हमारे प्रभु के बपतिस्मा का पर्व - वर्ष B

वर्ष A में दिये गये पहला पाठ, भजन - अनुवाक्य, दूसरा पाठ और जयघोष का व्यवहार नीचे दिये गये सुसमाचार के साथ किया जा सकता है । अथवा नीचे दिये गये वैकल्पित पाठों का व्यवहार किया जा सकता है ।

पहला पाठ

नबी इसायस का ग्रंथ 551-11

“मेरे पास आ जाओ; तुम्हारी आत्मा को नवजीवन मिल जायेगा और मैं तुम लोगों के लिए 'एक चिरस्थायी विधान ठहराऊँगा।”
प्रभु कहता है, “तुम सब, जो प्यासे हो, पानी के पास चले आओ। यदि तुम्हारे पास रुपया नहीं है, तभी आओ। मुफ्त में अन्न खरीद कर खाओ; दाम चुकाये बिना अंगूरी और दूध खरीद लो। जो भोजन नहीं है, उसके लिए तुम लोग अपना रुपया क्यों खर्च करते हो? जो तृप्ति दे ही नहीं सकता, उसके लिए परिश्रम क्यों करते हो? मेरी बात मान लो। तब खाने के लिए तुम्हें अच्छी चीजें मिलेंगी और तुम लोग पकवान खा कर प्रसन्न रहोगे। कान लगा कर सुनो और मेरे पास आ जाओ। मेरी बात पर ध्यान दो और तुम्हारी आत्मा को नवजीवन मिल जायेगा। “मैंने दाऊद से दया करते रहने की प्रतिज्ञा की थी, उसके अनुसार मैं तुम लोगों के लिए एक चिरस्थायी विधान ठहराऊँगा। मैंने राष्ट्रों को साक्ष्य देने के लिए दाऊद को चुन लिया, और उसे राष्ट्रों का पथप्रदर्शक तथा अधिपति बना दिया है। “येरुसालेम ! तू भी उन राष्ट्रों को बुलायेगा, जिन्हें तू नहीं जानता था; और जो तुझे नहीं जानते थे, वे दौड़ते हुए तेरे पास जायेंगे। यह इसलिए होगा कि प्रभु, तेरा ईश्वर, इस्राएल का परमपावन ईश्वर, तुझे महिमान्वित करेगा। जब तक प्रभु मिल सकता है, तब तक उसके पास चले जाओ। जब तक वह निकट है, तब तक उसकी दुहाई देते रहो। पापी अपना मार्ग छोड़ दे और दुष्ट अपने बुरे विचार त्याग दे। वह प्रभु के पास लौट आये और वह उस पर दया करेगा, क्योंकि हमारा ईश्वर दयासागर है। प्रभु यह कहता है - तुम लोगों के विचार मेरे विचार नहीं हैं और मेरे मार्ग तुम लोगों के मार्ग नहीं हैं। जिस तरह आकाश पृथ्वी के ऊपर बहुत ऊँचा है, उसी तरह मेरे मार्ग तुम्हारे मार्गों से और मेरे विचार तुम्हारे विचारों से ऊँचे हैं। जिस तरह पानी और बर्फ आकाश से उतर कर भूमि सींचे बिना, उसे उपजाऊ बनाये और हरियाली से ढके बिना, वहाँ नहीं लौटते हैं, जिससे भूमि बोने वाले को बीज और खाने वाले को अनाज दे सके, उसी तरह मेरी वाणी मेरे मुख से निकल कर व्यर्थ ही मेरे पास नहीं लौटती। जो मैं चाहता था, वह उसे कर डालती है और मेरा उद्देश्य पूरा करने के बाद ही वह मेरे पास लौट आती है।”

प्रभु की वाणी।

भजन : इसा० 2:2-6

अनुवाक्य :प्रफुल्लित हो कर आनन्द के गीत गाओ। तुम्हारे बीच रहने वाला इस्त्राएल का परमपावन ईश्वर महान्‌ है।

