ईश्वर अन्याय नहीं करता। आप लोगों ने, उसके प्रेम से प्रेरित हो कर, जो कष्ट उठाया है, सन्तों की जो सेवा की है और अब भी कर रहे हैं, ईश्वर वह सब नहीं भुला सकता। मैं चाहता हूँ कि आपकी आशा परिपूर्ण हो जाने तक आप लोगें में हर एक वही तत्परता दिखलाता रहे। आप लोग ढिलाई न करें, वरन् उन लोगों का अनुसरण करें, जो अपने विश्वास और धीरज के कारण प्रतिज्ञाओं के भागीदार होते हें। ईश्वर ने जब इब्राहीम से प्रतिज्ञा की थी, तो उसने अपने नाम की शपथ खायी; क्योंकि उस से बड़ा कोई नहीं था, जिसका नाम ले कर वह शपथ खाये। उसने कहा, “मैं तुम पर आशिष बरसाता रहूँगा और तुम्हारे वंशजों को असंख्य बना दूँगा।” इब्राहीम ने बहुत समय तक धीरज धरने के बाद प्रतिज्ञा का फल प्राप्त किया। लोग अपने से बड़े का नाम ले कर शपथ खाते हैं; उन में शपथ द्वारा कथन की पुष्टि होती है और सारा विवाद समाप्त हो जाता है। ईश्वर प्रतिज्ञा के उत्तराधिकारियों को सुस्पष्ट रूप से अपने संकल्प की अपरिवर्तनीयता दिखलाना चाहता था, इसलिए उसने शपथ खा कर प्रतिज्ञा की है। वह इन दो अपरिवर्तनीय कार्यो, अर्थात् प्रतिज्ञा और शपथ में झूठा प्रमाणित नहीं हो सकता है। इससे हमें, जिन्होंने ईश्वर की शरण ली है, वह प्रबल प्रेरणा मिलती है कि जो आशा हमें दिलायी गयी है, हम उसे धारण किये रहें। वह आशा हमारी आत्मा के लिए एक सुस्थिर एवं सुदृढ़ लंगर के सदृश है, जो उस मंदिर-गर्भ में डाला गया है, जहाँ येसु हमारे अग्रदूत के रूप में प्रवेश कर चुके हैं; क्योंकि वह मेलकीसेदेक की तरह सदा के लिए प्रधानयाजक बन गये हैं।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु अपने विधान का सदा स्मरण करता है। (अथवा : अल्लेलूया !)
1.धर्मियों की गोष्ठी और उनकी सभा में मैं सारे हृदय से प्रभु की स्तुति करूँगा। प्रभु के कार्य महान् हैं, भक्त जन उनका मनन करें।
2. प्रभु के कार्य स्मरणीय हैं। प्रभु दयालु और प्रेममय है। वह अपने भक्तों को तृप्त करता है और अपने विधान का सदा स्मरण करता है।
3. उसने अपनी प्रजा का उद्धार किया और सदा के लिए अपना विधान निर्धारित किया है। उसका नाम पवित्र और पूज्य है। उसकी स्तुति युगानुयुग होती रहेगी।
अल्लेलूया ! हमारे प्रभु येसु मसीह का पिता आप लोगों को ज्योति प्रदान करे, जिससे आप यह देख सकें कि उनके द्वारा बुलाये जाने के कारण हमारी आशा कितनी महान् है। अल्लेलूया !
येसु किसी विश्राम के दिन गेहूँ के खेतों से हो कर जा रहे थे। उनके शिष्य राह चलते बालें तोड़ने लगे। फरीसियों ने येसु से कहा, “देखिए, जो काम विश्राम के दिन मना है, वे वही क्यों कर रहे हैं?” येसु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या तुम लोगों ने कभी यह नहीं पढ़ा कि जब दाऊद और उसके साथी भूखे थे और खाने को उनके पास कुछ नहीं था, तो दाऊद ने क्या किया था? उसने महायाजक अबियाथार के समय ईश-मंदिर में प्रवेश कर भेंट की रोटियों को खाया और अपने साथियों को भी खिलाया। याजकों को छोड़ किसी और को उन्हें खाने की आज्ञा तो नहीं थी।” येसु ने उन से कहा, “विश्राम-दिवस मनुष्य के लिए बना है, न कि मनुष्य विश्राम-दिवस के लिए। इसलिए मानव पुत्र विश्राम-दिवस का भी स्वामी है।”
प्रभु का सुसमाचार।