वर्ष का प्रथम सप्ताह – शुक्रवार, वर्ष 1

पहला पाठ

इब्रानियों के नाम पत्र। 4:1-5,11

“हम उस विश्रामस्थान में प्रवेश करने का पूरा-पूरा प्रयत्न करें।”

ईश्वर के विश्रामस्थान में प्रवेश करने की वह प्रतिज्ञा अब तक कायम है, इसलिए हम सतर्क रहें कि आप लोगों में कोई भी उस में प्रवेश करने से न रह जाये। हम को उन लोगों की भाँति एक मंगलमय समाचार सुनाया गया है। उन लोगों ने जो संदेश सुना था, उन्हें उस से कोई लाभ नहीं हुआ, क्योंकि सुनने वालों में विश्वास का अभाव था। हमने विश्वास किया और इसलिए हम उस विश्रामस्थान में प्रवेश करते हैं, जिसके विषय में उसने कहा है - मैंने क्रुद्ध हो कर यह शपथ खायी : वे मेरे विश्रामस्थान में प्रवेश नहीं करेंगे। ईश्वर का कार्य तो संसार की सृष्टि के समय ही समाप्त हो गया है, क्योंकि धर्मग्रन्थ सातवें दिन के विषय में यह कहता है - ईश्वर ने अपना समस्त कार्य समाप्त कर सातवें दिन विश्राम किया। और उपर्युक्त उद्धारण में हम यह पढ़ते हैं - वे मेरे विश्रामस्थान में प्रवेश नहीं करेंगे। इसलिए हम उस विश्नामस्थान में प्रवेश करने का पूरा-पूरा प्रयत्न करें, जिससे कोई भी उन लोगों के अविश्वास का अनुसरण करता हुआ उस से वंचित न हो।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 77:3-4,6-8

अनुवाक्य : ईश्वर के महान्‌ कार्य कभी न भुलाओ।

1. प्रभु की महिमा, उसका सामर्थ्य और उसके किये हुए चमत्कार- यह सब हमने सुना और जान लिया है। हमारे पूर्वजों ने हमें बताया है। हम आने वाली पीढ़ी को यह सब बतायेंगे।

2. आने वाली पीढ़ी भी अपने पुत्रों को बताये जिससे वे प्रभु पर भरोसा रखें, ईश्वर के महान्‌ कार्य कभी न भुलायें और उसकी सभी आज्ञाओं का पालन करें।

3. वे अपने पुरखों की तरह न बनें। वह एक हठीली और विद्रोही पीढ़ी थी, उनके हृदय में न तो कोई दृढ़ता थी और न उनके मन में ईश्वर में विश्वास।

जयघोष : लूकस 7:16

अल्लेलूया ! हमारे बीच महान्‌ नबी उत्पन्न हुए और ईश्वर ने अपनी प्रजा की सुध ली है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 2:1-12

“मानव पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार मिला है।”

जब कुछ दिनों बाद येसु कफरनाहुम लौटे तो यह खबर फैल गयी कि वह घर पर हैं और इतने लोग इकट्ठे हो गये कि द्वार के सामने जगह नहीं रही। येसु उन्हें सुसमाचार सुना ही रहे थे कि कुछ लोग एक अर्धांगरोगी को चार आदमियों से उठवा कर उनके पास ले आये। भीड़ के कारण वे उसे येसु के सामने नहीं ला सके; इसलिए जहाँ येसु थे, उसके ऊपर की छत उन्होंने खोल दी और छेद में से अर्धांगरोगी की चारपाई नीचे उतार दी। येसु ने उन लोगों का विश्वास देख कर अर्धांगरोगी से कहा, “बेटा ! तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं।” वहाँ कुछ शास्त्री बैठे हुए थे। वे सोचने लगे - यह क्या कहता है? यह ईश-निन््दाप करता है। ईश्वर के सिवा कौन पाप क्षमा कर सकता है? येसु को मालूम था कि वे मन-ही-मन ऐसा सोच रहे हैं। उन्होंने शास्त्रियों से कहा, “मन-ही-मन क्या सोच रहे हो? अधिक सहज कया है - अर्धागरोगी से यह कहना, “तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं” अथवा यह कहना, “उठो, अपनी चारपाई उठा कर चलो-फिरो”? परन्तु इसलिए कि तुम लोग यह जान लो कि मानव पुत्र को पृथ्वी पर क्षमा करने का अधिकार मिला है” - वह अर्धांगरोगी से बोले - “मैं तुम से कहता हूँ, उठो और अपनी चारपाई उठा कर घर जाओ।” वह उठ खड़ा हुआ और चारपाई उठा कर तुरन्त सबों के देखते-देखते बाहर चला गया। सब के सब बड़े अचंभे में पड़ गये और यह कह कर ईश्वर की स्तुति करने लगे - ऐसा चमत्कार हमने कभी देखा नहीं।

प्रभु का सुसमाचार।