वर्ष का दूसरा सप्ताह – बृहस्पतिवार, वर्ष 1

पहला पाठ

इब्रानियों के नाम पत्र 7:25-8:6

“उन्होंने अपने को एक ही बार बलि चढ़ाया।”

जो लोग येसु के द्वारा ईश्वर की शरण लेते हैं, वह उन्हें परिपूर्ण मुक्ति दिलाने में समर्थ हैं; क्योंकि वह उनकी ओर से निवेदन करने के लिए सदा जीवित रहते हैं। यह उचित ही था कि हमें इस प्रकार का महायाजक मिले - पवित्र, निर्दोष, निष्कलंक, पापियों से सर्वथा भिन्न और स्वर्ग से भी ऊँचा। अन्य महायाजक पहले अपने पापों के लिए और बाद में प्रजा के पापों के लिए प्रतिदिन बलिदान चढ़ाया करते हैं। येसु को इसकी आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि उन्होंने यह कार्य एक ही बार में उस समय पूरा कर दिया जब उन्होंने अपने को बलि चढ़या। संहिता तो दुर्बल मनुष्यों को महायाजक नियुक्त करती है, किन्तु संहिता के समाप्त हो जाने के बाद ईश्वर की शपथ के अनुसार वह पुत्र महायाजक नियुक्त किया जाता है जो सदा के लिये परिपूर्ण बना दिया गया है। इन बातों का सारांश यह है - हमारा एक ऐसा प्रधानयाजक है, जो स्वर्ग में महामहिम के सिंहासन की दाहिनी ओर विराजमान हो कर उस वास्तविक मंदिर तथा तम्बू का सेवक है, जो मनुष्य द्वारा नहीं, बल्कि प्रभु द्वारा संस्थापित है। प्रत्येक महायाजक भेंट और बलि चढ़ाने के लिए नियुक्त है, इसलिए यह आवश्यक है कि उसके पास चढ़ावे के लिए कुछ हो। यदि येसु अब तक पृथ्वी पर रहते, तो वह याजक भी नहीं होते, क्योंकि संहिता के अनुसार भेंट चढ़ाने के लिए याजक विद्यमान हैं, यद्यपि वे एक ऐसे मंदिर में सेवा करते हैं जो स्वर्ग की वास्तविकता की प्रतिकृति और छाया मात्र है। यही कारण है कि जब मूसा तम्बू का निर्माण करने वाले थे, तो उन्हें ईश्वर की ओर से यह आदेश मिला - सावधान रहो कि जो नमूना तुम्हें पर्वत पर दिखाया गया, उसी के अनुसार तुम सब कुछ बनाओ। अब, जो धर्मसेवा मसीह को मिली है, वह कहीं अधिक ऊँची है; क्योंकि वह एक ऐसे विधान के मध्यस्थ हैं, जो श्रेष्ठतर है और श्रेष्ठतर प्रतिज्ञाओं पर आधारित है।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 39:7-10,17

अनुवाक्य : है प्रभु ! मैं तेरी इच्छा पूरी करने आया हूँ।

1. तूने न तो यज्ञ चाहा और न चढ़ावा, किन्तु तूने मुझे सुनने के कान दिये। तूने न तो होम माँगा और न बलिदान, इसलिए मैंने कहा - देख, मैं आ रहा हूँ।

2. मुझे धर्मग्रन्थ में यह आदेश दिया गया है। कि मैं तेरी आज्ञाओं का पालन करूँ। हे मेरे ईश्वर ! तेरी इच्छा पूरी करने में मुझे आनन्द आता है, तेरा नियम मेरे हृदय में घर कर गया है।

3. मैंने सबों के सामने तेरे न्याय का बखान किया। हे प्रभु ! तू जानता है कि मैंने अपना मुँह बन्द नहीं रखा।

4. जो तुझे खोजते हैं, वे आनन्दित और प्रफुल्लित हो उठें। जो तेरी सहायता की राह देखते हैं, वे यह कहते जायें, “प्रभु महान्‌ हैं।”

जयघोष

अल्लेलूया ! हमारे मुक्तिदाता येसु मसीह ने मृत्यु का विनाश किया और अपने सुसमाचार द्वारा अमर जीवन को आलोकित किया। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 3:7-12

“अशुद्ध आत्मा चिल्लाते थे-आप ईश्वर के पुत्र हैं। येसु उन्हें यह चेतावनी देते थे कि तुम मुझे व्यक्त मत करो।”

येसु अपने शिष्यों के साथ समुद्र के तट गये। गलीलिया का एक विशाल जनसमूह उनके पीछे-पीछे हो लिया। यहूदिया, येरुसालेम, इदूमिया, यर्दन के उस पार, और तीरुस तथा सीदोन के आसपास से भी बहुत-से लोग उनके पास इकट्ठे हो गये; क्योंकि उन्होंने उनके कार्यों की चरचा सुनी थी। भीड़ के दबाव से बचने के लिए येसु ने अपने शिष्यों से कहा कि वे एक नाव तैयार रखें; क्योंकि उन्होंने बहुत-से लोगों को चंगा किया था और रोगी उनका स्पर्श करने के लिए उन पर गिर पड़ते थे। अशुद्ध आत्मा येसु को देखते ही दण्डवत्‌ करते और चिल्लाते थे - “आप ईश्वर के पुत्र हैं"; किन्तु वह उन्हें यह चेतावनी देते थे कि तुम मुझे व्यक्त मत करो।”

प्रभु का सुसमाचार।