ध्यान रख कर इस्राएल के घराने की सुध ली है।

3. पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति-विधान प्रकट हुआ है। समस्त पृथ्वी आनन्द मनाये और ईश्वर की स्तुति करे।

4. वीणा बजा कर प्रभु के आदर में भजन गा कर सुनाओ, तुरही और नरसिंघा बजा कर, अपने प्रभु-ईश्वर का जयकार करो।

जयघोष : 2 तिम० 1:10

अल्लेलूया ! हमारे मुक्तिदाता और मसीह ने मृत्यु का विनाश किया और अपने सुसमाचार द्वारा अमर जीवन को आलोकित किया। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 3:22-30

“शैतान का सर्वनाश हो गया है।”

येरुसालेम से आये हुए शास्त्री कहते थे, “उसे बेलजेबुल सिद्ध है” और वह नरकदूतों के नायक की सहायता से नरकदूतों को निकालता है।” येसु ने उन्हें अपने पास बुला कर यह दृष्टान्त सुनाया, “शैतान शैतान को कैसे निकाल सकता है? यदि किसी राज्य में फूट पड़ गयी हो, तो वह राज्य टिक नहीं सकता। यदि किसी घर में फूट पड़ गयी हो, तो वह घर टिक नहीं सकता। और यदि शैतान अपने ही विरुद्ध विद्रोह करे और उसके यहाँ फूट पड़ गयी हो, तो वह टिक नहीं सकता, और उसका सर्वनाश हो गया हे।” “कोई किसी बलवान्‌ के घर में घुस कर उसका सामान तब तक नहीं लूट सकता, जब तक कि वह उस बलवान्‌ को न बाँध ले। इसके बाद ही वह उसका घर लूट सकता है।” “मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - मनुष्य चाहे जो भी पाप या ईश-निन््दाू करें, उन्हें सब की क्षमा मिल जायेगी; परन्तु पवित्र आत्मा की निन््दा करने वाले को कभी भी क्षमा नहीं मिलेगी। वह अनन्त पाप का भागी है।” उन्होंने यह इसीलिए कहा कि कुछ लोग कहते थे, “उसे अपदूत सिद्ध है।”

प्रभु का सुसमाचार।