ईश्वर का वचन जीवन्त, सशक्त और किसी भी दुधारी तरवार से तेज है। वह हमारी आत्मा के अन्तरतम तक पहुँच जाता है और हमारे मन के भावों तथा विचारों को प्रकट करता है। ईश्वर से कुछ भी छिपा हुआ नहीं है। उसकी आँखों के सामने सब कुछ निरावरण और खुला है। उसी को हमें लेखा देना पड़ेगा। हमारे एक अपने महान् सहायक हैं, अर्थात् ईश्वर के पुत्र येसु, जो स्वर्ग पहुँच गये हैं। इसलिए हम अपने विश्वास में सुदृढ़ रहें। हमारे महायाजक हमारी दुर्बलताओं में हम से सहानुभूति रख सकते हैं, क्योंकि पाप को छोड़ कर सभी बातों में हमारी ही तरह उनकी परीक्षा ली गयी है। इसलिए हम भरोसे के साथ अनुग्रह के सिंहासन के पास जायें जिससे हमें दया मिले और हम वह कृपा प्राप्त करें, जो हमारी आवश्यकताओं में हमारी सहायता करेगी।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हैं प्रभु ! तेरी शिक्षा आत्मा और जीवन है। (योहन 6:64)
1. प्रभु का नियम सर्वोत्तम है; वह आत्मा में नवजीवन का संचार करता है। प्रभु की शिक्षा विश्वासनीय है; वह अज्ञानियों को समझदार बना देती है।
2. प्रभु के उपदेश सीधे-सादे हैं; वे हृदय को आनन्दित कर देते हैं। प्रभु की आज्ञाएँ स्पष्ट हैं; वे आँखों को ज्योति प्रदान करती हैं।
3. प्रभु की वाणी परिशुद्ध है; वह अनन्तकाल तक बनी रहती है। प्रभु के निर्णय सच्चे हैं; वे सब के सब न्यायसंगत हैं।
4. हे प्रभु ! तू मेरा सहारा और मुक्तिदाता है। मेरे मुख से जो शब्द निकलते हैं और मेरे मन में जो विचार उठते हैं, वे सब के सब तुमे अच्छे लगें।
अल्लेलूया ! प्रभु ने मुझे दरिद्रों को सुसमाचार सुनाने और बन्दियों को मुक्ति का सन्देश देने भेजा है। अल्लेलूया !
येसु फिर निकल कर समुद्र के तट गये। सब लोग उनके पास आ गये और वह उन्हें शिक्षा देने लगे। रास्ते में येसु ने अलफाई के पुत्र लेवी को चुँगीघर में बैठा हुआ देखा और उस से कहा, “मेरे पीछे चले आओ”, और वह उठ कर उनके पीछे हो लिया। किसी दिन येसु अपने शिष्यों के साथ लेवी के घर में भोजन पर बैठे। बहुत-से नाकेदार और पापी उनके साथ भोजन कर रहे थे, क्योंकि वे बड़ी संख्या में येसु के अनुयायी बन गये थे। जब फरीसी दल के शास्त्रियों ने देखा कि येसु पापियों और नाकेदारों के साथ भोजन कर रहे हैं, तो उन्होंने उनके शिष्यों से कहा, “वह क्यों नाकेदारों और पापियों के साथ भोजन करते हैं?" येसु ने यह सुन कर उन से कहा, “नीरोगों को नहीं, रोगियों को वैद्य की जरूरत होती है। मैं धर्मियों को नहीं, पापियों को बुलाने आया हूँ।”
प्रभु का सुसमाचार।