वर्ष का प्रथम सप्ताह – बुधवार, वर्ष 1

पहला पाठ

इब्रानियों के नाम पत्र 2:14-18

“यह आवश्यक था कि वह सभी बातों में अपने भाइयों के सदृश बन जायें।’’

परिवार के सभी सदस्यों का रक्त-मांस एक ही होता है, इसलिए येसु भी हमारी ही तरह मनुष्य बन गये जिससे वह, अपनी मृत्यु द्वारा, मृत्यु पर अधिकार रखने वाले शैतान को परास्त करें और दासता में जीवन बिताने वाले मनुष्यों को मृत्यु के भय से मुक्त कर दें। वह स्वर्गदूतों की नहीं, बल्कि इब्राहीम के वंशजों की सुध लेते हैं। इसलिए यह आवश्यक था कि वह सभी बातों में अपने भाइयों के सदृश बन जायें, जिससे वह ईश्वर-संबंधी बातों में मनुष्यों के दयालु और ईमानदार महायाजक के रूप में उनके पापों का प्रायश्चित्त कर सकें। उनकी परीक्षा ली गयी है और उन्होंने स्वयं दुःख भोगा है, इसलिए वह परीक्षा में दुःख भोगने वालों की सहायता कर सकते हैं।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 104:1-4,6-9

अनुवाक्य : प्रभु सदा ही अपना विधान याद करता है। (अथवा : अल्लेलूया !)

1. प्रभु को धन्यवाद दो, उसका नाम धन्य कहो, राष्ट्रों में उसके महान्‌ कार्यों का बखान करो। उसके आदर में गीत गाओ, उसकी स्तुति करो, उसके अपूर्व कार्यों का बखान करो।

2. उसके पवित्र नाम पर गौरव करो। प्रभु को खोजने वालों का हृदय आनन्दित हो। प्रभु और उसके सामर्थ्य का मनन करो, उसके दर्शनों के लिए निरन्तर तरसते रहो। >/p>

3. हे प्रभु-भक्त इब्राहीम की सन्तति ! हे प्रभु के कृपापात्र याकूब के पुत्रो ! प्रभु ही हमारा ईश्वर है, उसके निर्णय समस्त पृथ्वी पर लागू हैं।

4. वह सदा अपना विधान याद करता है, हजारों पीढ़ियों के लिए अपनी प्रतिज्ञाएँ, इब्राहीम के लिए ठहराया हुआ विधान, इसहाक के सामने खायी हुई शपथ।

जयघोष : स्तोत्र 10:27

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, “मेरी भेड़ें मेरी आवाज पहचानती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं। "” अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार

“येसु ने नाना प्रकार की बीमारियों से पीड़ित बहुत-से रोगियों को चंगा किया।”

येसु सभागृह से निकल कर याकूब और योहन के साथ सीधे सिमोन और अंद्रेयस के घर गये। सिमोन की सास बुखार में पड़ी हुई थी। लोगों ने तुरन्त उसके विषय में उन्हें बताया। येसु उसके पास आये और उन्होंने हाथ पकड़ कर उसे उठाया। उसका बुखार जाता रहा और वह उन लोगों का सेवा-सत्कार करने लगी। संध्या समय, सूरज डूबने के बाद, लोग सभी रोगियों और अपदूत-ग्रस्तों को उनके पास ले आये। सारा नगर द्वार पर एकत्र हो गया। येसु ने नाना प्रकार की बीमारियों से पीड़ित बहुत-से रोगियों को चंगा किया और बहुत-से अपदूतों को निकाला। वह अपदूतों को बोलने से रोकते थे, क्योंकि वे जानते थे कि वह कौन हैं। दूसरे दिन येसु बहुत सबेरे उठ कर घर से निकले और किसी एकान्त स्थान जा कर प्रार्थना करने लगे। सिमोन और उसके साथी उनकी खोज में निकले और उन्हें पाते ही यह बोले, “सब लोग आप को खोज रहे हैं।” येसु ने उन्हें उत्तर दिया, “हम आसपास के कसबों में चलें। मुझे वहाँ भी उपदेश देना है - इसीलिए तो आया हूँ।” और वह उनके सभा-गृहों में उपदेश देते हुए और अपदूतों को निकालते हुए सारी गलीलिया में घूमते रहते थे।

प्रभु का सुसमाचार।