एक तम्बू खड़ा कर दिया गया। उसके अगले भाग में दीपाधार था, मेज थी और भेंट की रोटियाँ थीं - वह मंदिर-गर्भ कहलाता था। दूसरे परदे के पीछे का कक्ष परमपावन मंदिर-गर्भ कहलाता था। मसीह हमारे भावी कल्याण के महायाजक के रूप में आये और उन्होंने एक ऐसे तम्बू को पार किया जो यहूदियों के तम्बू से महान् तथा श्रेष्ठ है, जो मनुष्य के हाथ से नहीं बना और इस पृथ्वी का नहीं है। उन्होंने बकरों तथा बछड़ों का नहीं, बल्कि अपना ही रक्त ले कर सदा के लिएं एक ही बार परमपावन स्थान में प्रेवश किया और इस तरह हमारे लिए सदा-सर्वदा बना रहने वाला उद्धार प्राप्त किया। याजक बकरों तथा साँड़ों का रक्त और कलोर की राख अशुद्ध लोगों पर छिड़क देता है और उनका शरीर फिर शुद्ध हो जाता है। यदि उस में पवित्र करने की शक्ति है तो फिर मसीह का रक्त, जिसे उन्होंने शाश्वत आत्मा के द्वारा निर्दोष बलि के रूप में ईश्वर को अर्पित किया था, हमारे अंतःकरण को पापों से क्यों नहीं शुद्ध करेगा और हमें जीवंत ईश्वर की सेवा के योग्य बनायेगा?
प्रभु की वाणी।अनुवाक्य : ईश्वर जयकार के साथ आगे बढ़ता है, वह तुरही के घोष के साथ आगे बढ़ता है।
1. सभी राष्ट्र तालियाँ बजायें और प्रफुल्लित हो कर ईश्वर का जयकार करें, क्योंकि वह प्रभु है, सर्वोच्च है, आराध्य है। वह समस्त पृथ्वी का महान् राजा है।
2. ईश्वर जयकार के साथ आगे बढ़ता है, वह तुरही के घोष के साथ आगे बढ़ता है। हमारे ईश्वर के आदर में बाजा बजाओ, हमारे राजा के आदर में बाजा बजाओ।
3. ईश्वर समस्त पृथ्वी का राजा है, उसके आदर में मन लगा कर बाजा बजाओ। ईश्वर सभी राष्ट्रों पर राज्य करता है, वह अपने पवित्र सिंहासन पर विराजमान है।
अल्लेलूया ! हे प्रभु ! हमारा हृदय खोल दे, जिससे हम तेरे पुत्र की शिक्षा ग्रहण कर सकें। अल्लेलूया !
येसु घर लौटे और फिर इतनी भीड़ होने लगी कि उन लोगों को भोजन करने की भी फुरसत नहीं रही। जब येसु के संबंधियों ने यह सुना, तो वे उन को बलपूर्वक ले जाने निकले; क्योंकि कहा जाता था कि उन्हें अपनी सुध-बुध नहीं रह गयी है।
प्रभु का सुसमाचार।