1. ईश्वर मेरा उद्धार करेगा। वही मेरा भरोसा है। अब मैं नहीं डरूँगा, क्योंकि प्रभु मेरा बल है और मेरे गीत का विषय। वही मेरा उद्धार करेगा। तुम आनन्दित हो कर मुक्ति के स्रोत में से जल भरोगे।

2. प्रभु का धन्यवाद करो, उसकी दुहाई दो। राष्ट्रों में उसके महान्‌ कार्यों का बखान करो, उसके नाम की महिमा गाओ।

3. प्रभु की स्तुति करो - उसने चमत्कार दिखाये हैं। पृथ्वी भर उनका बखान करने जाओ। सियोन की प्रजा ! प्रफुल्लित हो कर आनन्द के गीत गाओ। तुम्हारे बीच रहने वाला इस्राएल का परमपावन ईश्वर महान्‌ है।

दूसरा पाठ

सन्त योहन का पहला पत्र 5:1-9

“ईसा मसीह जल और रक्त से आये हैं।”

जो यह विश्वास करता है कि ईसा ही मसीह हैं, वह ईश्वर की सन्तान है और जो जन्मदाता को प्यार करता है, वह उसकी सन्तान को भी प्यार करता हैं। इसलिए यदि हम ईश्वर को प्यार करते हैं और उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं, तो हमें ईश्वर की सन्तान को भी प्यार करना चाहिए। ईश्वर की आज्ञाओं का पालन करना - यही ईश्वर का प्रेम है। उसकी आज्ञाएँ भारी नहीं हैं, क्योंकि ईश्वर की हर सन्तान संसार पर विजयी होती है। वह विजय, जो संसार को परास्त करती है, हमारा विश्वास ही है। संसार का विजयी कौन है? केवल वही जो यह विश्वास करता है कि ईसा ईश्वर के पुत्र हैं। ईसा मसीह जल और रक्त से आये हैं - न केवल जल से, बल्कि जल और रक्त से। आत्मा इसके विषय में साक्ष्य देता है, क्योंकि आत्मा सत्य है। इंस प्रकार ये तीन साक्ष्य देते हैं - आत्मा, जल और रक्त और तीनों एक ही बात कहते हैं। हम मनुष्यों का साक्ष्य स्वीकार करते हैं, किन्तु ईश्वर का साक्ष्य निश्चय ही कहीं अधिक प्रामाणिक है। ईश्वर ने अपने पुत्र के विषय में साक्ष्य दिया है।

प्रभु की वाणी।

जयघोष : मारकुस 9:6

अल्लेलूया अल्लेलूया ! स्वर्ग खुल गया और पिता-परमेश्वर की यह वाणी सुनाई दी, “यह मेरा परमप्रिय पुत्र है। इसकी सुनो"। अल्लेलूया !

सुसमाचार

पिता ने येसु को उनके बपतिस्मा के समय अपना पुत्र घोषित किया। उस समय पवित्र आत्मा भी कपोत के रूप में प्रकट हुआ। इस प्रकार हम देखते हैं कि उस समय त्रियेक ईश्वर के रहस्य का उद्घाटन प्रारंभ हो जाता है।

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 1:7-11

“तू मेरा प्रिय पुत्र है; मैं तुझ पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ।”

योहन अपने उपदेश में कहा करता था, “जो मेरे बाद आने वाले हैं, वह मुझ से अधिक शक्तिशाली हैं। मैं तो झुक कर उनके जूते का फीता खोलने योग्य भी नहीं हूँ। मैंने तुम लोगों को पानी से बपतिस्मा दिया है; वह तुम्हें पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देंगे।” उन दिनों येसु गलीलिया के नाजरेत से आये। उन्होंने यर्दन नदी में योहन से बपतिस्मा ग्रहण किया। वह पानी से निकल ही रहे थे कि उन्होंने स्वर्ग को खुलते और आत्मा को कपोत के रूप में अपने ऊपर आते देखा। और स्वर्ग से यह वाणी सुनाई दी, “तू मेरा प्रिय पुत्र है। मैं तुझ पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ।

प्रभु का सुसमाचार।